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'नेहरू पूरी तरह पारदर्शी थे...', बीजेपी नेता के सोमनाथ मंदिर वाले बयान पर कांग्रेस का पलटवार

कांग्रेस ने पंडित जवाहरलाल नेहरू के 11 मार्च 1951 को तत्कालीन गृहमंत्री सी राजगोपालाचारी को लिखे गए पत्र को साझा किया. नेहरू ने इसके बारे में लिखा था कि "मैंने उन्हें लिखा था कि उनके इस मंदिर या किसी अन्य मंदिर या अन्य पूजास्थल पर सामान्य रूप से जाने और पूजा करने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इस विशेष अवसर पर यानी मंदिर के उद्घाटन के मौके पर जाने का अलग मतलब होगा. इसके कुछ निहितार्थ होंगे.

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जयराम रमेश और सुधांशु त्रिवेदी
जयराम रमेश और सुधांशु त्रिवेदी

कांग्रेस ने बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी के उन दावों पर पलटवार किया, जिसमें कहा गया था कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के सोमनाथ मंदिर से जुड़ाव का विरोध किया था और कहा कि नेहरू पूरी तरह से पारदर्शी थे. 

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कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सुधांशु त्रिवेदी ने सोमनाथ मंदिर पर पंडित नेहरू के कुछ पत्र हवा में लहराए हैं. ये पत्र और तत्कालीन गृहमंत्री राजाजी और तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को लिखे गए पत्र ऑनलाइन उपलब्ध हैं.

जयराम रमेश ने X पर एक पोस्ट में कहा कि सुधांशु त्रिवेदी ने जो दावे किए हैं, उसमें कई बड़ा खुलासा नहीं किया है. नेहरू पूरी तरह से पारदर्शी थे और अपने पीछे लिखित रिकॉर्ड छोड़ गए थे, जो उनके द्वारा व्यक्तिगत रूप से लिखे गए थे. इस विषय पर कुछ पत्र और भी हैं, जिन्हें सुधांशु त्रिवेदी ने नहीं दिखाया. 

कांग्रेस ने पंडित जवाहरलाल नेहरू के 11 मार्च 1951 को तत्कालीन गृहमंत्री सी राजगोपालाचारी को लिखे गए पत्र को साझा किया. नेहरू ने इसके बारे में लिखा था कि "मैंने उन्हें लिखा था कि उनके इस मंदिर या किसी अन्य मंदिर या अन्य पूजास्थल पर सामान्य रूप से जाने और पूजा करने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इस विशेष अवसर पर यानी मंदिर के उद्घाटन के मौके पर जाने का अलग मतलब होगा. इसके कुछ निहितार्थ होंगे. 

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उन्होंने लिखा था कि "राष्ट्रपति भी खुद को इस समारोह से जोड़ने के लिए उत्सुक हैं, मुझे नहीं पता कि क्या मेरे लिए इस बात पर जोर देना कि कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. मैं आपकी सलाह के मुताबिक उन्हें यह बताने का प्रस्ताव करता हूं कि वह ऐसा कर सकते हैं, इस मामले में उनका अपना विवेक है. हालांकि मुझे अब भी लगता है कि उनके लिए वहां न जाना ही बेहतर होगा.''

13 मार्च 1951 को नेहरू ने सोमनाथ मंदिर की अपनी यात्रा पर तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को पत्र लिखकर कहा था कि अगर आपको लगता है कि निमंत्रण अस्वीकार करना आपके लिए सही नहीं होगा, तो मैं दबाव नहीं डालना चाहूंगा. नेहरू ने प्रसाद को लिखा था कि उनकी सोमनाथ मंदिर की यात्रा "एक निश्चित राजनीतिक महत्व" ले रही है और कहा था कि उनसे संसद में इसके बारे में सवाल पूछे जा रहे थे, जिसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है.

बता दें कि बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा था कि जब सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो रही थी, तो जवाहरलाल नेहरूजी ने 24 अप्रैल 1951 को उस समय सौराष्ट्र के प्रमुख को लिखा था कि इस कठिन समय में इस समारोह के लिए दिल्ली से मेरा आना संभव नहीं है. 
 

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