scorecardresearch
 

SC में लॉकडाउन में अटके संविधान की व्याख्या से जुड़े साढ़े पांच सौ से ज्यादा मामले!

कोरोना संकट के दौरान फिजिकल हियरिंग का संकट तो है ही उससे बड़ा संकट संविधान पीठ गठित करने का है. दो साल पहले जहां सुप्रीम कोर्ट में निर्धारित संख्या 34 के अनुसार पूरे जज थे वहीं अभी सात जजों की कमी है. अगस्त तक चार और जज रिटायर हो जाएंगे तो ये संख्या 11 तक पहुंच जाएगी. तो 34 में से 23 जज ही रह जाएंगे.

Advertisement
X
सुप्रीम कोर्ट (PTI)
सुप्रीम कोर्ट (PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 551 याचिकाओं में सिर्फ 52 याचिकाएं ही मुख्य मुद्दों से जुड़ी
  • 402 याचिकाओं पर 5 जजों की पीठ के सामने सुनवाई लंबित
  • सात जजों की पीठ के सामने सुनवाई को 13 याचिकाएं लंबित

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठों के सामने सूचीबद्ध साढ़े पांच सौ से ज्यादा मामले लॉकडाउन में अटके पड़े हैं. इन 551 याचिकाओं की सुनवाई के लिए तय पीठ में से कुछ जज रिटायर भी हो चुके हैं.

Advertisement

इस तरह से सुप्रीम कोर्ट में एक ओर जजों की घटती संख्या और लंबित मुकदमों की बढ़ती फाइलें बड़ी चुनौती हैं क्योंकि संविधान पीठ के लिए जजों की संख्या अपर्याप्त दिख रही है. सुप्रीम कोर्ट के रिकॉर्ड के मुताबिक ही फिलहाल कोर्ट में 551 मुकदमे संविधान पीठ के सामने सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं. इनमें संविधान से जुड़े मसले और कानूनी महत्व के मुद्दों से जुड़ी याचिकाएं शामिल हैं.

ऐसा भी नहीं है कि सभी 551 याचिकाएं अलग-अलग मुद्दों वाली हैं. सिर्फ 52 याचिकाएं ही मुख्य मुद्दों से जुड़ी हैं. बाकी 499 याचिकाएं तो इन मुख्य याचिकाओं से ही जुड़ी यानी सप्लीमेंट्री या हस्तक्षेप याचिकाएं हैं.

5 जजों की बेंच के सामने 402 याचिकाएं

इनकी भी तह में जाएं तो कुल जिन 402 याचिकाओं पर पांच जजों की पीठ के सामने सुनवाई के लिए लंबित हैं उनमें 41 प्रमुख हैं और 361 उनके पीछे दाखिल हुई याचिकाएं हैं.

Advertisement

संविधान के अनुच्छेद 145 (3) के मुताबिक संविधान की व्याख्या, कानूनी महत्व, राष्ट्रीय महत्व या फिर राष्ट्रपति किसी मुद्दे पर कानूनी राय मांगें तो कम से कम पांच जजों की पीठ उस पर सुनवाई कर फैसला देती है. इसी तरह पांच, सात, नौ, 11, 13, 15 यानी विषम संख्या के मुताबिक जजों की पीठ बनती है. सर्वसम्मत या बहुमत का फैसला ही मान्य होता है. कई बार तो सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों की पूर्ण पीठ भी सुनवाई कर फैसला देती है, लेकिन ऐसा मामला कोई विरला ही होता है.

इसे भी क्लिक करें --- कर्नाटक: कोरोना से जंग हार गए माता-पिता, 10 दिन की बच्ची हो गई अनाथ
 
अब सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री के मुताबिक सात जजों की पीठ के सामने सुनवाई के लिए कुल 13 याचिकाएं लंबित हैं. इनमें से पांच मुख्य और आठ उनके बाद उसी मुद्दे से संबंधित दाखिल हुई याचिकाएं हैं. नौ जजों की पीठ के सामने विचारार्थ 136 याचिकाएं हैं जिनमें से सिर्फ छह ही मुख्य हैं बाकी 130 तो साथ वाली हैं.

सुप्रीम कोर्ट में जजों की कमी

इन याचिकाओं में देखें तो सबरीमाला मंदिर में खास उम्र वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत देने से शुरू हुए इस मामले की पुनर्विचार याचिकाओं का दायरा सभी धर्मों में महिलाओं के मौलिक अधिकार, भेदभाव और अन्य अधिकारों से जुड़े मूल प्रश्नों तक पहुंच गया हैं. नौ जजों की पीठ को इस पर सुनवाई करनी है.

Advertisement

ऐसे ही जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35(a) के निरस्त किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाएं और निर्वाचन आयोग के अधिकार, आयुक्तों की नियुक्ति और हटाने के नियम समान की जाने से संबंधित याचिकाएं भी पांच जजों की संविधान पीठ के सामने सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हैं.

फिलहाल कोरोना संकट के दौरान फिजिकल हियरिंग का संकट तो है ही उससे बड़ा संकट संविधान पीठ गठित करने का है. दो साल पहले जहां सुप्रीम कोर्ट में निर्धारित संख्या 34 के अनुसार पूरे जज थे वहीं अभी सात जजों की कमी है. अगस्त तक चार और जज रिटायर हो जाएंगे तो ये संख्या 11 तक पहुंच जाएगी. तो 34 में से 23 जज ही रह जाएंगे. यानी नए चीफ जस्टिस की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम पर हाईकोर्ट में जजों के खाली पद भरने के साथ सुप्रीम कोर्ट में भी जजों की खाली कुर्सियां भरने की दोहरी चुनौती होगी क्योंकि जस्टिस बोबडे के चीफ जस्टिस रहते हुए एक्जिट तो कई जज हुए पर एंट्री एक जज की भी नहीं हो सकी.

 

Advertisement
Advertisement