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तोमर की 'खून से खेती' वाले बयान पर दिग्विजय ने पूछा- गोधरा में जो हुआ वो क्या था?

कृषि कानूनों के मसले पर शुक्रवार को राज्यसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी बहस हुई. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कांग्रेस पर ‘खून से खेती’ करने का आरोप लगाया, तो अब दिग्विजय सिंह ने उनपर पलटवार किया है.

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कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने किया पलटवार
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने किया पलटवार
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कृषि मंत्री के बयान पर दिग्विजय का पलटवार
  • बीजेपी सांप्रदायिक दंगे कराना चाहती है: दिग्विजय

किसान आंदोलन के मसले पर शुक्रवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में कांग्रेस पार्टी पर जमकर निशाना साधा. कृषि मंत्री ने कहा कि कांग्रेस 'खून से खेती' कर सकती है, जिसपर अब राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने पलटवार किया है. कांग्रेस नेता का कहना है कि बीजेपी हमेशा दंगे कराना चाहती है.

‘खून से खेती’ वाले बयान पर दिग्विजय सिंह ने कहा, 'जो गोधरा में हुआ वो पानी की खेती थी या खून की खेती थी. भारतीय जनता पार्टी हमेशा से नफरत और हिंसा की राजनीति करती आई है, कांग्रेस पार्टी सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलती आई है.'

भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि अगर ये सांप्रदायिक दंगे कराएंगे, तभी उनको फायदा होगा. यही कारण है कि असदुद्दीन ओवैसी और नरेंद्र मोदी के बीच अच्छी दोस्ती है. 

राज्यसभा में विपक्ष पर बरसे कृषि मंत्री
आपको बता दें कि शुक्रवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में बयान दिया. इस दौरान उन्होंने कृषि कानूनों के फायदे गिनाए, साथ ही विपक्ष पर जमकर बरसे. कांग्रेस पर निशाना साधते हुए नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि खेती पानी से होती है, लेकिन खून से खेती सिर्फ कांग्रेस कर सकती है ये बीजेपी नहीं करती है. 

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कृषि मंत्री की ओर से आरोप लगाया गया कि पंजाब सरकार के APMC एक्ट में किसी तरह के उल्लंघन पर किसानों को सजा होती है, लेकिन केंद्र के एक्ट में ऐसा नहीं है. सिर्फ पंजाब के कुछ किसान ही इस कानून का उल्लंघन कर रहे हैं. 

कृषि मंत्री द्वारा जब संसद में ये बयान दिया गया, तब भी जमकर हंगामा हुआ. इसी दौरान कृषि कानून के मसले पर नरेंद्र सिंह तोमर और दीपेंद्र हुड्डा में तीखी बहस भी देखने को मिली.

आपको बता दें कि कृषि कानूनों के मसले पर संसद के दोनों सदनों में बवाल जारी है. राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के साथ ही किसानों के मसले पर चर्चा हो रही है, लेकिन लोकसभा में विपक्ष कृषि कानून पर अलग से चर्चा करना चाहता है. 

 

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