कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद शनिवार को जहां राजभवन में नए मंत्री पद और गोपनीयता की शपथ ले रहे थे वहीं दूसरी तरफ बाहर असंतुष्ट विधायकों ने जमकर बवाल काटा. शनिवार को सिद्धारमैया सरकार में 24 मंत्रियों ने राजभवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लिया.
34 सदस्यीय मंत्रिमंडल में मंत्री पद नहीं मिलने पर कई वरिष्ठ विधायकों का बाहर गुस्सा फूट पड़ा. मंत्रिमंडल में जगह नहीं बना पाने वाले विधायकों के समर्थकों ने राज्यपाल के आवास के बाहर नारेबाजी की. ये नारेबाजी उस वक्त हुई जब अंदर मंत्री पद और गोपनीयता की शपथ ले रहे थे.
राजधानी बेंगलुरु के अलावा, तुमकुरु, मैसूरु, हावेरी, कोडागु और कई अन्य स्थानों पर भी विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें कई असंतुष्ट विधायकों और उनके समर्थकों ने असंतोष व्यक्त किया. बेंगलुरु के विजयनगर से विधायक एम कृष्णप्पा के समर्थक राजभवन के पास जमा हो गए और नारेबाजी की. उन्होंने कहा कि चार बार के विधायक किसी और की तुलना में मंत्री पद के ज्यादा हकदार हैं.
इसी तरह, टी बी जयचंद्र के समर्थकों ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के घर के बाहर प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि कुंचितिगा समुदाय के साथ "गंभीर अन्याय" हुआ है क्योंकि उन्हें कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया था. असंतुष्ट जयचंद्र ने कहा कि वह पार्टी आलाकमान से मिलेंगे और न्याय की गुहार लगाएंगे.
मैसूरु के नरसिम्हाराजा से विधायक तनवीर सैत के समर्थकों ने अपने नेता के समर्थन में बैनर और तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया. इसी तरह, वरिष्ठ एमएलसी बी के हरिप्रसाद और सलीम अहमद ने भी मंत्री पद नहीं दिए जाने पर नाखुशी जताई.
रिपोर्ट के अनुसार, जिस निर्वाचन क्षेत्रों के प्रतिनिधियों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली वहां भी विरोध प्रदर्शन हुए. हवेरी, हासन और कोडागु सहित राज्य के आठ जिलों में विधायकों के समर्थक ने विरोध प्रदर्शन किया.
इस हंगामे के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने स्पष्ट किया कि कुछ मापदंड हैं जिनके अनुसार पहली बार पार्टी के विधायक मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाते हैं. सिद्धारमैया ने ऐसे विधायकों को समझाया, 'हमने पहली बार विधायक बने नेताओं को मंत्री नहीं बनाया है.' उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने असंतुष्ट विधायकों को सांत्वना देते हुए कहा कि वे उम्मीद न खोएं क्योंकि उनके पास भविष्य में गुंजाइश है. (इनपुट - आद्या)