देश के दो उत्तर पूर्वी राज्य असम और मिजोरम के बीच (Assam-Mizoram Dispute) विवाद शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. असम के साथ बीते हफ्ते हुई हिंसक झड़प को लेकर मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथंगा (Zoramthanga) ने आज तक से खास बात की. उन्होंने बताया कि इस झड़प की शुरुआत कैसे हुई थी? उनका कहना है कि असम पुलिस (Assam Police) ने पहले मिजोरम पुलिस की चौकी पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद असम पुलिस ने स्थानीय लोगों पर आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया.
उन्होंने बताया, "24 जुलाई को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के साथ हुई बैठक में हमने इस मुद्दे को शांति से सुलझाने का फैसला लिया और दोनों मुख्यमंत्री सहमत हुए. लेकिन 26 जुलाई को असम पुलिस के 200 जवानों ने मिजोरम पुलिस की चौकी पर कब्जा कर लिया. अगर एक पुलिस दूसरे पुलिस की चौकी पर कब्जे की कोशिश करती है तो ये सही नहीं है."
ऐसे शुरू हुई झड़प
उन्होंने बताया, "असम पुलिस ने जब चौकी पर कब्जा कर लिया, तो मिजोरम पुलिस असम कमांडर के साथ बात करने आई. तभी स्थानीय लोग लाठी लेकर नीचे आए. असम पुलिस ने उन पर आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया. यहां तक कि पुलिस ने लोगों पर लाइट मशीन गन का भी इस्तेमाल किया."
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आगे उन्होंने कहा, "जब असम पुलिस की ओर से फायरिंग हो रही थी तो मिजोरम पुलिस ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी. फायरिंग के दौरान मिजोरम के एसपी मुश्किल से अपनी जान बचा सके. मिजोरम के दो लोग भी घायल हुए हैं."
मुख्यमंत्री जोरामथंगा ने आगे कहा, "खेद इस बात का है कि शिलॉन्ग में गृहमंत्री के साथ बैठक के दो दिन बाद ही असम पुलिस ने मिजोरम, अरुणाचल और मेघालय में सिर्फ एक दिन में तीन हमले किए. असम सरकार अवैध ड्रग्स और पशु तस्करी का हवाला दे रही है, लेकिन उनके तर्क में दम नहीं है." उन्होंने बताया कि गृहमंत्री के साथ बैठक में असम और मिजोरम ने इस मुद्दे को सुलझाने का फैसला लिया है.
उन्होंने कहा, "असम ने मिजोरम के खिलाफ नाकाबंदी कर दी है. केंद्र सरकार को तुरंत इसमें दखल देना चाहिए. ये दूसरा बर्लिन नहीं बनना चाहिए." उन्होंने उम्मीद जताई कि नाकेबंदी को लेकर केंद्र सरकार इसमें दखल देगी.