scorecardresearch
 

CAA के खिलाफ विपक्षी नेताओं का विरोध, बोले- डूबते जहाज को बचाने की कोशिश

नागरिकता संशोधन कानून के देशभर में लागू किए जाने के केंद्र सरकार के फैसले का विपक्षी नेताओं ने विरोध किया है. तमिलनाडु के सीएम ने 'डूबते जहाज को बचाने' का आरोप लगाया है. असदुद्दीन ओवैसी ने भटकावे की रजानीति करने का आरोप लगाया और सीएम केजरीवाल ने पूछा कि आने वालों को 'रोजगार कहां से दोगे?'

Advertisement
X
सीएए का विरोध
सीएए का विरोध

आगामी लोकसभा चुनाव से पहले देशभर में नागरिकता संशोधन कानून लागू कर दिया गया है. कानून में संशोधन को चार साल पहले ही राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी लेकिन इसे लागू नहीं किया जा सका था. अब चुनाव से ठीक पहले इसका नोटिफिकेशन जारी करने के केंद्र सरकार के फैसले की विपक्षी नेताओं ने आलोचना की है और टाइमिंग पर सवाल उठाए हैं. पढ़ें किसने, क्या कहा.

Advertisement

1. नागरिकता संशोधन कानून लागू किए जाने को लेकर एनसीपी की संस्थापक शरद पवार ने कहा, "ऐसी संभावना है कि चुनाव आयोग अगले तीन-चार दिनों में चुनाव का ऐलान करेगी. तीन-चार दिनों में चुनाव का कार्यक्रम जारी होने से पहले केंद्र सरकार ने इस तरह का कानून लागू किया है, जिसका मतलब संसदीय लोकशाही प्रक्रिया पर सीधे-सीधे आक्रमण है, जिसकी हम निंदा करते हैं."

2. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़ने ने कहा कि CAA भेदभावपूर्ण है और भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों और भावना के खिलाफ है. चुनाव से ठीक पहले अधिसूचित CAA नियम दर्शाता है कि बीजेपी ध्रुवीकरण की राजनीती को लेकर कितनी सजग है."

यह भी पढ़ें: CAA कैसे काम करेगा, आवेदन करने वालों को किस राज्य में मिलेगी नागरिकता? 10 जरूरी सवालों के जवाब

3. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, "दस साल देश पर राज करने के बाद एन चुनाव के पहले मोदी सरकार CAA लेकर आयी है. ये पड़ोसी देशों के लोगों को भारत में लाकर बसाना चाहते हैं. क्यों? अपना वोट बैंक बनाने के लिए, जब हमारे युवाओं के पास रोज़गार नहीं है तो पड़ोसी देशों से आने वाले लोगों को रोज़गार कौन देगा?

Advertisement

4. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी सीएए लागू करने का विरोध किया और कहा, "यह मूल सिद्धांत के विपरीत है कि भारत में, आपका धर्म कुछ भी हो, आपकी जाति कुछ भी हो, आपकी भाषा कुछ भी हो, आपका रंग कुछ भी हो, आप देश के किसी भी हिस्से में रहते हों, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. यदि आप भारत के नागरिक हैं, तो आपके पास अन्य सभी के समान अधिकार हैं. कुछ चतुर वकील इसे सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष उठाएंगे और इसकी संवैधानिकता को चुनौती देंगे."

5. एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "आप क्रोनोलॉजी समझिए, पहले चुनाव का मौसम आएगा, फिर सीएए के नियम आएंगे, सीएए पर हमारी आपत्तियां जस की तस हैं. सीएए विभाजनकारी है और गोडसे की सोच पर आधारित है, जो मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाहता था. सताए गए किसी भी व्यक्ति को शरण दें लेकिन नागरिकता धर्म या राष्ट्रीयता पर आधारित नहीं होनी चाहिए. एनपीआर-एनआरसी के साथ, सीएए का उद्देश्य केवल मुसलमानों को टारगेट करना है."

यह भी पढ़ें: 'पहले हो जाना चाहिए था', ऑल इंडिया मुस्लिम जमात ने किया CAA नोटिफिकेशन का स्वागत

6. समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी सीएए के नोटिफिकेशन पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, "जब देश के नागरिक रोजी-रोटी के लिए बाहर जाने पर मजबूर हैं तो दूसरों के लिए ‘नागरिकता क़ानून’ लाने से क्या होगा? जनता अब भटकावे की राजनीति का भाजपाई खेल समझ चुकी है. भाजपा सरकार ये बताए कि उनके 10 सालों के राज में लाखों नागरिक देश की नागरिकता छोड़ कर क्यों चले गये."

Advertisement

7. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा, "अब, जैसे ही चुनाव नजदीक आ रहे हैं, प्रधानमंत्री मोदी राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक भावनाओं का शोषण करते हुए, नागरिकता संशोधन अधिनियम को निंदनीय तरीके से पुनर्जीवित करके अपने डूबते जहाज को बचाना चाहते हैं."

8. केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने कहा, "चुनाव के मद्देनजर नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों की केंद्र सरकार की अधिसूचना का उद्देश्य देश को बेचैन करना है. यह लोगों को विभाजित करना, सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काना और संविधान के मूल सिद्धांतों को कमजोर करना है. इसे केवल संघ परिवार के हिंदुत्व सांप्रदायिक एजेंडे के हिस्से के रूप में देखा जा सकता है. 

यह भी पढ़ें: चुनाव के ऐलान से पहले CAA, नागरिकता को हथियार बनाएगी मोदी सरकार?

सीएम विजयन ने कहा, "31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में आकर बसे गैर-मुसलमानों को नागरिकता देना, जबकि मुसलमानों को नागरिकता देने से इनकार करना संविधान का खुला उल्लंघन है. LDF सरकार ने कई बार दोहराया है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम, जो मुस्लिम अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे का नागरिक मानता है, केरल में लागू नहीं किया जाएगा."

Live TV

Advertisement
Advertisement