कांग्रेस ने हाल ही में संपन्न हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर शिकायतों पर आए चुनाव आय़ोग के जवाब को अस्पष्ट करार दिया. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि जबकि हरियाणा में हमारी शिकायतें विशिष्ट थीं, चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया सामान्य है, शिकायतों और याचिकाकर्ताओं को कम करने पर केंद्रित है. दरअसल, कुछ दिन पहले ही हरियाणा चुनाव में अनियमितताओं के बारे में कांग्रेस के आरोपों को चुनाव आयोग ने निराधार बताते हुए खारिज कर दिया था. साथ ही कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों को मतदान और मतगणना के दिनों जैसे संवेदनशील समय पर निराधार और सनसनीखेज शिकायतों के प्रति आगाह किया था.
इसको लेकर अब कांग्रेस ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा है. विपक्षी दल ने दावा किया कि चुनाव आयोग का जवाब अपमानजनक लहजे में लिखा गया है और चेतावनी दी कि अगर चुनाव आयोग ऐसी भाषा का इस्तेमाल करता रहा तो उसके पास ऐसी टिप्पणियों को हटाने के लिए कानूनी सहारा लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा. कांग्रेस ने कहा कि पार्टी पूरे चुनावी नतीजों की विश्वसनीयता के बारे में सामान्य संदेह को उठा रही है, जैसा कि उसने पहले भी किया है.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश सहित 9 वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं द्वारा हस्ताक्षरित चुनाव आयोग को लिखे पत्र में पार्टी ने कहा, "हमने आपकी शिकायतों पर आपके जवाब का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया है. आश्चर्य की बात नहीं है कि चुनाव आयोग ने खुद को क्लीन चिट दे दी है. हम आमतौर पर इसे यहीं रहने देते. हालांकि, चुनाव आयोग के जवाब का लहजा और भाव, इस्तेमाल की गई भाषा और कांग्रेस के खिलाफ लगाए गए आरोप हमें जवाबी जवाब देने के लिए मजबूर करते हैं. हमें नहीं पता कि माननीय आयोग को कौन सलाह दे रहा है या उसका मार्गदर्शन कर रहा है, लेकिन ऐसा लगता है कि आयोग यह भूल गया है कि यह संविधान के तहत स्थापित एक निकाय है और इसे कुछ महत्वपूर्ण कार्यों - प्रशासनिक और अर्धन्यायिक दोनों - के निर्वहन का दायित्व सौंपा गया है."
कांग्रेस महासचिव रमेश ने जवाब को एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, "चुनाव आयोग ने हरियाणा के 20 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस की विशिष्ट शिकायतों पर कोई जवाब नहीं दिया."
कांग्रेस के पत्र में कहा गया है कि यदि आयोग किसी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय पार्टी को सुनवाई का अवसर देता है या उनके द्वारा सद्भावपूर्वक उठाए गए मुद्दों की जांच करता है तो यह कोई 'अपवाद' या 'छूट' नहीं है, बल्कि यह एक कर्तव्य का पालन है जिसे उसे करना आवश्यक है.
पत्र में पार्टी ने आगे कहा, "यदि आयोग हमें सुनवाई का अवसर देने से इनकार कर रहा है या कुछ शिकायतों पर विचार करने से इनकार कर रहा है (जो उसने अतीत में किया है) तो कानून उच्च न्यायालयों के असाधारण अधिकार क्षेत्र का सहारा लेकर चुनाव आयोग को यह कार्य करने के लिए बाध्य करने की अनुमति देता है (जैसा कि 2019 में हुआ था)."
चुनावों में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से याचिका दायर करने वाले कांग्रेस नेताओं ने कहा कि अब चुनाव आयोग का हर जवाब व्यक्तिगत नेताओं या पार्टी पर व्यक्तिगत हमलों से भरा हुआ लगता है. नेताओं ने कहा कि कांग्रेस का संचार मुद्दों तक ही सीमित रहता है और मुख्य चुनाव आयुक्त तथा उनके भाई आयुक्तों के उच्च पद के सम्मान में लिखा जाता है.
पार्टी ने चुनाव आयोग को लिखे अपने पत्र में कहा, "हालांकि, चुनाव आयोग का जवाब एक ऐसे लहजे में लिखा गया है जो कृपालु है. यदि वर्तमान चुनाव आयोग का लक्ष्य तटस्थता के अंतिम अवशेषों को भी खत्म करना है, तो वह उस धारणा को बनाने में उल्लेखनीय काम कर रहा है. फैसला लिखने वाले न्यायाधीश मुद्दे उठाने वाली पार्टी पर हमला नहीं करते या उसे बदनाम नहीं करते. हालांकि, यदि चुनाव आयोग अपनी बात पर अड़ा रहता है, तो हमारे पास ऐसी टिप्पणियों को हटाने के लिए कानूनी सहारा लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा (एक उपाय जिससे चुनाव आयोग परिचित है क्योंकि उसने कोविड के बाद उच्च न्यायालय की अप्रिय लेकिन सटीक टिप्पणियों के साथ ऐसा करने का असफल प्रयास किया था)."