कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने फेसबुक पर पोस्ट कर वैक्सीनेशन नीति को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है. प्रियंका गांधी ने कहा है कि विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना को हराने के लिए जल्दी और ज्यादा से ज्यादा वैक्सीनेशन जरूरी है. जिन देशों ने ज्यादा वैक्सीन लगवाई, उन देशों में कोरोना की दूसरी लहर का प्रभाव कम रहा. हमारे यहां दूसरी लहर, पहली लहर से 320 फीसदी अधिक भयानक साबित हुई. यह पूरे विश्व का रिकॉर्ड है.
प्रियंका गांधी ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि अब जनता पूछ रही है कि वैक्सीन नीति को गर्त में धकेलने के बाद मोदी सरकार ने सबको वैक्सीन देने की जिम्मेदारी से हाथ क्यों खींच लिए? आज क्यों ऐसी नौबत आई कि देश के अलग-अलग राज्यों को वैक्सीन के ग्लोबल टेंडर डालकर आपस में ही प्रतिदंद्विता करनी पड़ रही है? उन्होंने वैक्सीन की अलग-अलग कीमतों को लेकर भी सवाल उठाए और कहा कि न पर्याप्त वैक्सीन का प्रबंध है और ना ही तेजी से वैक्सीनेशन की योजना. सरकार किस मुंह से कह रही है कि इस साल के अंत तक हर हिंदुस्तानी को वैक्सीन लग चुकी होगी? अगली लहर से देशवासियों को कौन बचाएगा?
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने आगे यह सवाल भी उठाया कि इंटरनेट और डिजिटल साक्षरता से वंचित आबादी के लिए केंद्र सरकार ने वैक्सीनेशन की कोई योजना क्यों नहीं बनाई? क्या मोदी सरकार के लिए उनकी जान कीमती नहीं है? उन्होंने लिखा है कि भारत के पास स्मालपॉक्स, पोलियो की वैक्सीन घर-घर पहुंचाने का अनुभव है लेकिन मोदी सरकार की दिशाहीनता ने वैक्सीन के उत्पादन और वितरण, दोनों को चौपट कर दिया है.
प्रियंका गांधी ने कहा कि भारत की कुल आबादी के मात्र 12 फीसदी को अभी तक पहली डोज मिली है और मात्र 3.4 फीसदी आबादी पूरी तरह से वैक्सिनेटेड हो पाई है. 15 अगस्त 2020 के भाषण में मोदीजी ने देश के हरेक नागरिक को वैक्सिनेट करने की जिम्मेदारी लेते हुए कहा था कि इसके लिए पूरा खाका तैयार है.
उन्होंने कहा कि अप्रैल 2021 में दूसरी लहर की तबाही के दौरान पीएम मोदी ने सबको वैक्सीन देने की जिम्मेदारी से अपने हाथ खींचते हुए इसका आधा भार राज्य सरकारों पर डाल दिया. मोदी सरकार ने 1 मई तक मात्र 34 करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर दिया था तो बाकी वैक्सीन कहां से आएगी?
ग्लोबल टेंडर को लेकर भी किया वार
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कोरोना वैक्सीन के ग्लोबल टेंडर को लेकर भी हमला बोला. उन्होंने कहा कि देश में वैक्सीन के अभाव के कारण कई राज्य सरकारें ग्लोबल टेंडर निकालने को मजबूर हुईं. फाइजर और मॉडर्ना जैसी कंपनियों ने प्रदेश सरकारों से डील करने से इनकार कर दिया और यह साफ किया कि वे केवल देश की सरकार के साथ ही वैक्सीन की डील करेंगी. कांग्रेस महासचिव ने कहा कि आज वैक्सीन लगाने वाले काफी केंद्रों पर ताले लटके हैं. 18 से 45 साल के बीच की आबादी को वैक्सीन लगाने का काम बहुत धीमी गति से चल रहा है.
वैक्सीनेशन प्रणाली पर उठाए सवाल
प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार की वैक्सीन नीति को फेल बताते हुए कहा है कि इसी के कारण अलग-अलग दाम पर वैक्सीन मिल रही है. जो वैक्सीन केंद्र सरकार को 150 रुपये में मिल रही है, वही राज्य सरकारों को 400 और निजी अस्पतालों को 600 रुपये में मिल रही है. वैक्सीन जब देशवासियों को ही लगेगी तो यह भेदभाव क्यों? उन्होंने यह सवाल भी किया कि देश की 60 फीसदी आबादी के पास इंटरनेट नहीं है. कइयों के पास आधार या पैन कार्ड नहीं है. ऐप आधारित वैक्सीनेशन प्रणाली के चलते देश की बड़ी आबादी वैक्सीन से वंचित है.
कांग्रेस महासचिव ने कहा है सरकार ने इस दिशा में अभी तक प्रयास शायद इसलिए नहीं किया क्योंकि रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया मुश्किल होने से कम समय में ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगवाने का बोझ हल्का हो सकता है. उन्होंने कहा कि अगर हम दिसंबर 2021 तक हर हिंदुस्तानी को वैक्सिनेट करना चाहते हैं तो हमें प्रतिदिन 70 से 80 लाख लोगों को वैक्सीन लगानी पड़ेगी लेकिन मई महीने में औसतन प्रतिदिन 19 लाख डोज ही लगी हैं.