संसद की सुरक्षा में सेंध के मामले में विपक्ष केंद्र पर हमलावर है. कांग्रेस नेता और पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि गृहमंत्री मीडिया के माध्यम से संसद सदस्यों से बात करते हैं, यह अस्वीकार्य है. उन्हें संसद के सामने आना चाहिए और बयान देना चाहिए. चिदंबरम ने X (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा कि 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हुए हमले के बाद गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने संसद में एक बयान दिया था. यह सही मिसाल है.
एक अन्य पोस्ट में चिदंबरम ने 14 सांसदों के निलंबन को लेकर बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि सुरक्षा का उल्लंघन करने वालों के लिए कोई बाधा नहीं थी, इसका उद्देश्य विपक्ष को चुप कराना था. बता दें कि गुरुवार को विपक्ष के 14 सांसदों को (लोकसभा के 13 और राज्यसभा के 1) निलंबित किया गया था.
चिदंबरम ने कहा कि बीजेपी की सरकार में राजनीति नई गहराई तक गिर गई है. विपक्ष चाहता है कि प्रधानमंत्री या गृहमंत्री 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में बड़ी लापरवाही के मामले पर संसद में बयान दें और उनके सदस्यों को निलंबित कर दिया जाए. कांग्रेस ने गुरुवार को विपक्षी सांसदों के निलंबन को लोकतंत्र की हत्या बताया और बीजेपी सरकार पर संसद को "रबर स्टैंप" बनाने का आरोप लगाया.
इससे पहले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भाजपा सरकार पर वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश करने का आरोप लगाया और आश्चर्य जताया कि गृहमंत्री सदन में बयान देने को तैयार क्यों नहीं हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इसमें मैसूरु के भाजपा सांसद की भूमिका थी जिन्होंने घुसपैठियों को विजिटर पास उपलब्ध कराए थे. उन्होंने कहा कि यह संसद की अवमानना है. यह संसदीय परंपराओं की अवमानना है. जब संसद का सत्र चल रहा हो तो मंत्री कभी भी गंभीर मुद्दों पर संसद के बाहर इतने बड़े बयान नहीं देते. वे संसद को विश्वास में लेते हैं.