चीन में कोरोना के मामले खतरनाक रफ्तार से बढ़ रहे हैं. चीन में बढ़ते कोरोना मामलों ने भारत को भी चिंता में डाल दिया है. चिंता उस BF.7 वैरिएंट को लेकर भी है जिसने चीन में कोरोना को विस्फोटक रूप दिया है. भारत में भी उस वैरिएंट के पांच केस सामने आ गए हैं. इसमें तीन मामले तो गुजरात के हैं, वहीं दो मामले ओडिशा से भी सामने आए हैं. ऐसे में क्या भारत को भी इस वैरिएंट से डरने की जरूरत है? क्या चीन की तरह भारत में भी कोरोना की नई लहर आने वाली है? क्या भारत में फिर लॉकडाउन की स्थिति आ सकती है? इन सभी सवालों पर आजतक ने AIMMS के पूर्व निदेशक रणदीप गुलेरिया से बात की है.
कितना खतरनाक है BF.7 वैरिएंट?
डॉक्टर रणदीप गुलेरिया कहते हैं कि BF.7 ओमिक्रॉन का ही एक सबवैरिएंट है. बड़ी बात ये है कि इस वैरिएंट में इम्युनिटी को चकमा देने की ताकत है. इसी वजह से अगर किसी को पहले कोरोना हुआ भी हो, वो फिर इस वैरिएंट से संक्रमित हो सकता है. वैक्सीन लेने के बाद भी शख्स इस वैरिएंट की चपेट में आ सकता है, लेकिन केस की गंभीरता कम रहेगी.
चीन में BF.7 से मामले तेजी से क्यों बढ़ रहे हैं?
चीन में मामले बढ़ने के कई कारण हैं. सबसे बड़ा कारण तो चीन की कोरोना नीति रही है. चीन ने लंबे समय तक जीरो कोविड पॉलिसी का पालन किया है. उस स्थिति में एक या दो कोरोना के मामले भी आते थे तो चीन में लॉकडाउन लग जाता था. इस वजह से वहां पर लोग इस वायरस से ज्यादा एक्सपोज नहीं हुए. इस वायरस के खिलाफ उनकी इम्युनिटी नहीं बन पाई. इसके अलावा चीन में अभी भी सभी को कोरोना की वैक्सीन नहीं लगी है. उनकी जो बुजुर्ग वाली आबादी है, वहां तो काफी कम लोगों को टीका लगा है. ऐसे में अगर किसी बुजुर्ग को कोई दूसरी बीमारी पहले से है, तो कोरोना से संक्रमित होने पर उसकी हालत ज्यादा गंभीर बन जाती है और उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ता है.
भारत को क्या नए वैरिएंट से डरने की जरूरत है?
भारत को इस नए वैरिएंट से डरने की जरूरत नहीं है. लोगों को किसी भी तरह का पैनिक नहीं दिखाना है. सिर्फ सावधानी बरतने की जरूरत है. कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन हो, ये जरूरी है. भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचें, बाहर जाते समय मास्क लगाकर रखें. यहां ये समझना भी जरूरी है कि भारत में पिछले एक साल में जो भी सब वैरिएंट आए हैं, वो सभी ओमिक्रॉन से ही जुडे़ हुए हैं. और भारत में ओमिक्रॉन वैरिएंट के पहले से मामले आ रहे हैं और कई लोग इससे संक्रमित भी हो चुके हैं. ऐसे में भारत में लोगों की ओमिक्रॉन के खिलाफ इम्युनिटी मजबूत है. इसलिए स्थिति गंभीर बनेगी, ऐसा नहीं लगता.
भारत और चीन की स्थिति में क्या अंतर है?
भारत और चीन में स्थिति काफी अलग है. इन दोनों की तुलना नहीं की जा सकती है. चीन में कोरोना ने विस्फोटक रूप इसलिए लिया है क्योंकि वहां पर कई लोगों को अभी भी वैक्सीन नहीं लगी है. उनकी जो वैक्सीन है भी, वो दूसरे टीकों के मुकाबले कम असरदार है. इस वजह से वहां पर संक्रमण तेजी से फैल रहा है. भारत में तो ज्यादातर लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं. कई ने तो बूस्टूर डोज भी लगवा ली है. मुझे नहीं लगता कि भारत में हालात ज्यादा बिगड़ेंगे. अभी इस समय मामले काफी कम है, स्थिति वो चल रही है जो कोरोना के शुरुआती समय की थी. यानी कि मामले काफी कम हो गए हैं.
क्या वैक्सीन का कॉकटेल लिया जा सकता है?
इसे हम हेट्रोवैक्सीन कहते हैं. आप हो सकता है कि पहली वैक्सीन कोवैक्सीन की लगवाएं, फिर दूसरी आप कोविशील्ड की लगवा लें और तीसरी आप कोबरा की वैक्सीन लगा सकते हैं. अब तक की जो रिसर्च सामने आई है वो बताती है कि इस प्रकार से वैक्सीन लगवाने से इम्युनिटी पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. वायरस के खिलाफ शरीर और मजबूती से लड़ता है. भविष्य में चौथी डोज भी दी जा सकती है. इससे भी वायरस के खिलाफ इम्युनिटी को मजबूती मिलती है.
भारत में क्या अगले साल फिर लॉकडाउन लगेगा?
एक लहर या वेव को प्रिडिक्ट करना काफी मुश्किल होता है. इसका सबसे बड़ा कारण होता है वायरस में होने वाले म्यूटेशन. अगर कोई म्यूटेशन ऐसा हो जाए कि वायरस का स्वरूप बदल जाए तो खतरा बन सकता है. जैसे जब देश में पहली बार डेल्टा वैरिएंट आया था. लेकिन अभी हम देख रहे हैं कि सिर्फ ओमिक्रॉन के ही सबवैरिएंट सामने आ रहे हैं जिसके खिलाफ भारत के लोगों की बढ़िया इम्युनिटी है. ऐसे में अभी वो स्थिति नहीं लगती कि लॉकडाउन लगाया जाएगा. विदेश जाने पर भी रोक लगा देना या दूसरी पाबंदियों की भी जरूरत नहीं है. सिर्फ कोरोना प्रोटोकॉल्स का पालन करना जरूरी है. अगर कोई दूसरे देश से आ रहा है और उसे खासी-जुखाम है तो एक बार कोरोना टेस्ट जरूर करवा लें. ये उसे अपनी जिम्मेदारी लगनी चाहिए. उसका ऐसा करने से डॉक्टर भी जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए पता लगा पाएंगे अगर कोई दूसरा वैरिएंट दस्तक दे रहा है या नहीं.
नए साल पर बाहर घूमने जा सकते हैं?
नहीं अब सेलिब्रेट करना चाहिए, पिछले दो साल से कोरोना की वजह से नहीं किया था, तो अब करना चाहिए. वैसे भी देश में इस समय कोरोना की स्थिति पूरी तरह कंट्रोल में है. सिर्फ सावधानी बरतनी होगी. मास्क लगाना होगा, भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचना होगा. अगर कोई बुजुर्ग है तो उन्हें ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. उन्हें कोई दूसरी बीमारी भी है, तो अपनी सेहत को लेकर और ज्यादा सजग रहें. सर्दी का मौसम है, इसलिए खासी-जुखाम होना स्वभाविक है. वायरस ज्यादा देर तक हवा में रहता है, इसलिए लोग भी जल्दी बीमार पड़ते हैं. पैनिक नहीं करना है, जरूरत पड़ने पर बस टेस्ट करवाएं.