ब्लैक फंगस के बाद अब कोरोना मरीजों में जानलेवा रेक्टल ब्लीडिंग का खतरा बढ़ गया है. राजधानी दिल्ली के दो अस्पतालों में ही पिछले कुछ वक्त में ऐसे पांच से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. इसमें से एक ही मौत भी हो गई है. मिली जानकारी के मुताबिक, गंगाराम अस्पताल में इन मरीजों को कोरोना का पता चलने के 20-30 दिन बाद रेक्टल ब्लीडिंग की शिकायत हुई.
हैरानी की बात यह है कि अब तक रेक्टल ब्लीडिंग सिर्फ कम इम्यूनिटी वाले, कैंसर, एड्स से पीड़ित मरीजों में देखने को मिलती थी. अस्पताल के मुताबिक, भारत में पहली बार कोविड मरीजों में रेक्टल ब्लीडिंग के मामले सामने आए हैं. रेक्टल ब्लीडिंग साइटोमेगालो वायरस से संबंधित है.
रेक्टल ब्लीडिंग में इन मरीजों को पेट में दर्द, मल के निर्वहन के दौरान खून आना जैसी दिक्कतें आईं. अस्पताल का मानना है कि कोविड संक्रमण और इलाज के लिए इस्तेमाल दवाएं (स्टेरॉयड) इसके पीछे की वजह हो सकती हैं.
गंगाराम स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड पैन्क्रियाटिकोबिलरी साइंसेज के चेयरमैन प्रोफेसर अनिल अरोड़ा ने कहा कि साइटोमेगालो वायरस से संबंधित ऐसे इंफेक्शन पहले से 80-90 फीसदी भारतीय जनसंख्या में मौजूद रहते हैं, लेकिन हमारी इम्यूनिटी मजबूत होती है, जिसकी वजह से इसके लक्षण नहीं दिखते. लेकिन जिनकी इम्यूनिटी किसी वजह से कमजोर हो जाती है, उनमें ऐसे लक्षण दिखने लगते हैं.
गंगाराम में पांच में से एक मरीज की मौत
गंगाराम हॉस्पिटल में जो पांच मरीज भर्ती हुए, उनकी उम्र 30 से 70 साल के बीच है. सभी दिल्ली-एनसीआर के हैं. इसमें से दो को बहुत ज्यादा खून आ रहा था. इन दोनों में से एक की जान बचाने के लिए बड़ी सर्जरी करनी होगी. वहीं दूसरे ने जान गंवा दी है. बाकी तीन का एंटीवायरल थेरेपी से सफल इलाज हो गया है.
कई को काढ़े की वजह से हुई परेशानी
मूलचंद हॉस्पिटल में एक रेक्टल ब्लीडिंग का केस आया था. 55 साल के उस शख्स ने बताया था कि वह पिछले तीन महीनों से दिन में 4-5 गिलास काढ़ा पी रहा था. मार्च से हॉस्पिटल में कई और ऐसे केस आए हैं, जिनको गुदा विदर और बवासीर की शिकायत हुई. ज्यादातर वॉट्सऐप ग्रुप में प्राप्त जानकारी के हिसाब से घरेलू नुस्खों का ओवरडोज ले रहे थे.