सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से पूछा कि क्या नरेंद्र दाभोलकर, CPI नेता गोविंद पानसरे, कार्यकर्ता-पत्रकार गौरी लंकेश और एमएम कलबुर्गी की हत्याओं में कोई समानता थी? अंधविश्वास के खिलाफ लड़ने वाले दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को पुणे में सुबह की सैर के दौरान 2 बाइक सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी, जबकि पानसरे की हत्या 20 फरवरी, 2015 को की गई थी, गौरी लंकेश की हत्या 5 सितंबर 2017 को और कलबुर्गी की 30 अगस्त 2015 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने नरेंद्र दाभोलकर की बेटी मुक्ता दाभोलकर की याचिका पर सुनवाई करते हुए CBI से ये सवाल पूछा. मुक्ता दाभोलकर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने बेंच से कहा कि 4 हत्याओं के पीछे एक बड़ी साजिश थी. उन्होंने कहा कि उपलब्ध सबूतों से संकेत मिलता है कि ये मामले जुड़े हो सकते हैं और मुक्ता दाभोलकर ने बंबई हाईकोर्ट के सामने भी ये मुद्दा उठाया था.
जस्टिस धूलिया ने CBI की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी से पूछा कि क्या इन चारों हत्याओं में कोई समानता थी? जस्टिस कौल ने कहा कि हम यही जानना चाहते हैं और उन्होंने सीबीआई से कहा कि इस पर गौर करें. इसके बाद जैसे ही एडवोकेट ग्रोवर ने मामले से जुड़े मुद्दों पर बहस शुरू की, बेंच ने उनसे कहा कि हाईकोर्ट ने कहा है कि दाभोलकर हत्या मामले में मुकदमा चल रहा है और कुछ गवाहों से पहले ही पूछताछ की जा चुकी है.
बेंच ने पूछा कि हम (उच्च न्यायालय) इसकी और निगरानी नहीं करना चाहते. इस तरह की टिप्पणी में गलत क्या है? ग्रोवर ने कहा कि हालांकि मुकदमा चल रहा है, लेकिन 2 आरोपी फरार हैं और उन्हें अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है.
दाभोलकर हत्याकांड की स्थिति बताते हुए भाटी ने बेंच को बताया कि मुकदमे के दौरान अब तक 20 गवाहों से पूछताछ की जा चुकी है. बेंच ने भाटी से कहा कि याचिकाकर्ता ने बडे़ पैमाने पर साजिश का भी आरोप लगाया है. बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील ने कहा है कि उन्हें संबंधित हिस्सों के कुछ दस्तावेज पेश करने के लिए 2 सप्ताह का समय चाहिए, इससे ASG को इन हत्याओं में शामिल बड़ी साजिश के मुद्दे की जांच करने में मदद मिलेगी. बेंच ने कहा कि 'एएसजी को इस मुद्दे की जांच करने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया जाता है. साथ ही इस मामले को 8 सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करने का आदेश दिया.
एडवोकेट ग्रोवर ने 18 मई को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि सीबीआई को संदेह है कि दाभोलकर, पानसरे और लंकेश की हत्याओं में कोई साझा संबंध हो सकता है. उन्होंने कहा था कि जांच में पाया गया है कि पानसरे और लंकेश की हत्या और दाभोलकर की हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियार एक ही थे और अपराधों में शामिल लोग भी वही थे. इसलिए, सीबीआई आगे की जांच करना चाहती थी.
नरेंद्र दाभोलकर मामले की जांच की 9 साल तक निगरानी करने के बाद हाईकोर्ट ने 18 अप्रैल को कहा था कि जांच पर और निगरानी की जरूरत नहीं है. निरंतर निगरानी के लिए मुक्ता दाभोलकर द्वारा दायर याचिका सहित कई याचिकाओं का निपटारा किया था. 2014 में मुक्ता दाभोलकर और एक अन्य कार्यकर्ता की याचिका के बाद हाईकोर्ट ने मामले की जांच पुणे पुलिस से CBI को ट्रांसफर कर दी थी.