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भारत जोड़ो यात्रा से लोग जुड़े, क्या वोट जोड़ पाएगी कांग्रेस: दिन भर, 30 जनवरी

भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस की मुश्किलें आसान हुईं क्या, पार्टी जिन चुनौतियों से जूझ रही थी, उनमें कितनी सुलझा पाई है और कितनी अब तक उलझी हैं? समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में किसे क्या ज़िम्मेदारी मिली है और इससे पार्टी क्या साधना चाह रही है? राजकोष का घाटा कम करने के लिए क्या रोडमैप होना चाहिए और लद्दाख में अनशन पर बैठे सोनम वांगचुक की मांगें क्या हैं, सुनिए आज के 'दिन भर' में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से.

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bharat jodo yatra
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तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा आज जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में समाप्त हो गई है. 145 दिनों में 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरते हुए करीब 4 हज़ार किलोमीटर की दूरी तय करते हुए ये यात्रा श्रीनगर पहुंची थी. कल राहुल गांधी ने ऐतिहासिक लाल चौक पर तिरंगा फहराया. आज इस यात्रा के समापन पर शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में एक रैली हुई, जिसमें कांग्रेस नेताओं के साथ कई राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के नेताओं ने मंच साझा किया. कड़ी सुरक्षा और भारी बर्फबारी के बीच हुई इस रैली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के अलावा डीएमके, जेएमएम, बीएसपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, सीपीआई, आरएसपी, वीसीके और आईयूएमएल के नेताओं ने भाग लिया.

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मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि राहुल गांधी ही कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक जोड़ सकते हैं. वहीं जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने राहुल गांधी से देश के पश्चिम से पूर्व की ओर एक और यात्रा करने की अपील की.पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर राहुल गांधी का अपना घर है और देश को उनसे बड़ी उम्मीदें हैं.

यात्रा से जो चाहा, कांग्रेस को मिला क्या?

राहुल की बहन और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने भी रैली को संबोधित किया. ख़ुद राहुल गांधी ने अपने भाषण में पीएम मोदी, अमित शाह और RSS का जिक्र किया और बीजेपी पर हमला बोला. हिंसा के ऊपर भी राहुल गांधी ने अपनी बात रखी. तो बयानों से इतर राहुल की इस यात्रा की सबसे बड़ी हासिल क्या रही, लोकसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस की छतरी तले विपक्ष को जोड़ने में वह कितना कामयाब हुए और क्या पार्टी का जनाधार भी बढ़ा, सुनिए 'दिन भर' की पहली ख़बर में. 

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सपा में पॉवरफुल हुए शिवपाल?

लोकसभा चुनाव में साल भर का वक्त बाकी रह गया है. लिहाज़ा पार्टियों ने भी कमर कसनी शुरू कर दी है. इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी ने 62 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी घोषित कर दी है. पार्टी ने अखिलेश यादव को एक बार फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया है, जबकि रामगोपाल यादव को प्रमुख राष्ट्रीय सचिव की कमान सौंपी गई है. वहीं हाल ही में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का सपा में विलय करने वाले शिवपाल सिंह यादव को राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है. इस लिस्ट में एक नाम स्वामी प्रसाद मौर्य का भी है जिसके बाद बीजेपी ने अखिलेश यादव को घेरना शुरू कर दिया है. बीजेपी ने सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य को रामचरितमानस का अपमान करने का पुरस्कार मिला है.

जानकारों का कहना है कि सपा ने एम-वाई समीकरण का ख्याल रखते हुए बसपा छोड़कर आए अंबेडकरवादी नेताओं को खास तरजीह दी है ताकि दलित-ओबीसी समुदाय को साधा जा सके. आंकड़ों पर गौर करें तो पिछली बार सपा में 10 महासचिव थे, लेकिन इस बार उसे बढ़ाकर 15 कर दिया गया है. ऐसे ही 10 राष्ट्रीय सचिव से बढ़ाकर 20 कर दिया गया है.  मगर कार्यकारिणी सदस्यों की संख्या को 25 से घटाकर 21 कर दिया गया है. तो राष्ट्रीय कार्यकारिणी में किन नेताओं को बड़ी ज़िम्मेदारी मिली है और इससे सपा क्या समीकरण साधना चाह रही है, सुनिए 'दिन भर' की दूसरी ख़बर में.

