2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. इसे लेकर राजनीतिक पार्टियों ने कमर कस ली है. बीजेपी का सामना करने के लिए विपक्षी गठबंधन भी रणनीति तैयार कर रहा है. इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग पर बातचीत से पहले कांग्रेस अपनी राज्य इकाइयों के साथ बैठक कर रही है. दरअसल, विपक्षी गठबंधन की पिछली बैठक में सभी नेताओं ने 31 दिसंबर तक सीट शेयरिंग को अंतिम रूप देने का फैसला किया था.
मुंबई में हुई बैठक के बाद कांग्रेस ने सीट बंटवारे पर चर्चा के लिए मुकुल वासनिक की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय राष्ट्रीय गठबंधन समिति का गठन किया है. लेकिन 2024 के आम चुनाव के लिए गठबंधन बनाना कांग्रेस के लिए कठिन काम दिख रहा है. क्योंकि पंजाब में जहां आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया था. वहीं, अब ममता बनर्जी ने कह दिया है कि टीएमसी अकेले लड़ेगी. उधर, महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के लिए शिवसेना (यूबीटी) ने 23 सीटों की मांग की है. आइए जानते हैं कि कैसे पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और पंजाब में सहयोगी पार्टियां कांग्रेस की सीट बंटवारे की प्लानिंग पर ब्रेक लगा रहा रहे हैं.
पश्चिम बंगाल में टीएमसी अकेले चुनाव लड़ेगी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को घोषणा की कि 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस राज्य में अकेले खड़ी होगी. उन्होंने उत्तर 24 परगना जिले के चकला में कार्यकर्ताओं की बैठक और एक सार्वजनिक रैली के साथ चुनाव अभियान की शुरुआत करते हुए घोषणा की कि तृणमूल बंगाल में अकेले लड़ेगी, जबकि इंडिया अलायंस राष्ट्रीय स्तर पर मौजूद रहेगा. उनके बयान ने इस ओर साफ इशारा किया कि राज्य में इंडिया गठबंधन के साथ कोई गठबंधन या कांग्रेस या वाम मोर्चा के साथ सीट-बंटवारा नहीं होगा. पश्चिम बंगाल में कांग्रेस ने 2019 का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ा था, तब अधिकांश कांग्रेस नेताओं ने सीपीआई (एम) के साथ सीट शेयरिंग की मांग की थी, लेकिन कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया. लिहाजा 42 सीटों में से कांग्रेस ने केवल 2 सीटें जीतीं, जबकि टीएमसी ने 22 सीटें जीतीं.
शिवसेना ने महाराष्ट्र में 23 सीटों की मांग की
2024 के लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र न केवल कांग्रेस के लिए बल्कि इंडिया गठबंधन के सहयोगियों, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी के लिए भी एक महत्वपूर्ण राज्य है. कांग्रेस मणिपुर से लेकर महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई तक भारत न्याय यात्रा निकालने जा रही है. जो कि 14 जनवरी को शुरू होकर 20 मार्च को मुंबई में समाप्त होगी. महाराष्ट्र में अपनी ताकत दिखाने के लिए गुरुवार को कांग्रेस ने नागपुर में अपना 139वां स्थापना दिवस मनाया. वहीं, शिवसेना (यूबीटी) ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र में 23 सीटों की मांग की है, लेकिन कांग्रेस ने सहयोगी शिवसेना (यूबीटी) की मांग को खारिज कर दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण ने कहा कि पार्टियों के बीच समायोजन की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हालांकि हर पार्टी सीटों की बड़ी हिस्सेदारी चाहती है, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए शिवसेना की 23 सीटों की मांग अत्यधिक है.
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और एनसीपी ने मिलकर चुनाव लड़ा था. 48 सीटों में से कांग्रेस को सिर्फ 1 सीट और एनसीपी को 4 सीटों पर जीत मिली. 2019 का चुनाव भी शिवसेना और बीजेपी ने मिलकर लड़ा था. बीजेपी ने 23 सीटें और शिवसेना ने 18 सीटें जीतीं.
AAP पंजाब में अकेले चुनाव लड़ेगी
आगामी लोकसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा के लिए कांग्रेस 26 दिसंबर को पंजाब के शीर्ष पार्टी नेताओं के साथ बैठक की. इसमें कांग्रेस की राजनीतिक मामलों की समिति के 30 से अधिक सदस्यों ने AAP के साथ गठबंधन पर अपने विचार साझा किए. कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें आश्वासन दिया है कि उनकी राय सुनी गई है और पार्टी के हितों की रक्षा की जाएगी. लेकिन वह इससे ज्यादा कुछ नहीं बता सकते. क्योंकि ये बैठक बेहद गोपनीय थी. वहीं, 17 दिसंबर को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के बठिंडा में रैली की थी. केजरीवाल ने लोगों से आगामी लोकसभा चुनाव में सभी 13 सीटों पर सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को वोट देने की अपील की थी और संकेत दिया कि विपक्षी गठबंधन की सहयोगी कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग की कोई गुंजाइश नहीं है. 2019 के लोकसभा चुनाव में पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस ने 8 सीटें जीतीं थी और एपीपी केवल 1 सीट हासिल कर पाई थी. कांग्रेस को दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसी हिंदी बेल्ट में सीट बंटवारे की स्थिति का सामना करना पड़ेगा.
बंगाल में सीट शेयरिंग पर आखिरी फैसला ममता करेंगी
पश्चिम बंगाल में विपक्षी गठबंधन की सहयोगी पार्टियों के साथ टीएमसी नेता कुणाल घोष ने कहा कि ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि इंडिया गठबंधन देश में लड़ेगा और टीएमसी बंगाल में बीजेपी विरोधी लड़ाई के खिलाफ नेतृत्व करेगी. उन्होंने कहा कि 2021 में हमने बीजेपी को हराया था.सीपीआई (एम) और कांग्रेस ने वोट बांटकर बीजेपी को फायदा पहुंचाने की कोशिश की थी. सीट शेयरिंग को लेकर आखिरी फैसला ममता बनर्जी करेंगी. साथ ही कहा कि यहां कोई 'लेफ्ट' नहीं है.