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'पहले हो जाना चाहिए था', ऑल इंडिया मुस्लिम जमात ने किया CAA नोटिफिकेशन का स्वागत

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले देश में नागरिकता संशोधन कानून लागू कर दिया गया है. एक तरफ इसका स्वागत हो रहा है तो दूसरी तरफ विरोधी इसका विरोध भी कर रहे हैं. इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष ने सीएए के नोटिफिकेशन का स्वागत किया और इसे पहले ही लागू कर देना चाहिए था.

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नागरिकता संशोधन कानून लागू
नागरिकता संशोधन कानून लागू

आगामी लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून लागू कर दिया है. गृह मंत्रालय ने सोमवार, 11 मार्च को इसके नियम जारी किए, जिसका ऑल इंडिया मुस्लिम जमात ने स्वागत किया है. संगठन के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रिज्वी बरेलवी ने कहा कि वह इसका 'स्वागत करते हैं लेकिन यह तो पहले ही हो जाना चाहिए था.'

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ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून लागू होने से देश के मुस्लिम समुदाय पर कोई असर नहीं पड़ेगा. इससे पहले धर्म के नाम पर प्रताड़ित होने वाले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के गैर मुस्लिमों को नागरिकता देने के लिए कोई कानून नहीं था. देश के करोड़ों मुसलमानों पर इसका असर नहीं पड़ेगा.

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'लोगों में गलतफहमी थी, इसलिए विरोध-प्रदर्शन हुए'

मौलाना शहाबुद्दीन रिज्वी बरेलवी ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विरोध-प्रदर्शन भी देखे गए, वो भी इसलिए क्योंकि लोगों में इसको लेकर गलतफहमियां थीं. कुछ राजनीतिक लोगों ने यह गलतफहमियां पैदा की थी. उन्होंने कहा कि देश के सभी मुसलमानों को नागरिकता संशोधन कानून का स्वागत करना चाहिए.

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केंद्र सरकार ने जारी किए CAA के नियम

लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून के नियम जारी कर दिए हैं. इसके साथ ही यह तय हो गया है कि अब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से प्रताड़ित होकर आने वाले गैर-मुसलमानों को नागरिकता मिल सकेगी. इसको लेकर गृह मंत्री अमित शाह लगातार अपने मंचों से ऐलान कर रहे थे. नागरिकता कानून में 2019 में संशोधन किया गया था लेकिन इसे चुनाव से ठीक पहले लागू कर दिया गया है.

2019 में नागरिकता कानून में किया गया संशोधन

2019 के लोकसभा चुनाव में सीएए को बीजेपी ने अपने मुख्य अभियान का हिस्सा बनाया था. बाद में सरकार आने के बाद संसद से एक बिल के रूप में पास किया गया. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून तो बन गया था लेकिन इसे लागू नहीं किया जा सका था. अब केंद्र सरकार ने 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लागू कर दिया है. केंद्र ने भी सीएए और एनआरसी का इस्तेमाल मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए किए जाने के आरोपों को खारिज किया.

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