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बंगाल: उम्मीदवारों की सूची तैयार करते समय TMC के दो गुटों में झड़प, 14 घायल

पश्चिम बंगाल में 8 जुलाई को पंचायत चुनाव होने हैं. इसके लिए ही टीएमसी के नेताओं की मुर्शिदाबाद में बैठक चल रही थी. मीटिंग के दौरान ही कैंडिडेट लिस्ट तैयार करने के मुद्दे को लेकर नेताओं में बहस हो गई. आगे जाकर यह बहस झड़प में तब्दील हो गई. इसमें 14 लोग घायल हो गए.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों का ऐलान हो चुका है. राज्य में 8 जुलाई को मतदान होना है, जिसके नतीजे 11 जुलाई को आएंगे. वहीं, नामांकन भरने की आखिरी तारीख 15 जून है. इन चुनावों को लेकर मुर्शिदाबाद के सालार में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के दो गुट आपस में भिड़ गए.

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दरअसल, यहां पंचायत चुनाव के लिए उम्मीदवारों की सूची तैयार की जा रही थी. इस दौरान ही दो गुटों में बहस हुई और बहस के बाद झड़प हो गई. इस घटना में 14 लोग घायल हो गए, जिन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

जानकारी के मुताबिक झड़प भरतपुर के विधायक हुमायूं कबीर और सालार के टीएमसी ब्लॉक प्रेसिडेंट के समर्थकों के बीच हुई. इस झड़प में घायल 14 लोगों को स्थानीय अस्पताल में भर्ती किया गया. एक दिन पहले (8 जून) ही राज्य के चुनाव आयोग ने बंगाल पंचायत चुनाव का बिगुल बजाया है. 

बता दें कि विपक्षी दलों ने पंचायत चुनाव को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इस पर कल फैसला आया है. हाईकोर्ट ने विपक्षी दलों की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य चुनाव आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के निर्देश दिए गए थे. कलकत्ता हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि मतदाताओं का विश्वास आयोग में होना चाहिए.

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गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद के 3317 प्रतिनिधि चुनने के लिए राज्य चुनाव आयोग की ओर से अधिसूचना जारी की गई थी. विपक्षी दलों ने राज्य चुनाव आयोग की ओर से अधिसूचना जारी किए जाने के बाद इसे लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

2024 का लिटमस टेस्ट माने जा रहे पंचायत चुनाव

अगले साल आम चुनाव होने हैं. ऐसे में आम चुनाव से कुछ महीने पहले होने जा रहे पंचायत चुनाव आम चुनाव का लिटमस टेस्ट माने जा रहे हैं. पिछले पंचायत चुनाव की बात करें तो साल 2018 में टीएमसी के उम्मीदवार 34 फीसदी सीटों पर निर्विरोध जीते थे. पंचायत चुनाव के नतीजों के बाद पश्चिम बंगाल में हिंसा भड़क उठी थी. पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के बाद भड़की हिंसा को लेकर बीजेपी समेत लगभग हर विपक्षी दल ने टीएमसी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. विपक्ष ने हिंसा को टीएमसी प्रायोजित बताया था.

इस बार तस्वीर पिछले चुनाव से अलग

पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में इस बार तस्वीर 2018 के चुनाव से अलग है. 2024 के आम चुनाव को देखते हुए पश्चिम बंगाल में सभी चार बड़ी पार्टियां पूरी ताकत के साथ चुनाव मैदान में उतर रही हैं. तृणमूल कांग्रेस ने 2021 के विधानसभा चुनाव में स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की थी लेकिन पार्टी के कई नेताओं को भ्रष्टाचार के मामलों में केंद्रीय एजेंसियां गिरफ्तार कर चुकी हैं. हाल ही में ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी को भी ईडी ने पूछताछ के लिए समन किया था. भ्रष्टाचार के मामलों में नेताओं की गिरफ्तारी, शीर्ष नेताओं से जारी पूछताछ की वजह से टीएमसी बैकफुट पर है.

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पंचायत चुनाव को गंभीरता से ले रही टीएमसी

पश्चिम बंगाल में होने जा रहे पंचायत चुनाव को सत्ताधारी टीएमसी कितनी गंभीरता से ले रही है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पार्टी में नंबर दो माने जाने वाले अभिषेक बनर्जी ने करीब दो महीने पहले ही जन संजोग यात्रा शुरू कर दी थी. उत्तर बंगाल से दक्षिण बंगाल तक अभिषेक बनर्जी की ये यात्रा भीड़ को वोट में कितना बदल पाती है, ये तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे.

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