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कर्नाटक: कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई से सरकार का काम प्रभावित, डीके शिवकुमार और केएन राजन्ना में बातचीत बंद

कांग्रेस पार्टी में आंतरिक कलह की वजह से एपेक्स बैंक अध्यक्ष पद की बैठक से मंत्री केएन राजन्ना की गैरमौजूदगी ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है. स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर मीटिंग से दूर रहे राजन्ना की इस बहानेबाजी ने प्रशासनिक और पार्टी स्तर पर कई सवाल खड़े किए हैं.

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डीके शिवकुमार, केएन राजन्ना
डीके शिवकुमार, केएन राजन्ना

कांग्रेस पार्टी में जारी आंतरिक कलह अब राज्य के प्रशासन पर भी अपना प्रभाव डाल रहा है. हाल ही में एपेक्स बैंक के अध्यक्ष पद को लेकर एक अहम बैठक बुलाई गई थी, जिसमें उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार, सहकारी मंत्री केएन राजन्ना और अन्य वरिष्ठ नेताओं को शामिल होना था.

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कांग्रेस पार्टी ने मुद्दे पर चर्चा के लिए और सभी निदेशकों के साथ कंसल्टेशन के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया था. उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार, कांग्रेस विधायक और कुछ अन्य अधिकारी बैठक के लिए मंत्री राजन्ना के कार्यालय में मौजूद थे. हालांकि, केएन राजन्ना जो इस बैठक की अध्यक्षता करने वाले थे, मीटिंग में पहुंचे ही नहीं.

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सेहत बिगड़ने पर मीटिंग में नहीं आए मंत्री!

केएन राजन्ना के कार्यालय के अधिकारियों ने बैठक में मौजूद नेताओं को जानकारी दी कि मंत्री राजन्ना की सेहत बिगड़ गई है, जिसके चलते उन्होंने बैठक में शामिल ना होने का फैसला किया है. इसके बाद, डीके शिवकुमार और कुछ विधायक राजन्ना के कार्यालय से बाहर निकल गए.

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मंत्री ने तबीयत खराब होने का बहाना किया!

सूत्रों के मुताबिक, मंत्री राजन्ना ने हाल ही में केपीसीसी अध्यक्ष डीके शिवकुमार के खिलाफ बयान दिया था, और इसी कारण से वे दोनों नेताओं के बीच माना जा रहा है कि बातचीत नहीं हो रही है. हालांकि, जिस दिन राजन्ना ने तबियत बिगड़ने का हवाला दिया था, उसी दिन वे पूरी तरह से स्वस्थ देखे गए थे. उनके इस अचानक के फैसले ने पार्टी के भीतर और भी सवाल खड़े कर दिए हैं.

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प्रशासनिक कामकाज हो रहा प्रभावित!

इस स्थिति को नियंत्रित करने और एपेक्स बैंक के भविष्य के बारे में फैसले लेने के लिए अब मुख्यमंत्री की नेतृत्व में एक बैठक बुलाई जाएगी. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि इस मुद्दे का समाधान निकाला जाना चाहिए, ताकि प्रशासनिक कामकाज सुचारू रूप से चलता रहे. फिलहाल, कांग्रेस पार्टी के भीतर ये अंतर्कलह जारी है और यह देखना बाकी है कि नेतृत्व इस चुनौती से कैसे निपटेगा.

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