केंद्र सरकार ने वैक्सीनेशन के अलावा कोविड प्रबंधन की ताजा और विस्तृत जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी है. सोमवार सुबह होने वाली सुनवाई से पहले रविवार शाम 218 पेज के हलफनामे में केंद्र सरकार ने कोर्ट के सभी सवालों के एक-एक कर जवाब दिए हैं.
केंद्र ने कहा है कि देशभर में कोई भी कोविड मरीज कहीं भी अस्पताल में दाखिल हो सकता है. यानी आरटीपीसीआर रिपोर्ट या राज्य शहर में रहने के आधार कार्ड की जरूरत नहीं होगी. केंद्र सरकार ने ये भी जानकारी दी है कि कोविड सेंटर, बेड्स, डॉक्टर, नर्स और मेडिकल स्टाफ की संख्या बढ़ाई गई है. मेडिकल छात्रों को भी कोविड सेवा कार्य में लगाया जा रहा है.
केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि 100 दिन कोविड सेवा कार्य करने वालों को आर्थिक रूप से इंसेंटिव देने की भी पहल की है. वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने के साथ साथ वैक्सीन की उपलब्धता भी बढ़ाई गई है. पहले 60 से ऊपर, फिर 45 से साठ और अब 18 से 44 साल की उम्र वालों के लिए भी टीकाकरण शुरू कर दिया गया. राज्य भी वैक्सीन उत्पादकों से सीधे खरीद रहे हैं.
केंद्र के हलफनामे में वैक्सीन की कीमत पर बात कही गई है. सरकार ने कहा है कि वैक्सीन उत्पादकों से बात कर यह तय कर दिया गया है कि सभी राज्यों को समान दर पर वैक्सीन मिलेगी. लेकिन केंद्र को सस्ती वैक्सीन देने के पीछे वजह ये बताई गई है कि केंद्र ने बड़े ऑर्डर और पेशगी रकम कंपनी को दी है.
यह भी कहा गया है कि वैक्सीन दुनिया में बहुत हाल ही में विकसित हुए हैं और इसलिए उनका उत्पादन भी हाल ही में शुरू हुआ है. हर देश में वैक्सीन की सीमित उपलब्धता के चलते प्राथमिकता की एक प्रणाली का पालन किया है.
MHA ने कोर्ट में दिए अपने हलफनामे में कहा कि केंद्र सरकार ने वैक्सीन निर्माताओं के साथ अनौपचारिक परामर्श करके यह सुनिश्चित किया है कि वैक्सीन की कीमतें सभी राज्यों के लिए समान हों. जिन लोगों को भुगतान कर वैक्सीन लगवाना है, वे निजी अस्पताल में जा सकते हैं. 25% लोगों के निजी क्षेत्र के माध्यम से वैक्सीन लगवाने से, सरकारी टीकाकरण पर तनाव कम पड़ेगा.