राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित किया. संविधान दिवस के समापन समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को याद किया और महिला नेताओं की भूमिका की भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि संविधान बनाने वाले गांधीजी के सिपाही थे. संविधान पर भी इसकी साफ दिखती है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि महिला नेताओं ने भी संविधान सभा का सदस्य रहते हुए बड़ी भूमिका निभाई. उन्होंने कहा कि प्रस्तावना हमारे संविधान की बुनियाद का पत्थर है. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वे भी विधि और न्याय क्षेत्र से जुड़े थे. कानूनी भाषा को लोक भाषा में सरल रूप से अनूदित होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि हमारे संविधान की सबसे बड़ी खूबसूरती लोकतंत्र के तीनों स्तंभ विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की लक्ष्मण रेखा है. सभी अपने-अपने दायरे में रहकर एक-दूसरे का सम्मान करते हुए काम करते हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि एक छोटे गांव से आई हूं. हम गांव के लोग तीन ही लोगों को भगवान मानते हैं गुरु, डॉक्टर और वकील. उन्होंने कहा कि गुरु ज्ञान देकर, डॉक्टर जीवन देकर और वकील न्याय दिलवाकर भगवान की भूमिका का निर्वहन करते हैं.
राष्ट्रपति ने बतौर विधायक अपने पहले कार्यकाल में विधानसभा की कमेटी के अपने अनुभव साझा किए और उम्मीदों के मुताबिक परिणाम न आने को लेकर अफसोस जताया. उन्होंने बतौर राज्यपाल अपने अनुभव भी साझा किए. राष्ट्रपति ने जजों से भावुक अपील करते हुए कहा कि जेल में बंद लोगों के बारे में सोचें. कोई थप्पड़ मारने के जुर्म में भी कई साल से जेल में बंद है. उन्होंने उनके लिए भी सोचने की अपील करते हुए कहा कि उन्हें न तो अपने अधिकार पता हैं और न ही संविधान की प्रस्तावना या मौलिक अधिकार या संवैधानिक कर्तव्य. ऐसे लोगों के बारे में कोई नहीं सोच रहा.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि उनके घर वालों को छुड़ाने की हिम्मत नहीं रहती क्योंकि मुकदमा लड़ने में ही उनके घर के बर्तन तक बिक जाते हैं. दूसरों की जिंदगी खत्म करने वाले हत्यारे तो बाहर घूमते हैं लेकिन आम आदमी मामूली जुर्म में कई साल जेल में पड़ा रहता है. उन्होंने इसे सरकार पर बोझ भी बताया. राष्ट्रपति ने कहा कि जेल खत्म होनी चाहिए लेकिन यहां और ज्यादा जेल बनाने की बात होती हैं. ये कैसा विकास है.
सीजेआई बोले- संविधान मूल्यों पर आधारित
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने संविधान को बाकी देशों से अलग बताते हुए कहा कि ये नई दिल्ली में लिखा गया. कई एशियाई और अफ्रीकी देशों ने अपना संविधान बकिंघम पैलेस (इंग्लैंड के शाही परिवार का निवास) के आसपास ही बनाया. उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि हमारा संविधान भारतीय जीवन और मूल्यों पर आधारित है. सात दशक के बाद भी हमारा संविधान मूल और परिवर्धित रूप में बरकरार है.
कानून मंत्री ने अंबेडकर को किया याद
कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि लीगल इको सिस्टम में लैंगिक समानता सबसे जरूरी है. उन्होंने कहा कि अपने लंदन प्रवास के दौरान उस जगह भी गया जहां भीमराव अंबेडकर ने अपने मशहूर और गहरे विचार लिखे थे. अंबेडकर ने लिखा था कि विकास तभी सार्थक माना जाएगा जब इसके जरिए महिलाओं को आगे लाया जाए. कानून मंत्री ने कहा कि न्यायपालिका और सरकार के तालमेल से हमने विकास और समाज की बेहतरी के लिए कई चुनौतियों से पार पाया है.
किरण रिजिजू ने पिछले साल हुई मुख्यमंत्रियों और चीफ जस्टिस कॉन्फ्रेंस का भी जिक्र किया और कहा कि सरकार, न्यायपालिका के साथ सामंजस्य के साथ काम कर रही है. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने तकनीकी और इंफ्रास्ट्रक्चर की बेहतरी के लिए काफी काम किया है. जिला अदालतों में भी इसे लेकर काम किया जा रहा है. रिजिजू ने कहा कि अब हमारा ध्यान जिला अदालतों पर है.
देश में पेंडिंग हैं 5 करोड़ केस
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में करीब 70 हजार मामले हैं और हाईकोर्ट्स में 70 लाख. जिला अदालतों के मामले भी जोड़ लें तो कुल करीब पांच करोड़ केस पेंडिंग हैं. केंद्रीय कानून मंत्री ने साफ कहा कि निचली अदालतों पर फोकस किए बिना हम पेंडिंग केस निपटाने में सफल नहीं हो पाएंगे. गौरतलब है कि संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शिरकत की थी.