देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कोहराम थोड़ा कम होता दिख रहा है. दूसरी लहर नियंत्रित होती नजर आ रही है लेकिन तीसरी लहर की आशंका ने सरकार की मुसीबत बढ़ा दी है. कोरोना की तीसरी लहर में सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को बताया जा रहा है. बच्चों के लिए वैक्सीन का सुरक्षा कवच उपलब्ध कराए जाने से संबंधित मसला कोर्ट तक जा चुका है.
इन सबके बीच अब बच्चों के बचाव को लेकर केंद्र सरकार एक्टिव मोड में आती नजर आ रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने ट्वीट कर यह बताया है कि कोरोना संक्रमण के दौरान बच्चों की देखभाल कैसे करें. उन्होंने कहा है कि लार्ज ऑरेंज डायमंड संक्रमित परिवार के सदस्यों में लक्षणविहीन बच्चों की पहचान आमतौर पर स्क्रीनिंग के माध्यम से की जाती है.
कोविड संक्रमण के दौरान बच्चों की देखभाल
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) May 29, 2021
लक्षणविहीन और हल्के मामले
🔶 संक्रमित परिवार के सदस्यों में लक्षणविहीन बच्चों की पहचान आमतौर पर स्क्रीनिंग के द्वारा की जाती है
🔷 इन बच्चों का होम आइसोलेशन और रोग के लक्षण के मुताबिक़ घर पर उपचार किया जा सकता है@PMOIndia pic.twitter.com/9SV1EGpkPW
उन्होंने कहा है कि इन बच्चों का रोग के लक्षण के मुताबिक होम आइसोलेशन में यानी घर पर ही उपचार किया जा सकता है. स्वास्थ्य मंत्री के ट्वीट में यह भी लिखा है कि जन्मजात हृदय रोग, फेफड़ों के पुराने रोग, किसी अंग के विफल होने, मोटापा के साथ ही पहले से ही बीमार बच्चों को भी घर पर रखा जा सकता है. इन बच्चों का होम आइसोलेशन और रोग के लक्षण के मुताबिक घर पर उपचार किया जा सकता है.
डॉक्टर हर्षवर्धन के ट्वीट में यह भी कहा गया है कि रोग के हल्के लक्षण वाले बच्चों के गले में खरास, नाक बहना, खांसी के साथ सांस लेने में तकलीफ होना हो सकते हैं. कुछ बच्चों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण भी हो सकते हैं. उन्हें किसी जांच की जरूरत नहीं है. लक्षणविहीन बच्चों में लक्षण की निगरानी और इसकी गंभीरता के मुताबिक उपचार की जरूरत होती है.