प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) द्वारा शनिवार रात वैक्सीन को लेकर की गई घोषणा के बाद कांग्रेस ने निशाना साधा है. कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री ने बूस्टर डोज लगाए जाने की बात कही है, क्या भारत के पास पर्याप्त वैक्सीन के डोज उपलब्ध हैं. कांग्रेस ने सवाल करते हुए कहा कि ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर सरकार के पास बचाव की क्या रणनीति है.
रविवार को कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार से जवाबदेही की मांग करने का समय आ गया है. सुरजेवाला ने बिंदुवार केंद्र सरकार से कई सवाल किए.
47,95,00,000 (47.95 करोड़) वयस्क भारतीयों को 59.40 करोड़ कोरोना के टीके कब मिलेंगे?
सुरजेवाला ने कहा कि सरकार के मुताबिक देश में 18 साल से ऊपर के वयस्कों की आबादी 94 करोड़ है. सरकार ने 22 जून को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया कि 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को 31 दिसंबर तक कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज मिल जाएंगी, लेकिन मोदी सरकार द्वारा 25 दिसंबर को जारी तथ्यों के अनुसार, 36.50 करोड़ भारतीयों को अभी तक कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज नहीं मिल पाई है. यह देश की 18 वर्ष से अधिक आयु की जनसंख्या का 35 प्रतिशत है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार की ओर से जारी किए गए तथ्यों के मुताबिक, देश के 18 साल से ऊपर के 11.45 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन की एक भी डोज नहीं मिली है. इसके साथ ही 22,71,510 हेल्थकेयर/फ्रंटलाइन वर्कर्स को भी कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज नहीं मिली है. मोदी सरकार के अनुसार, 25 दिसंबर को केवल 17.74 करोड़ टीके उपलब्ध थे. अब सवाल यह है कि शेष 41.66 करोड़ टीके (59.40 करोड़ - 17.74 करोड़ = 41.66 करोड़) कब उपलब्ध होंगे.
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि भारत की तुलना दुनिया के अन्य देशों से करें तो भारत अभी भी अपने देशवासियों को एंटी-कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज देने में 19वें स्थान पर है, लेकिन मोदी के पास उपरोक्त में से किसी का भी जवाब नहीं है.
प्रधानमंत्री की नई घोषणा के बाद 25.69 करोड़ लोगों को 35.70 करोड़ टीकों की अतिरिक्त डोज कब मिलेगी?
कांग्रेस नेता सुरजेवाला ने कहा कि पीएम मोदी की 25 दिसंबर की घोषणा के बाद कोरोना वॉरियर्स और 60 वर्ष से अधिक आयु के सभी व्यक्तियों को बूस्टर डोज मिलेगी. इसके साथ ही 15 से 18 साल के युवाओं को भी वैक्सीन की दोनों डोज मिलेंगी. देश में कोरोना वॉरियर्स की संख्या 1.89 करोड़ है. एनएसओ की रिपोर्ट के मुताबिक, 60 साल से ज्यादा उम्र के 13.80 करोड़ बुजुर्ग हैं. एक अनुमान के मुताबिक, देश में 15 से 18 साल के बीच के 100 मिलियन युवा हैं. यानी 25.70 करोड़ लोगों को 35.70 करोड़ अतिरिक्त वैक्सीन की डोज मिलेगी.
उन्होंने कहा कि पीएम की घोषणा में शामिल 25.70 करोड़ लोगों के लिए 35.70 करोड़ वैक्सीन की डोज और 18 वर्ष से अधिक उम्र की शेष आबादी को जोड़कर, देश में कुल वैक्सीन की आवश्यकता 35.70 + 59.40 = 95.10 करोड़ टीकों की है. यदि प्रति दिन औसतन 64 लाख टीके दिए जा रहे हैं, तो टीकाकरण प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 149 और दिनों की आवश्यकता होगी. वैक्सीन की उपलब्धता ही संदेह के घेरे में है.
सुरजेवाला ने कहा कि वैक्सीन निर्माताओं की मासिक उत्पादन क्षमता केवल 16.80 करोड़ वैक्सीन प्रति माह है, तो 95.10 करोड़ वैक्सीन देशवासियों को कब तक उपलब्ध हो जाएगी?
देश की जनता को 95.10 करोड़ टीके कब तक उपलब्ध होंगे?
सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार ने संसद में कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया हर महीने कोविशील्ड वैक्सीन की 11 करोड़ डोज तैयार कर सकता है. इसी तरह भारत बायोटेक प्रति माह 5.80 करोड़ वैक्सीन का उत्पादन कर सकता है. यानी प्रति माह 16.80 करोड़ वैक्सीन का उत्पादन. वैक्सीन मैत्री के तहत मोदी सरकार समय-समय पर देश में बनने वाली वैक्सीन का निर्यात भी करती है. मोदी सरकार 25 दिसंबर 2021 तक 10.15 करोड़ वैक्सीन दूसरे देशों को निर्यात कर चुकी है. ऐसे में देश की जनता को 95.10 करोड़ टीके कब तक उपलब्ध होंगे? यदि टीके ही उपलब्ध नहीं हैं तो प्रधानमंत्री की घोषणा के बावजूद अगले 149 दिनों में टीका कैसे उपलब्ध होगा? क्या इस सवाल का जवाब देगी मोदी सरकार?
कम उम्र के बच्चों के टीकाकरण करने के लिए कोई नीति क्यों नहीं?
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि 15 साल से कम उम्र के बच्चों का टीकाकरण करने के लिए मोदी सरकार की कोई नीति क्यों नहीं है? पूरी दुनिया में 3 से 18 साल के बच्चों और युवाओं का टीकाकरण किया जा रहा है. हमारे देश में भी करोड़ों स्कूल जाने वाले बच्चे उनके माता-पिता और परिवार के बुजुर्गों को ओमिक्रॉन और डेल्टा वायरस से संक्रमण का गंभीर खतरा है. फिर मोदी सरकार ने 5 साल से 12 साल और 12 साल से 15 साल तक के बच्चों का टीकाकरण नहीं करने का फैसला क्यों किया? क्या यह अपने आप में देश के युवाओं के स्वास्थ्य और भविष्य के लिए खतरे की घंटी नहीं है?
'सरकार सही आंकड़े नहीं बताकर जिम्मेदारी से बचती रही'
सुरजेवाला ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में मोदी सरकार की आपराधिक लापरवाही से मरने वालों की संख्या की जानकारी सार्वजनिक क्यों नहीं की गई और परिजनों को मुआवजा क्यों नहीं दिया गया? सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट (हार्वर्ड यूनिवर्सिटी) अरविंद सुब्रमण्यम (पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार) और अन्य की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2020 से जून 2021 के बीच देश के 30 लाख से 47 लाख लोगों ने दूसरी लहर में अपनी जान गंवाई. सरकार सही आंकड़े नहीं बताकर अपनी जिम्मेदारी से बचती रही.
उन्होंने कहा कि कोरोना से मरने वालों के परिवारों को मुआवजा देने का आदेश दिया, लेकिन आज तक न तो कुल मौतों का खुलासा हुआ है और न ही मुआवजा जारी किया गया है. यह भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि मोदी सरकार ने कोरोना से मरने वाले एक व्यक्ति की कीमत मात्र 50,000 रुपये आंकी है. यह आपराधिक लापरवाही और लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं तो और क्या है?
'ओमिक्रॉन के खतरे से लापरवाह दिख रही सरकार'
कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी सरकार चारों तरफ मंडरा रहे ओमिक्रॉन वायरस के कारण कोरोना की तीसरी लहर के खतरे के प्रति पूरी तरह से अनभिज्ञ, उदासीन और आपराधिक रूप से लापरवाह है. नया वैरिएंट पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है. डबलिंग रेट भी 1.5 से 3 दिन है.
उन्होंने कहा कि ओमिक्रॉन के खतरे से निपटने के लिए मोदी सरकार ने अभी तक कोई तैयारी नहीं की है. शादियों में लोगों की संख्या 200 तक सीमित कर दी गई है, लेकिन कोरोना की पहली लहर में 'नमस्ते ट्रंप' और दूसरी लहर में 'बंगाल चुनाव' की रैलियों की तर्ज पर प्रधानमंत्री और बीजेपी नेता रैलियां करने में जुटे हैं. हजारों और लाखों लोगों की उपस्थिति हो रही है. अगर ओमिक्रॉन का संक्रमण तेजी से फैलता है तो सरकार के पास न तो नीति है, न मंशा, न विजन और न ही इससे निपटने का कोई उपाय.