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Odisha Train Accident: ओडिशा हादसे के शिकार तीन ट्रेनों के ड्राइवरों का क्या हुआ? जानिए क्रैश के वक्त का मंजर

Odisha Train Accident: ओडिशा के बालासोर रेल हादसे के बाद लगातार चले राहत और बचाव कार्य के चलते गाड़ियों का आवागमन शुरू हो चुका है. शनिवार तक बोगियों में फंसे सारे शव निकाल लिए गए थे. उससे पहले ही जख्मी लोगों को इलाज के लिए अस्पताल में भेज दिया गया था. इस बीच रेलवे ने दुर्घटनाग्रस्त गाड़ियों के ड्राइवरों को लेकर अहम जानकारी दी है.

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हादसे के बाद ट्रैक को क्लियर करने का कार्य जारी. (इनसेट में दुर्घटनाग्रस्त ट्रेनें)
हादसे के बाद ट्रैक को क्लियर करने का कार्य जारी. (इनसेट में दुर्घटनाग्रस्त ट्रेनें)

ओडिशा के ट्रिपल ट्रेन एक्सीडेंट ने देश-दुनिया को विचलित करके रख दिया है. इस भयानक हादसे में 275 लोगों की मौत हो गई है. 1100 के आसपास घायल हुए हैं. हादसे की वजह सिग्नल में गड़बड़ी को माना जा रहा है. हालांकि, रेलवे की जांच जारी है. अब घटना के 62 घंटे बीतने के बाद लोगों में गाड़ियों के ड्राइवर और गार्ड्स के बारे में जानने की उत्सुकता बनी हुई है. आपको बता दें कि दो ट्रेनों के लोको पायलट (ड्राइवर) और गार्ड घायल हुए हैं. इलाज के लिए उनको ओडिशा के अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. गनीमत रही कि मालगाड़ी के इंजन चालक और गार्ड हादसे में बाल-बाल बच गए. 

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दक्षिण पूर्व रेलवे के खड़गपुर डिवीजन के वरिष्ठ मंडल वाणिज्यिक प्रबंधक राजेश कुमार ने बताया, कोरोमंडल एक्सप्रेस के लोको पायलट, सहायक लोको पायलट और गार्ड समेत बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस के ड्राइवर और गार्ड घायलों की सूची में थे. सभी घायलों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है. 

ड्राइवरों के हवाले से दी जानकारी 

तीनों गाड़ियों के आपस में टकराने को लेकर रेलवे बोर्ड ने एक और बड़ी जानकारी दी है. बोर्ड ने ड्राइवरों के हवाले से बताया कि सिग्नल में गड़बड़ी के कारण यह हादसा हुआ.

सिग्नल में गड़बड़ी बनी वजह

कोरोमंडल एक्सप्रेस के ड्राइवर ने बताया कि उसने ग्रीन सिग्नल देखकर ही आगे का रास्ता तय किया था. वहीं, यशवंतपुर एक्सप्रेस के ड्राइवर ने हादसे से पहले अजीब-सी आवाज सुनने का दावा किया. आपको बता दें कि इस भयानक हादसे में कोरोमंडल ट्रेन को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. 

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बालासोर ट्रेन हादसे में 2 ट्रेनों के ड्राइवर और गार्ड घायल हुए हैं.

कैसे हुआ हादसा? 

रेलवे की तरफ से बताया गया कि ट्रेन नंबर 12481 कोरोमंडल एक्सप्रेस बहानगा बाजार स्टेशन के (शालीमार-मद्रास) मेन लाइन से गुजर रही थी, उसी वक्त डिरेल होकर वो अप लूप लाइन पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई. ट्रेन पूरी रफ्तार (फुल स्पीड) में थी, इसका परिणाम यह हुआ कि 21 कोच पटरी से उतर गए और 3 कोच डाउन लाइन पर चले गए. 

ये भी पढ़ें: तबाही, रेस्क्यू और सियासत... ओडिशा ट्रेन हादसे में पिछले 60 घंटे में क्या-क्या हुआ?

विदित हो कि हर रेलवे स्टेशन पर दूसरी ट्रेन पास कराने के लिए लूप लाइन होती है. बहानगा बाजार स्टेशन पर अप और डाउन, दो लूप लाइन हैं. किसी भी गाड़ी को लूप लाइन पर तब खड़ा किया जाता है, जब किसी दूसरी ट्रेन को स्टेशन से पास कराया जाना हो.  

हादसे में मालगाड़ी के इंजन चालक और गार्ड हादसे में बाल-बाल बच गए. 

दरअसल, बहानगा बाजार स्टेशन पर इन ट्रेन का स्टॉपेज नहीं है. ऐसे में दोनों ही ट्रेनों की रफ्तार तेज थी. बहानगा बाजार स्टेशन से गुजर रही कोरोमंडल एक्सप्रेस अचानक पटरी से उतरी तो ट्रेन के कुछ डिब्बे मालगाड़ी से जा भिड़े. इसी दौरान हादसे के समय डाउन लाइन से गुजर रही यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस के पीछे के दो डिब्बे भी पटरी से उतरी कोरोमंडल एक्सप्रेस की चपेट में आ गए.

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हादसा भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से करीब 171 किलोमीटर और खड़गपुर रेलवे स्टेशन से करीब 166 किलोमीटर दूर स्थित बालासोर जिले के बहानगा बाजार स्टेशन पर हुआ.

इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग हादसे की वजह: रेल मंत्री

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया, रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने मामले की जांच की है. यह हादसा इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव के कारण हुआ. जांच रिपोर्ट आने दीजिए. हमने घटना के कारणों और  इसके लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान कर ली है.  उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. अभी हमारा फोकस ट्रैक की बहाली पर है. 

बता दें कि रेल हादसे के बाद ट्रैक को साफ करने और फिर से बहाल करने के लिए युद्धस्तर पर काम जारी है. बचाव और राहत कार्य के बाद रेलवे वे शनिवार रात में ही पटरियों से अधिकांश मलबा हटा दिया. खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव दुर्घटनास्थल पर मौजूद हैं. ट्रैक की बहाली के लिए किए जा रहे कार्यों की निगरानी कर रहे हैं.

बुधवार से चालू हो जाएगा ट्रैक

रेल मंत्री ने बताया कि बुधवार सुबह तक यह ट्रैक चालू हो जाएगा. उन्होंने कहा कि सभी शव निकाल लिए गए हैं और हमारा लक्ष्य बुधवार सुबह तक मरम्मत का काम खत्म करने का है ताकि इस ट्रैक पर ट्रेनें दौड़ना शुरू हो सकें.  

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