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राजस्थान में शहर-शहर सांप्रदायिक तनाव, एक महीने में 5वां शहर आया जद में

सवाल ये उठ रहा है कि आखिर राजस्थान में शहर दर शहर सांप्रदायिक हिंसा का जहर क्यों फैल रहा है? कहीं इसका कनेक्शन करीब आते विधानसभा चुनावों से तो नहीं है? अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं. 

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communal tension in Rajasthan
communal tension in Rajasthan
स्टोरी हाइलाइट्स
  • राजस्थान में सांप्रदायिक हिंसा की घटना बढ़ गई है
  • राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं

राजस्थान में लगातार सांप्रदायिक हिंसा के चलते हालात तनावपूर्ण है. एक महीने के दौरान राज्य के 5 जिलों में सांप्रदायिक घटनाएं हुईं हैं. करौली, अलवर, जोधपुर, भीलवाड़ा के बाद अब हनुमानगढ़ में झड़प हुई है. ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि आखिर राजस्थान में शहर दर शहर सांप्रदायिक हिंसा का जहर क्यों फैल रहा है? कहीं इसका कनेक्शन करीब आते विधानसभा चुनावों से तो नहीं है? अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं. 

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करौली

राजस्थान के करौली में हिंसा 2 अप्रैल को हुई थी जब कुछ लोगों ने हिंदू नव वर्ष के अवसर पर एक बाइक रैली पर कथित तौर पर पथराव किया था. कई वाहनों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया था. हिंसा में 35 से अधिक लोग घायल हुए थे. बिगड़ते हालात को देखते हुए शहर में पहले धारा 144, कर्फ्यू और फिर इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई थी. मामले में पुलिस ने वीडियो फुटेज, कॉल, लोकेशन आदि के आधार पर अब तक लगभग 144 आरोपियों को चिंहित किया था. हिंसा के मुख्य आरोपियों में जयपुर ग्रेटर नगर निगम मेयर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम गुर्जर, हिंदू सेना के प्रदेश अध्यक्ष साहब सिंह गुर्जर का भी नाम था. 

अलवर

करौली के बाद 22 अप्रैल को अलवर जिले में बुलडोजर से मंदिर तोड़ने के बाद विवाद हो गया. इससे जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें बुलडोजर से एक मंदिर को तोड़ते हुए दिखाया जा रहा था. ये वीडियो राजस्थान के अलवर जिले में राजगढ़ नगर पालिका की ओर से हुई कार्रवाई का था. इस कार्रवाई के पांच दिन बाद तक किसी तरह की चर्चा और ना ही किसी तरह का विरोध देखने को मिला. लेकिन जब इससे जुड़ा वीडियो वायरल हुआ तो मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गया. बीजेपी ने इस कार्रवाई का विरोध किया और अशोक गहलोत सरकार को दोषी ठहराया. वहीं, गहलोत सरकार ने बताया कि नगर पालिका के आदेश पर ये कार्रवाई हुई थी. कांग्रेस भी इस विवाद पर मुखर हो गई थी. 

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जोधपुर

राजस्थान के जोधपुर में 2 मई को ईद के मौके पर जमकर बवाल हुआ था. दरअसल, ईद और परशुराम जयंती एक साथ मनाई जा रही थी और परशुराम जयंती के मौके पर रैली निकाली गई थी. इस बीच जालोरी गेट पर झंडे और लाउडस्पीकर को लेकर विवाद शुरू हुआ, जो दो दिन तक चला. घटना के बाद CM अशोक गहलोत ने हाई लेवल मीटिंग की और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया. हिंसा के बाद प्रशासन ने दस थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया था. दो दिन तक चले बवाल पर पुलिस ने 33 प्रकरण दर्ज किए, जबकि  250 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था. 

भीलवाड़ा

भीलवाड़ा शहर के कोतवाली थाना क्षेत्र में एक युवक हत्या के बाद तनाव हो गया था. 10 मई को भीलवाड़ा के शास्त्रीनगर क्षेत्र में ब्रह्माणी स्वीट्स के पास कथित रूप से दूसरे समुदाय के कुछ लोगों ने चाकू मारकर 22 साल के युवक आदर्श तापड़िया को गंभीर रूप से घायल कर दिया. अस्पताल पहुंचने तक आदर्श तापड़िया की मौत हो गई थी. युवक की हत्या की सूचना मिलते ही विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता, विधायक और स्थानीय लोग जिला अस्पताल में जमा हो गए. तनाव को देखते हुए शहर के पांचों थाना क्षेत्रों में एसटीएफ और आरएसी के जवान तैनात किए गए. बाद में विश्व हिंदू परिषद, भारतीय जनता पार्टी और हिंदू जागरण मंच ने भीलवाड़ा बंद की घोषणा की थी.

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हनुमानगढ़

11 मई को हनुमानगढ़ में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के स्थानीय नेता पर हमला हुआ था. इसके बाद माहौल गर्मा गया. हमले के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने सड़क को जाम कर दिया था. दरअसल, विश्व हिंदू परिषद (VHP) नेता सतवीर सहारण से एक महिला ने शिकायत की थी कि मंदिर के पास कुछ लड़के बैठते हैं और छेड़छाड़ करते हैं. इसी के बाद पूरा विवाद शुरू हुआ था. आक्रोशित लोगों ने प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस मामले में दो लोग पुलिस की गिरफ्त में आए हैं. 

हिंसा का चुनावी कनेक्शन क्या है?

वहीं, राजस्थान में हिंसक घटनाओं के बाद गहलोत सरकार विपक्ष के निशाने पर हैं. 2023 के आखिर में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके बाद 2024 का लोकसभा चुनाव है. राज्य में जीत और हार ना सिर्फ विधानसभा के समीकरण पर असर डालेगी बल्कि लोकसभा की सीटों पर भी प्रभाव पड़ेगा. सूबे की राजस्थान की राजनीति में कहा जाता है कि हर पांच साल में सत्ताधारी पार्टी बदल जाती है. इस लिहाज से देखें तो बीजेपी साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी के सपने जरूर देख रही होगी. ऐसे में राजस्थान में जिस तरह का सांप्रदायिक तनाव बनी है, उससे कांग्रेस की चिंता बढ़ गई है. इसके पीछे वजह ये है कि बीजेपी सांप्रदायिक हिंसा को मुद्दा बना दिया है और गहलोत सरकार पर तुष्टीकरण के आरोप लगा रही है.

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