अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने विभिन्न सरकारी परीक्षाओं में भ्रष्टाचार के दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है. लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाओं में 42 सरकारी अधिकारी भ्रष्टाचार के दोषी पाए गए थे. सीएम खांडू ने शुक्रवार को बताया कि इन अधिकारियों को बर्खास्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. विधानसभा में बजट चर्चा के दौरान खांडू ने यह भी बताया कि 2017 के बाद से अरुणाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा 11 परीक्षाएं आयोजित की गईं थी. इसमें 42 सरकारी अधिकारियों सहित कुल 54 लोगों को कथित तौर पर गिरफ्तार किया गया जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे.
लिया सख्त एक्शन
पेपर लीक के मामले को अमानवीय करार देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार राज्य पुलिस के विशेष जांच प्रकोष्ठ (एसआईसी) से मामले की जांच कराई और कथित अनियमितताओं पर सख्त एक्शन लिया. बाद में मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी. एजेंसी ने पिछले साल नौ दिसंबर को आठ लोगों के खिलाफ और 30 जनवरी को एक व्यक्ति के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था. खांडू ने बताया कि सरकार ने फरवरी में पैन अरुणाचल संयुक्त संचालन समिति (पीएजेएससी) के साथ एक बैठक के बाद, गुवाहाटी उच्च न्यायालय को पत्र लिखकर मांग की थी कि एपीपीएससी पेपर लीक मामले में एक विशेष फास्ट-ट्रैक अदालत बनाई जाए.
यूपीएससी के जवाब का इंतजार
उन्होंने कहा, 'उच्च न्यायालय ने सकारात्मक जवाब दिया और एपीपीएससी पेपर लीक मामलों की सुनवाई के लिए जिला और सत्र न्यायालय, यूपिया को एक विशेष फास्ट-ट्रैक अदालत के रूप में नामित करने पर सहमति प्रदान की है.' यूपीएससी द्वारा परीक्षा कराने की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस मुद्दे को पहले ही उठा चुकी है और UPSC के जवाब का इंतजार कर रही है. उन्होंने कहा, 'यह इस बात पर निर्भर करेगा कि यूपीएससी परीक्षा आयोजित करने के लिए सहमत होगा या नहीं. यदि वे सहमत नहीं होते हैं, तो हमें परीक्षा की व्यवस्था के लिए एक नए आयोग का गठन करना होगा.' उन्होंने बताया कि एपीपीएससी के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्तियां हाल ही में रद्द की जा चुकी हैं.
रद्द होगी परीक्षा?
एपीपीएससी द्वारा आयोजित सभी परीक्षाओं रद्द घोषित करने की पीएजेएससी की मांग और उम्मीदवारों के माता-पिता द्वारा इसका विरोध करने का जिक्र करते हुए खांडू ने स्पष्ट किया, 'सरकार के पास परीक्षाओं को रद्द करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि एपीपीएससी एक स्वायत्त निकाय है. सरकार नए आयोग से फैसला करने के लिए कहेगी और जरूरत पड़ने पर वह सरकार से सुझाव मांग सकती है.'
पेपर लीक की घटना तब सामने आई जब एक उम्मीदवार ने पिछले साल 29 अगस्त को ईटानगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि उसे संदेह है कि सहायक अभियंता (सिविल) परीक्षा का पेपर लीक हो गया है. पिछले साल 26 और 27 अगस्त को हुई परीक्षा में 400 से ज्यादा उम्मीदवार शामिल हुए थे.