केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के डीपफेक वीडियो मामले में दिल्ली पुलिस लगातार एक्शन ले रही है. इस मामले में तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी समेत 16 लोगों को बुधवार को पूछताछ के लिए बुलाया गया है. हालांकि, तेलंगाना के सीएम और बाकी चार नेताओं के वकील की तरफ से मेल के जरिए वक्त मांगा गया है. इन नेताओं ने आज दिल्ली आने में असमर्थता जताई है. इस बीच, दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 12 और लोगों को नोटिस भेजा है.
सूत्रों के मुताबिक, तेलंगाना के सीएम समेत चारों नेताओं ने कुछ दिन की मोहलत मांगी है. दिल्ली पुलिस की IFSO यूनिट ने तेलंगाना के कांग्रेस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री समेत कुल पांच लोगों को नोटिस दिया था. नोटिस में 1 मई की सुबह 10.30 बजे आने के लिए कहा गया था. लेकिन उसके पहले ही वकील के द्वारा कुछ दिन की मोहलत मांगी गई है. IFSO यूनिट ने कुल 16 लोगों को नोटिस दिया था. इन सभी लोगों को अपने मोबाइल और गैजेट्स डिवाइस लेकर आने के निर्देश दिए गए हैं.
'तेलंगाना की जनता से माफी मांगें सीएम'
इस विवाद पर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है. बीजेपी ने कांग्रेस पर एडिटेड वीडियो वायरल करने का आरोप लगाया है. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि मैंने जो बोला था, उसकी पूरी रिकॉर्डिंग है. कांग्रेस मेरा फेक वीडियो फैला रही है. कांग्रेस झूठ और भ्रम फैला रही है. आरक्षण और संविधान पर भ्रम फैलाया जा रहा है. बीजेपी एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण के पक्ष में है. वहीं, बीआरएस नेता केटी रामाराव ने कहा, फेक न्यूज फैलाने में खुद सीएम शामिल हैं. सीएम लोगों को गुमराह कर रहे हैं. दिखावे के लिए कुछ भी झूठ बोल रहे हैं. सीएम को तेलंगाना की जनता से माफी मांगनी चाहिए.
'दिल्ली पुलिस के सामने आज पेश होने के आदेश'
बता दें कि इससे पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता रेवंत रेड्डी समेत कुल 16 लोगों को मामले के जांच अधिकारी (आईओ) के सामने पेश होने के लिए नोटिस जारी किया गया था. हालांकि, सूत्रों ने बताया कि रेड्डी के जांच में शामिल होने की संभावना नहीं है. वे अपना प्रतिनिधि भेज सकते हैं. रेड्डी और तेलंगाना कांग्रेस के चार अन्य लोगों को अपने मोबाइल फोन, लैपटॉप, टैबलेट या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के साथ पेश होने के लिए कहा गया है.
'पुलिस बोली- डिवाइस की जांच करना जरूरी'
पुलिस को आशंका है कि डिवाइस की जांच करना इसलिए जरूरी है, क्योंकि इससे साफ हो सकेगा कि कैसे वीडियो बनाया और अपलोड किया गया या अपने फोन के जरिए एक्स पर पोस्ट किया गया है. पुलिस ने कहा कि वो पहली बार वीडियो अपलोड करने वाले आरोपी की पहचान करने की कोशिश में है.
'आईओ के पास भेज सकते हैं कानूनी प्रतिनिधि'
सूत्रों के मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 160/91 के तहत नोटिस दिया जाता है, तो वो व्यक्ति या तो आईओ के सामने खुद उपस्थित हो सकता है या कानूनी प्रतिनिधि भेज सकता है. पुलिस ने रेड्डी को मुख्यमंत्री के रूप में नहीं, बल्कि तेलंगाना कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में तलब किया है. एक अधिकारी ने बताया कि आईओ को अभी भी वीडियो के सोर्स के बारे में जानकारी का इंतजार है.
'आज फिर 12 लोगों को दिया गया है नोटिस'
सूत्रों ने बताया कि बुधवार को जिन 12 लोगों को नोटिस दिया गया, वे विपक्षी दलों के हैं. कर्नाटक के शिवमोग्गा में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस समेत विपक्षी दलों पर विभाजनकारी राजनीति में शामिल होने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, कुछ दिन पहले एक वीडियो आया था और वे यह धारणा और माहौल बनाने की कोशिश कर रहे थे कि बीजेपी एससी, एसटी और ओबीसी के खिलाफ है और अगर हम सत्ता में आए तो इन समुदायों के लिए आरक्षण खत्म हो जाएगा. वे एक मनगढ़ंत वीडियो लेकर आए. लोगों और मीडिया ने INDI गठबंधन के डीपफेक वीडियो को उजागर किया. दुखद यह है कि फर्जी वीडियो तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी के फोन से सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया था और INDI गठबंधन के सभी सहयोगियों ने इसे वायरल करने की कोशिश की थी.
कांग्रेस महासचिव संचार जयराम रमेश ने सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधा और कहा, दिल्ली पुलिस का तेलंगाना के मुख्यमंत्री को समन जारी करना स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के ताबूत में एक और कील है.
'कांग्रेस ने भी बीजेपी नेताओं को दी चेतावनी'
रविवार को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने एडिटेड किए गए वीडियो के बारे में एफआईआर दर्ज की थी. दिल्ली पुलिस के नोटिस पर सोमवार को कांग्रेस ने भी चेतावनी दी है और भाजपा नेताओं के खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई की बात कही है. जबकि बीजेपी ने कांग्रेस के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है. बीजेपी का कहना है कि फर्जी और एडिटेड किया वीडियो वायरल किया गया है.