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'लक्ष्मण रेखा' के दायरे में करें काम, रास्ते में नहीं आएगी न्यायपालिका: CJI रमण

शनिवार को विज्ञान भवन में हाईकोर्टों के चीफ जस्टिस और मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन हुआ, जिसमें प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि संबंधित लोगों और उनकी आकांक्षाओं को शामिल करते हुए बहस और चर्चा के बाद कानून बनाया जाना चाहिए.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली में चीफ जस्टिस और CMs का सम्मेलन
  • पीएम मोदी और सीजेआई भी हुए शामिल

दिल्ली के विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमण ने कहा कि हमें 'लक्ष्मण रेखा' का ध्यान रखना चाहिए. कोई भी काम अगर कानून के अनुसार हो तो न्यायपालिका कभी भी शासन के रास्ते में नहीं आएगी. यदि नगर पालिकाएं, ग्राम पंचायतें कर्तव्यों का पालन करती हैं और पुलिस ठीक से जांच करती है. अवैध हिरासत में टॉर्चर खत्म हो जाता है तो लोग अदालतों की ओर रुख नहीं करेंगे.

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शनिवार को विज्ञान भवन में हाईकोर्टों के चीफ जस्टिस और मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन हुआ था जिसमें चीफ जस्टिस एनवी रमण ने ये बातें कहीं. सीजेआई ने कहा कि संबंधित लोगों और उनकी आकांक्षाओं को शामिल करते हुए बहस और चर्चा के बाद कानून बनाया जाना चाहिए. अक्सर अधिकारियों के नॉन परफॉर्मेंस और विधायिकाओं की निष्क्रियता के कारण मुकदमेबाजी होती है जो टालने योग्य होती है. 

PIL को लेकर बोले CJI

वहीं जनहित याचिका (पीआईएल) को लेकर सीजेआई ने कहा कि इसके पीछे अच्छे इरादों का दुरुपयोग किया जाता है क्योंकि इसे परियोजनाओं को रोकने और सार्वजनिक प्राधिकरणों को आतंकित करने के लिए 'व्यक्तिगत हित याचिका' में बदल दिया गया है. यह राजनीतिक और कॉर्पोरेट प्रतिद्वंद्वियों के साथ स्कोर तय करने का एक साधन बन गई हैं.

सीजेआई ने बताया कि इस सम्मेलन में कई प्रस्ताव पास हुए हैं, कुछ में बदलाव भी किए गए. जैसे नेशनल ज्यूडिशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर अथॉरिटी बनाने के लिए केंद्र-राज्य की भूमिका पर विस्तृत चर्चा के बाद उसे संशोधित रूप से मंजूरी मिल गई. अधिकतर राज्यों ने राज्य स्तरीय अथॉरिटी बनाने पर सहमति जताई. 

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PM ने दिया टेक्नोलॉजी पर जोर

कार्यक्रम की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टेक्नोलॉजी पर खासा जोर दिया था. पीएम ने कहा कि डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देकर न्याय की देरी कम करने की कोशिश की जा रही है. बुनियादी सुविधाओं को पूरा किया जा रहा है. कोर्ट में वैकेंसी भरने की प्रोसेस चल रही है. न्यायपालिका की भूमिका संविधान के संरक्षक के रूप में है.

इस सम्मेलन के बाद केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि छह साल के अंतराल के बाद यह सम्मेलन हुआ और मुख्य न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों ने बुनियादी ढांचे के संबंध में अपने विचारों का आदान-प्रदान किया. बता दें कि ये सम्मेलन सरकार और न्यायपालिका के बीच एक तरह से पूल माना जाता है. में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा मौजूद रहे. 

अदालतों का बुनियादी ढांचा कमजोर

इस सम्मेलन में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कलकत्ता हाईकोर्ट में जजों की तय क्षमता के मुकाबले कम संख्या और पेंडिंग मुकदमों का मामला जोर-शोर से उठाया. 

कार्यक्रम के दौरान जिस छह नंबर हॉल में मीडियाकर्मी मौजूद थे. वहां संयोग से सम्मेलन का ऑडियो आ रहा था. अधिकारियों को शायद इसका भान नहीं था. कार्यक्रम के दौरान ममता बनर्जी बरस रही थीं कि केस पेंडेंसी की टेंडेंसी है. हाईकोर्ट में क्या और निचली अदालतों में क्या? हर जगह पेंडिंग की ट्रेडिंग है. हर जगह दिक्कत है. 

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कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि कोर्ट परिसर अब छोटा पड़ने लगा है. कोर्ट रूम भी छोटे और कम हैं. 72 जजों की क्षमता के मुकाबले 38 ही जज सेवारत हैं. 
 
मुख्यमंत्रियों और चीफ जस्टिस के सम्मेलन में चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने कहा कि हाईकोर्ट में भी इमारतों और बुनियादी ढांचे की कमी है. इसी तरह इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने भी बुनियादी ढांचे की लचर व्यवस्था का जिक्र किया. उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में पार्किंग की दिक्कत, वकीलों के चेंबर और मल्टीलेवल पार्किंग का मुद्दा उठाया.  

 

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