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Explainer: केरल में अध्यादेश पर बवाल, जानिए- फ्री स्पीच के खिलाफ क्यों बताया जा रहा?

राज्य मंत्रिमंडल ने पिछले महीने ही धारा 118-ए को शामिल करने की सिफारिश करके पुलिस अधिनियम को और सशक्त बनाने की बात कही थी.

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केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन अध्यादेश का कर रहे बचाव (फाइल फोटो)
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन अध्यादेश का कर रहे बचाव (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • एलडीएफ सरकार के केरल पुलिस अधिनियम को मंजूरी
  • विपक्ष बता रहा है फ्री स्पीच के खिलाफ है कानून
  • केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने किया बचाव

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शनिवार को सीपीएम की अगुआई वाली एलडीएफ सरकार के केरल पुलिस अधिनियम संशोधन अध्यादेश को मंजूरी दी है. इस अध्यादेश के तहत सोशल मीडिया पर ‘अपमानजनक’ पोस्ट करने की स्थिति में शख्स को तीन साल की कैद या 10,000 रुपये का जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है.

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राज्य मंत्रिमंडल ने पिछले महीने ही धारा 118-ए को शामिल करने की सिफारिश करके पुलिस अधिनियम को और सशक्त बनाने की बात कही थी. लेकिन इस अध्यादेश के आते ही राजनीतिक बवाल मच गया है. कांग्रेस बीजेपी समेत कई अन्य दल केरल की लेफ्ट सरकार के अध्यादेश का विरोध कर रहे हैं. 

विपक्ष का आरोप
विपक्ष का आरोप है कि एलडीएफ सरकार का यह कानून पुलिस को अनावश्यक और असीमित अधिकार देगा. इससे प्रेस की आजादी पर भी अंकुश लगेगा. राज्य सरकार इस कानून के जरिये उसके आलोचकों पर शिकंजा कस सकती है. विपक्ष का कहना है कि वास्तव में इस नए कानून का इस्तेमाल उन लोगों के खिलाफ किया जाएगा, जो अधिकारियों और सरकार की आलोचना करते हैं. यह कानून केरल पुलिस अधिनियम की धारा 118 (डी) के समान है. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करार देते हुए खारिज कर दिया था. 

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क्या कहती है सरकार?

सरकार के मुताबिक यह अध्यादेश महिला और बच्चों की रक्षा करेगा, जो अक्सर घृणित और डराने-धमकाने वाले बयानों को लेकर सोशल मीडिया पर शिकार होते रहते हैं. सरकार का कहना है कि सोशल मीडिया पर ऐसा हमला किसी भी व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक सुरक्षा के लिए भी खतरा है. सरकार का कहना है कि हाल के दिनों में साइबर क्राइम की वजह से नागरिकों की प्राइवेसी को बड़ा खतरा पैदा हो गया है. ऐसे में नए अध्‍यादेश लाने के बाद केरल पुलिस को ऐसे अपराधों से निपटने की शक्ति मिलेगी.

देखें: आजतक LIVE TV

पिनरई विजयन ने इस अध्यादेश का बचाव करते हुए कहा है कि ये फैसला सोशल मीडिया के बढ़ते दुष्प्रयोग और लोगों को निशाना बनाने की कुप्रथा के कारण लाया गया है. विजयन ने कहा कि राज्य की यह जिम्मेदारी है कि वह संविधान के दायरे का ध्यान रखते हुए मीडिया या सरकार की आलोचना करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करे. सरकार का दायित्व है कि वह प्रेस की आजादी सुनिश्चित करने के साथ-साथ नागरिकों की स्वतंत्रता और प्रतिष्ठा की भी रक्षा करे. 

क्या है कानून?  
केरल पुलिस अधिनियम में नई धारा 118 (ए) जोड़ने के प्रावधान को मंजूरी मिलने के बाद अब प्रदेश पुलिस को ज्यादा अधिकार मिल गए हैं. इसके तहत सोशल मीडिया पर अपमानजनक या मानहानि वाली पोस्ट को लेकर किसी व्यक्ति को तीन साल जेल या दस हजार रुपये जुर्माना या दोनों ही हो सकता है. 

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अध्यादेश के मुताबिक अगर कोई शख्स किसी भी तरह के संचार, किसी भी मामले या विषय के माध्यम से किसी व्यक्ति को धमकाने, अपमानित करने या बदनाम करने के लिए कुछ भी प्रकाशित करता है तो उसे तीन साल तक की कैद हो सकती है या 10,000 रुपये के जुर्माना या सजा के रूप में दोनों दिए जा सकते हैं. संशोधित कानून के तहत पुलिस को ऐसे मामलों में स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई करने की इजाजत है. 

हालांकि बढ़ते विवाद को देखकर सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा है कि केरल पुलिस एक्ट संशोधन अध्यादेश पर फिर से विचार किया जाएगा. 


 

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