मणिपुर पर संसद में जारी हंगामे के बीच अब नए बने विपक्षी गठबंधन INDIA के सदस्य मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में हैं. विपक्षी नेताओं का मानना है कि अविश्वास प्रस्ताव सरकार को मणिपुर पर लंबी चर्चा के लिए मजबूर करेगा और इस दौरान प्रधानमंत्री को जवाबदेह ठहराया जाएगा.
विपक्षी दलों के बीच इस मुद्दे पर आम सहमति बन गई है और कम से कम 50 सदस्यों के हस्ताक्षर लेने के लिए हस्ताक्षर अभियान पहले से ही चल रहा है. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने जानकारी दी कि विपक्षी दल आज सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे.
'सरकार से लोगों का भरोसा टूट रहा है'
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हम सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला रहे हैं. क्योंकि सरकार के ऊपर लोगों का भरोसा टूट रहा है. हम चाहते थे कि प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर पर बोलें, लेकिन पीएम बात नहीं सुनते. वे सदन के बाहर कुछ बात करते हैं और यहां इनकार करते हैं. हमने बार-बार उनका ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की. लेकिन सब विफल रहा, इसलिए हमें अविश्वास प्रस्ताव लाना सही लगता है.
'हर बार जीतने के लिए नहीं लाया जाता...'
कांग्रेस नेता ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव हर वक्त जीत के लिए नहीं लाया जाता. देश को मालूम हो कि किस तरह से तानाशाही सरकार चल रही है और विपक्ष को असम्मानित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ये जीत-हार वाली बात नहीं है. इस हालात में भी हमें अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाना पड़ा, ये सवाल है.
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अविश्वास प्रस्ताव का मसौदा तैयार करने में जुटी कांग्रेस
कांग्रेस ने अपने लोकसभा सांसदों को तीन लाइन का व्हिप जारी किया है. इस व्हिप में कहा गया, 'कांग्रेस पार्लियामेंट्री कमेटी के सभी कांग्रेस लोकसभा सांसदों से अनुरोध है कि वे बुधवार को सुबह साढ़े दस बजे तक संसद भवन स्थित सीपीपी कार्यालय में उपस्थित हों.' सूत्रों के मुताबिक इस प्रस्ताव का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी वरिष्ठ कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी को सौंपी गई है.
इंडिया टुडे से बात करते हुए राज्यसभा सांसद और तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा कि हमारे पास संसद में INDIA दलों के लिए एक रणनीति है. उन्होंने कहा कि हम हर दिन नई रणनीति अपनाते हैं और राजनीतिक स्थिति के अनुसार रणनीति बनाते हैं. उन्होंने कहा, 'लोकसभा के नियम 198 में अविश्वास प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया बताई गई है. हम इसके तहत काम करेंगे.'
50 सांसदों की जरूरत
सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को नियम 198 के तहत लोकसभा में पेश किया जा सकता है. इस अविश्वास प्रस्ताव को पेश करने के लिए ही करीब 50 विपक्षी सांसदों का समर्थन होना जरूरी है. लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव एक अहम कदम माना जाता है. अगर संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया जाए और सदन के 51% सांसद अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करते हैं, तो यह पारित हो जाता है और माना जाता है कि सरकार ने बहुमत खो दिया है और उसे पद से इस्तीफा देना होगा. सरकार को या तो विश्वास मत लाकर सदन में अपना बहुमत साबित करना होता है या विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद सरकार से बहुमत साबित करने के लिए कह सकता है.
हालांकि यह जरूरी नहीं है कि विपक्षी दल सिर्फ सरकार गिराने के उद्देश्य से ही अविश्वास प्रस्ताव पेश करते हैं, कई बार विपक्ष सरकार को राष्ट्रीय महत्व के किसी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए मजबूर करने के लिए भी अविश्वास प्रस्ताव लाता है.
प्रस्ताव लाने का नियम क्या?
जो भी सांसद सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाता है उसे ऐसा प्रस्ताव देने के लिए सदन की अनुमति मांगनी होगी और जिस दिन वह प्रस्ताव लाएगा उस दिन सुबह 10 बजे तक लोकसभा के महासचिव को प्रस्ताव की लिखित सूचना देनी होगी.
मणिपुर के मुद्दे पर पीएम का बयान चाहता है विपक्ष
आपको बता दें कि विपक्ष मणिपुर की स्थिति पर संसद के दोनों सदनों में प्रधानमंत्री के बयान और उसके बाद चर्चा की मांग कर रहा है. लेकिन संसद का मानसून सत्र को आज चार दिन बीत गए लेकिन मणिपुर के मुद्दे पर अब तक कोई सार्थक चर्चा हो नहीं सकी है. सरकार भी इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट कर चुकी है कि वे चर्चा को तैयार हैं. सरकार का कहना है कि विपक्ष हंगामा कर रहा है और सदन नहीं चलने दे रहा.