असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा अब मुस्लिम समुदाय के भीतर जनसंख्या नियंत्रण के अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए मुस्लिम बुद्धिजीवियों का समर्थन हासिल कर रहे हैं. 4 जुलाई को 'धार्मिक अल्पसंख्यकों के सशक्तिकरण के लिए बातचीत और चर्चा' मुद्दे पर बातचीत होगी.
इस दौरान सीएम हिमंत बिस्वा सरमा दो घंटे की अवधि में 150 मुस्लिम बुद्धिजीवियों और प्रतिष्ठित नागरिकों के साथ बातचीत करेंगे. विभिन्न विषयों समेत मुसलमानों के जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन पर भी विचार-मंथन किया जा सकता है.
बता दें कि मुस्लिम वर्तमान में असम की आबादी का लगभग 35% हिस्सा हैं. इससे पहले मीडिया से बात करते हुए, सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने मुस्लिम समुदाय के भीतर जनसंख्या वृद्धि को "खतरनाक" कहा था. उन्होंने बताया था कि 2001 की जनगणना के अनुसार, जबकि राज्य में हिंदू आबादी पिछले दशक में 16% की दर से बढ़ी और 2011 की जनगणना में 10% की वृद्धि दर तक गिर गई, राज्य की मुस्लिम आबादी में लगातार 29% की वृद्धि हुई.
रविवार को मुस्लिमों के साथ होने वाली बैठक में असम के सीएम भाग लेने वाले हैं. इसमें मुस्लिम बुद्धिजीवियों को आठ ग्रुप्स में बांटा गया है, जो स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवार नियोजन, मुस्लिम महिलाओं के वित्तीय समावेशन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में काम करेंगे, ताकि जनसंख्या नियंत्रण को "प्रोत्साहित" किया जा सके.
शुक्रवार को दिल्ली के दौरे के दौरान 'आजतक' से बात में हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, "मेरा मॉडल (मुस्लिम) समुदाय तक पहुंच रहा है और उनके साथ काम कर रहा है और फिर भी मेरी विचारधारा के साथ मजबूती से खड़ा है."
गौरतलब है कि इससे पहले उन्होंने राज्य में विधान सभा के आगामी बजट सत्र में दो-बच्चों की नीति के लिए एक नया कानून लाने का संकेत दिया था. सीएम हिमंत बिस्वा सरमा का दावा है कि मुस्लिम समुदाय उनके प्रस्तावों के साथ है. उनका कहना है कि उन्हें ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट यूनियन (AAMSU) के दोनों गुटों का समर्थन प्राप्त है, जो पिछले महीने उनसे मिले थे. सरमा कहते हैं, "असम को आर्थिक और सामाजिक रूप से उन्नत राज्य के रूप में तब तक नहीं जाना जाएगा, जब तक आप इन लोगों (मुसलमानों) की जीवन स्थिति को नहीं बदलते."