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मणिपुर से म्यांमार भागे 212 लोगों की हुई वापसी, सीएम बीरेन सिंह ने सेना का जताया आभार

मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने शुक्रवार को एक्स (ट्वीट) पर एक पोस्ट में मोरेह से पड़ोसी देश म्यांमार भाग गए 200 से अधिक भारतीयों को सुरक्षित घर लाने के लिए भारतीय सेना को धन्यवाद किया है. उन्होंने कहा कि जो 212 भारतीय नागरिक 3 मई को मणिपुर के मोरेह शहर में अशांति के बाद म्यांमार चले गए थे, अब सुरक्षित रूप से भारतीय धरती पर वापस आ गए हैं.

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मणिपुर सीएम एन बीरेन सिंह (फाइल फोटो)
मणिपुर सीएम एन बीरेन सिंह (फाइल फोटो)

मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने शुक्रवार को एक्स (ट्वीट) पर एक पोस्ट में कहा कि 3 मई को जातीय हिंसा भड़कने पर मणिपुर के सीमावर्ती शहर मोरेह से पड़ोसी देश म्यांमार भाग गए 200 से अधिक भारतीय सुरक्षित घर लौट आए हैं. सीएम ने भारतीयों (सभी मैतेई समुदाय) को सुरक्षित घर लाने के लिए भारतीय सेना को धन्यवाद किया है. सीएम बीरेन सिंह ने पोस्ट में कहा, "इन लोगों को घर लाने के लिए भारतीय सेना का बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार. जीओसी पूर्वी कमान, लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता, जीओसी 3 कॉर्प, लेफ्टिनेंट जनरल एचएस साही और 5 एआर के सीओ, कर्नल राहुल जैन का बहुत शुक्रिया. 

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इम्फाल से 110 किमी दूर है मोरेह
उन्होंने कहा कि जो 212 भारतीय नागरिक 3 मई को मणिपुर के मोरेह शहर में अशांति के बाद म्यांमार चले गए थे, अब सुरक्षित रूप से भारतीय धरती पर वापस आ गए हैं. मणिपुर की राजधानी इम्फाल से लगभग 110 किमी दूर स्थित मोरेह हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में से एक था.

मोरेह कुकी-मैतेई और तमिलों की मिश्रित आबादी 
मोरेह में कुकी, मैतई और यहां तक कि तमिलों की मिश्रित आबादी रहती है. यहां अन्य समुदाय के भी लोग हैं. मुख्यमंत्री ने साथ ही ये भी कहा कि जातीय-संघर्ष से ग्रस्त राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. मोरेह में कुकी, मैतई और यहां तक कि तमिलों की मिश्रित आबादी रहती है. यहां अन्य समुदाय के भी लोग हैं. मुख्यमंत्री ने साथ ही ये भी कहा कि जातीय-संघर्ष से ग्रस्त राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. 

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हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में एक था मोरेह
मोरेह, मणिपुर की राजधानी इम्फाल से लगभग 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जब चुराचांदपुर जिले में 3 मई को पहाड़ी बहुसंख्यक कुकी-ज़ो-चिन जनजातियों की रैली के बाद हिंसा तेज हुई थी, तो मोरेह भी हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में से एक था. इस हिंसा के समय जब पहाड़ी-बहुसंख्यक कुकी-ज़ो-चिन जनजातियों का एक प्रदर्शन रैली हुआ था, तो घाटी-बहुसंख्यक मैतेई जनजाति की दिशा में अधिकांशता की मांग थी कि उन्हें अनुसूचित जनजाति (एसटी) की स्थिति दी जाए।

मैतेई लोगों ने की सुरक्षा की मांग
मोरेह में कुकी, मैतेई और तमिल समुदायों की मिश्रित आबादी थी, जिनकी जड़ें औपनिवेशिक काल से चली आ रही हैं, और हजारों अन्य समुदायों से थीं. मुख्यमंत्री ने यह नहीं कहा कि क्या मैतेई लोग मोरेह में अपनी बची हुई संपत्ति पर लौट आए हैं, या फिर उन्हें इम्फाल घाटी में स्थानांतरित किया गया है. जातियों के विवाद के बाद, कुकी-ज़ो-चिन जनजातियां मणिपुर से अलग एक अलग प्रशासन बनाने की मांग कर रही हैं, उनका कहना है कि अब मैतेई लोगों के साथ रहना असंभव है. वहीं, कुछ मैतेई लोग जो कुकी-बहुल पहाड़ी इलाकों में रहते थे, उन्होंने सुरक्षा के साथ घर भेजे जाने की मांग की है. 


 

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