छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. जैसा कि पहले से तय था, ये वे निश्चित सीटें हैं जिन्हें कांग्रेस ने 2018 में बड़े बहुमत के साथ जीता था और सभी सत्तारूढ़ कैबिनेट मंत्रियों को उनकी सीटों से बरकरार रखा गया है.
डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव को उनके गढ़ अंबिकापुर से और भूपेश बघेल को पाटन में विजय बघेल के खिलाफ लड़ने के लिए बरकरार रखा गया है. रुद्र गुरु अहिवारा के बजाय नवागढ़ से लड़ेंगे जहां से उन्होंने 2018 में चुनाव लड़ा था.
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने लिस्ट जारी होने के बाद इस पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि, 'कांग्रेस ने शुभ समय पर अपनी पहली लिस्ट जारी है. यह नवरात्रि का शुभ समय है. सूची जारी करने के लिए नवरात्र का पहला दिन ही तय किया गया था. अंबिकापुर से डीईओ टीएस सिंह, दुर्ग ग्रामीण से ताम्रध्वज साहू और सक्ती से चरण दास महंत जैसे दिग्गजों को भी टिकट दिया गया है.
छत्तीसगढ़ में 30 में से 14 सीटें एसटी समुदाय को दी गई हैं. वहीं एससी की तीन सीटें हैं. सिर्फ तीन महिलाओं को टिकट दिया गया है. कांग्रेस ने पार्टी के आंतरिक सर्वेक्षण के अनुसार उन विधायकों को टिकट दिया है जो अपनी सीटों पर सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रहे थे.
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस से ये उम्नीदवार ठोक रहे हैं ताल
1. भूपेश बघेल: छत्तीसगढ़ के काका और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को उनके दूर के भतीजे विजय बघेल के खिलाफ पाटन से टिकट दिया गया है. उन्होंने 2003 से पाटन का प्रतिनिधित्व किया है. वह 2014-2019 तक पीसीसी प्रमुख रहे हैं. उन्होंने अविभाजित मध्य प्रदेश की दिग्विजय सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में भी काम किया है.
2. टीएस सिंह देव: टी एस सिंह देव 2008 में पहली बार अंबिकापुर विधानसभा से चुनाव लड़े थे तब से अब तक लगातार तीन बार से कांग्रेस अपना उम्मीदवार अंबिकापुर से बनाया है और वह लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं , टी एस सिंह देव भूपेश बघेल कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री हैं वह पार्टी ने कुछ महीने पूर्व उन्हें छत्तीसगढ़ का पहला उपमुख्यमंत्री बनाया है , टी एस सिंह देव का प्रभाव सरगुजा संभाग के सभी 14 सीट पर है. टी एस सिंह देव सरगुजा के महाराज भी हैं. भूपेश बघेल टी एस सिंह देव को महाराज साहब बोलकर संबोधित करते हैं.
3. अमरजीत भगत: अमरजीत भगत सीतापुर विधानसभा से लगातार पांचवीं बार कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया है वर्तमान में अमरजीत भगत भूपेश बघेल के कैबिनेट में खाद्य एवं संस्कृति मंत्री हैं . लगातार चार बार से सीतापुर विधानसभा चुनाव जीतते आ रहे हैं .
4. मोहन मरकाम: 2019-23 के बीच पूर्व पीसीसी प्रमुख और सबसे प्रमुख आदिवासी चेहरा, जो कोंडागांव विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं, बस्तर क्षेत्र-दक्षिण छत्तीसगढ़ में सबसे पुरानी पार्टी का एक प्रमुख आदिवासी चेहरा हैं. दो बार के विधायक, मरकाम जून 2019 से छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी का नेतृत्व कर रहे थे.
दीपक बैज के पीसीसी प्रमुख के रूप में पदभार संभालने के बाद, मोहन मरकाम को बघेल कैबिनेट में शामिल किया गया था. उनके सीएम के साथ अच्छे संबंध नहीं रहे हैं. नवंबर 2000 में छत्तीसगढ़ के मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद वह राज्य कांग्रेस के पहले आदिवासी अध्यक्ष थे.
