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अजित पवार की एंट्री से शिंदे खेमे में बेचैनी, मंत्रियों ने NCP को सरकार में शामिल करने पर जताई नाराजगी

महाराष्ट्र में रविवार को अचानक हुए शपथ ग्रहण को जहां बीजेपी के मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा है तो यह भीतरखाने सीएम एकनाथ शिंदे के लिए चुनौतियों भरा भी हो सकता है. अजित पवार की एंट्री के बाद से शिंदे खेमे में बेचैनी का माहौल है. सोमवार को शिंदे गुट के मंत्रियों ने सीएम से मुलाकात कर इस फैसले पर नाराजगी जाहिर की है.

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सीएम एकनाथ शिंदे के खेमे में है बेचैनी (फाइल फोटो)
सीएम एकनाथ शिंदे के खेमे में है बेचैनी (फाइल फोटो)

महाराष्ट्र में रविवार को अजित पवार के साथ एनसीपी नेता सरकार में शामिल हो गए. इससे प्रत्यक्ष तौर पर सरकार और बीजेपी की ताकत तो बढ़ी, लेकिन परोक्ष रूप से शिंदे खेमे में एक बेचैनी सी भी है. शिंदे गुट के सभी मंत्रियों ने सोमवार सुबह सीएम शिंदे से ठाणे स्थित उनके निजी आवास पर मुलाकात की.

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इस दौरान कैबिनेट मंत्री उदय सामंत, गुलाबराव पाटिल, शंभूराज देसाई के साथ शिंदे गुट के नेता दादा भुसे, संदीपन भुमरे मौजूद थे. सभी ने सीएम शिंदे के साथ एक संक्षिप्त बैठक की जिसमें उन्होंने विभागों के संभावित वितरण पर चर्चा की. इसके साथ ही उन्होंने अजित पवार और उनके वफादारों को सरकार में शामिल करने के फैसले पर भी नाराजगी जताई.

एनसीपी के शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल होने के एक दिन बाद, सीएम शिंदे को ठाणे में अपने निजी आवास पर अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं से मुलाकात करते देखा गया. साथ ही, इस दौरान सीएम शिंदे किसी भी आधिकारिक सरकारी बैठक या कार्यक्रम में भाग लेने के बजाय पूरे दिन ही संगठनात्मक गतिविधियों में ही मशगूल रहे. 

निराधार नहीं है शिंदे खेमे की बेचैनी

शिंदे खेमे के बीच बेचैनी की वजह निराधार नहीं है. असल में, शिंदे-फडणवीस सरकार ने इसी 30 जून को ही एक साल पूरा किया था, लेकिन अभी भी राज्य में 23 कैबिनेट खाली हैं. अजित पवार की बगावत और एनडीए में उनकी एंट्री का प्रकरण को अनायास ही सामने आया, नहीं तो यह लगभग तय था कि महाराष्ट्र सरकार जुलाई में कैबिनेट विस्तार करने जा रही है. ऐसी खबरें पुख्ता तौर पर सामने आई थीं. जाहिर तौर पर अगर कैबिनेट विस्तार सिर्फ भाजपा-शिवसेना के बीच होता तो शिंदे गुट के नेता-विधायकों को विभाग मिलते. 

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पवार के साथ आए लोगों ने ली मंत्री पद की शपथ
लेकिन, पवार ने जब एनडीए में एंट्री ली तो उनके साथ 9 नेताओं ने आते ही मंत्री पद की शपथ ले ली है. खबरें थीं कि शिवसेना और भाजपा दोनों अपने विधायकों को समायोजित करने और आगामी चुनावों से पहले उन्हें बरकरार रखने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. कैबिनेट विस्तार की चर्चाओं के बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस दोनों 29 जून को देर रात दिल्ली पहुंचे. सूत्रों के अनुसार, दोनों ने भाजपा के शीर्ष नेता के साथ एक बैठक की जिसमें उन्होंने चर्चा की और पोर्टफोलियो वितरण को अंतिम रूप दिया.

अब ताजा प्रकरण और बदले समीकरण के बाद पहले से तैयार पोर्टफोलियो विवरण तो धरा रह गया. पवार गुट को भी साधे रखने के लिए नए तरीके से समायोजन हो सकता है और ऐसे में शिंदे गुट के कई नेता आशंकित हैं कि कैबिनेट विस्तार में उन्हें कुछ हासिल होगा या नहीं. यही वजह है कि शिंदे खेमे में सत्ता समीकरण के बदले माहौल के बाद बेचैनी देखी जा रही है. 

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पवार से पहले कैबिनेट में थे 20 मंत्री
अजित पवार की एंट्री से पहले महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री और उनके उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस समेत केवल 20 मंत्री थे. हालांकि इसमें अधिकतम 43 सदस्य हो सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक एकनाथ शिंदे को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शिवसेना से एक कैबिनेट मंत्री और एक राज्य मंत्री बनने की उम्मीद थी.

मनाई गई गुरु पूर्णिमा
उधर, सोमवार को सीएम एकनाथ शिंदे ने अपने सभी विधायकों और सांसदों को सोमवार दोपहर 3 बजे दादर के शिवाजी पार्क में दिवंगत शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे के स्मारक पर इकट्ठा होने का आह्वान किया था. गुरु पूर्णिमा के मौके पर सीएम शिंदे ने दिवंगत शिवसेना नेता और अपने राजनीतिक गुरु आनंद दिघे के ठाणे स्थित घर आनंद आश्रम का दौरा किया और फिर आशीर्वाद लेने के लिए दादर के शिवाजी पार्क में बालासाहेब ठाकरे के स्मारक भी गए. 

 

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