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सरकारी घाटा कैसे कम होगा?

संसद के बजट सत्र की शुरुआत से एक दिन पहले आज केंद्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई. संसद भवन की एनेक्सी बिल्डिंग में हुई इस बैठक में संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सभी दलों से सहयोग मांगा, इस बैठक में 27 दलों के 37 नेताओं ने भाग लिया. NCP, टीएमसी समेत कई दल शामिल हुए हालांकि, कांग्रेस का कोई भी नेता बैठक के लिए नहीं पहुंचा. आपको बता दें कि संसद के हर सत्र से पहले इस तरह की बैठक आयोजित होती है. इस बैठक में विपक्षी दल उन मुद्दों को रख सकते हैं जिनपर वह सत्र में चर्चा चाहते हैं. 

कल आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट पेश की जाएगी. जैसे इस बैठक में बसपा ने चीनी घुसपैठ का मुद्दा उठाया और संसद में चर्चा की मांग की. पर बात अगर इकॉनमिक सर्वे की करें जो कि कल पेश होगा, तो उस पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन के सामने फिस्कल डेफिसेट के मोर्चे पर तमाम चुनौतियां है क्योंकि सरकार ने 2025-26 तक फिस्कल डेफिसिट को GDP के 4.5 फीसदी रखने का लक्ष्य तय किया है लेकिन ऐसे में जबकि चुनाव में सिर्फ एक साल का समय बचा है, सरकार सब्सिडीज़ में कोई कटौती नहीं कर सकती तो राजकोषीय घाटे को कम करना कितना चैलेंजिंग रहने वाला है और इस चौड़ी होती खाई को पाटने के लिए सरकार को क्या करना चाहिए, सुनिए 'दिन भर' की तीसरी ख़बर में.

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लद्दाख में क्लाइमेट की क्या समस्या है?

लद्दाख के एक मशहूर सोशल एक्टिविस्ट, एजुकेशन रिफॉर्मिस्ट और इनोवेटर हैं सोनम वांगचुक. आमिर ख़ान की मशहूर फ़िल्म थ्री – इडियट्स का 'रेंचो' किरदार था वो इन्हीं की ज़िंदगी से प्रेरित थे. सोनम वांगचुक लद्दाख  मुद्दों को लेकर 26 जनवरी से भूख हड़ताल कर रहे हैं और आज उनकी भूख हड़ताल का आखिरी दिन था. हड्डियां गला देने वाली ठंड में पांच दिन तक चलने वाली इस अनशन को वांगचुक ने क्लाइमेट फास्ट नाम दिया है. पहले उन्होंने अपनी भूख हड़ताल साढ़े 18 हज़ार फीट ऊँचे खारदुंग ला में करने का ऐलान किया था. लेकिन उन्हें वहां अनशन करने की इजाजत नहीं दी गई. इसके बाद वह इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख परिसर में अनशन पर बैठे गए. 

उनका दावा है कि पुलिस ने उन्हें हाउस अरेस्ट कर लिया है. वांगचुक ने लद्दाख प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा की प्रशासन ने एक बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा जिसमें कहा गया था कि वो कोई बयान न दें और लेह में हाल की घटनाओं पर किसी सार्वजनिक सभा में भाग न लेंगें. लेकिन ये पूरा मामला क्या है और सोनम वांगचुक की क्या मांगें हैं और उसको लेकर लोकल पब्लिक सेंटीमेंट कैसा है, सुनिए 'दिन भर' की आख़िरी ख़बर में.

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