कांग्रेस की छत्तीसगढ़ सूची से अन्य वीआईपी सीटें
5.अनिल भेड़ियाः बालोद जिला के डौंडीलोहारा विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 60 आरक्षित सीट से कांग्रेस पार्टी ने श्रीमती अनिला भेड़िया को लगातार तीसरी बार अपना अधिकृत प्रत्याशी बनाया है, 2013 और 2018 के चुनाव में कांग्रेस द्वारा प्रत्याशी बनाए जाने के बाद जनता ने जनादेश दे उन्हें अपना विधायक चुना और 2018 के चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही उन्हें भूपेश बघेल कैबिनेट में महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री की जिम्मेदारी दी गई. बात करें 2023 के इस विधानसभा चुनाव की तो यहां से अनिला भेड़िया के सामने बीजेपी उम्मीदवार देवलाल ठाकुर चुनावी मैदान में जो बालोद जिला बनने के बाद प्रथम जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए थे.
6. कवाली लखमा: कवासी लखमा वर्तमान में काग्रेस छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री के है वह कोंटा विधानसभा से 1998 लगातार 5 बार विधायक भी चुने गए थे वह 2013 में दरभा घाटी में हुए नक्सली हमले में जीवित बचे लोगों में से एक थे उनके नाम की व्यापक रूप से चर्चा हुई क्योंकि उनकी अपनी पार्टी के लोगों ने उनकी ईमानदारी पर संदेह व्यक्त किया और नक्सली हमले में उनकी भूमिका पर सवाल उठाया जब हमले में अन्य कांग्रेस नेताओं की गोली मारकर हत्या कर दी गई, तो कवासी लखमा को बचा लिया गया और इससे संदेह पैदा हो था ,कवासी लखमा जनता के बीच मिलनसार व्यक्तित्व के कारण लगातर कोंटा विधानसभा में लगातार 5 बार विधायक है
7. जयसिंह अग्रवालः कोरबा से कांग्रेस के जयसिंह अग्रवाल ( 60 वर्ष) विधायक और प्रदेश के राजस्व मंत्री हैं. बी ए प्रथम वर्ष तक शिक्षा प्राप्त की है. परिवार में पत्नी, दो पुत्र और पोते पोतियां हैं. निजी संपत्ति 7 करोड़ रुपयों से अधिक है.
8. गुरु रुद्र कुमार: गुरु रुद्र कुमार को भूपेश बघेल सरकार में सबसे युवा मंत्री कहा जाता है. गुरु रुद्र कुमार साल 2007 में युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं. कांग्रेस ने 2008 के चुनाव में गुरु रुद्र कुमार को आरंग विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया और उन्होंने जीत हासिल की. गुरु रुद्र कुमार ने बीजेपी के उम्मीदवार संजय ढीढी को एक हजार से ज्यादा वोटों से हराया था. उसके बाद साल 2013 में वो आरंग सीट से चुनाव लड़े और हार गए थे. BJP के नवीन मार्कंडेय ने चुनाव जीता. बाद में 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने गुरु रुद्रकुमार का निर्वाचन क्षेत्र बदला और अहिवारा सीट से उम्मीदवार बनाया. गुरु रुद्र कुमार चुनाव जीतकर आए और कांग्रेस सरकार ने मंत्री बनाया.
10. शिव डहरिया: शिव डहरिया कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में भी कार्यरत रहे हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में शिव डहरिया ने बिलईगढ़ सीट से चुनाव लड़ा था। जिसमें भाजपा के डॉ. सनम जांगड़े ने शिव डहरिया को हार का स्वाद चखाया था। इसके बाद शिव डहरिया ने विधानसभा चुनाव 2018 में आरंग सीट से भाजपा प्रत्याशी संजय ढीढी को हराकर जीत हासिल की ।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में सत्ता में पिछले 15 सालों बाद कांग्रेस की वापसी हुई है। प्रदेश में कांग्रेस की ऐतिहासिक जीत के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पाटन से विधायक भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया।
11. मोहम्मद अकबरः कवर्धा से एक बार फिर कांग्रेस ने मो अकबर को प्रत्याशी, बनाया है. मोहम्मद अकबर ने पहली बार छात्र संघ अध्यक्ष से राजनीति शुरुआत की थी. 2018 विधानसभा चुनाव में कवर्धा से मोहम्मद अकबर ने पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा मतों से लगभग 60,000 से अपने प्रतिद्वंद्वी भाजपा प्रत्याशी अशोक साहू को हराने का भी रिकॉर्ड बना चुके है. छत्तीसगढ़ के अकेले मुस्लिम विधायक और छत्तीसगढ़ सरकार में सबसे ज्यादा विभागों के मंत्री हैं मोहम्मद अकबर.