भारत में देसी कंपनी जायडस कैडिला भी अपनी कोरोना वैक्सीन पर काम कर रही है. अहमदाबाद की यह बड़ी फार्मा कंपनी बाजार में जल्द ही बच्चों की वैक्सीन के साथ आ सकती है. नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने कहा कि जायडस कोरोना वैक्सीन को भी बच्चों पर आजमाया जा रहा है. यह तीन डोज वाली वैक्सीन है.
स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डॉ. वीके पॉल ने कहा कि ज्यादातर बच्चों में कोरोना के मामले बिना लक्षण वाले हैं. कुछ बच्चों के फेफड़ों में निमोनिया देखा गया है. कुछ बच्चों में रिकवरी के 2-6 सप्ताह के बाद बुखार, शरीर पर रैशज, आंखों में सूजन की शिकायत देखी गई है. बच्चों में पोस्ड कोविड को लेकर ऐसे भी मामले देखे गए हैं जहां उनके टेस्ट नेगेटिव हैं लेकिन उनमें कोरोना के लक्षण हैं.
उन्होंने कहा कि दो से तीन प्रतिशत बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ सकती है. हम अस्पताल में भर्ती करने को लेकर एक ऑडिट करेंगे और यह पता लगाएंगे कि भर्ती करने के संबंध में किन चीजों की जरूरत है. नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने कहा कि वैक्सीन की डोज के शेड्यूल में कोई बदलाव नहीं है. कोविशील्ड की दो डोज दी जाएगी. कोवैक्सीन के लिए भी यही नियम है. पहली डोज के बाद दूसरी डोज 12 सप्ताह के बाद दी जाएगी.
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वैक्सीन के मिश्रण को लेकर डॉ. वीके पॉल ने कहा कि अन्य देशों में इस पर रिसर्च जारी है. यह विज्ञान का मामला है. यह मसला अभी हल नहीं हुआ है. हम इसपर रिसर्च प्रोग्राम की तरह काम कर सकते हैं. विज्ञान को इसे सुलझाने दीजिए. तबतक वैक्सीन की मिक्सिंग नहीं की जाएगी.
सीबीएसई की बोर्ड परीक्षा को लेकर वीके पॉल ने कहा कि स्टेकहोल्डर के विचार-विमर्श के बाद ज्यादा स्पष्ट हो पाएगा. फिलहाल जो वैक्सीन मौजूद है वो 18 साल से कम उम्र के लोगों को नहीं दी जा सकती है. हमें ट्रायल की जरूरत है और बिना वैक्सीन के ट्रायल के आगे बढ़ना सही नहीं है.
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