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कोरोना काल में बच्चों की कैसे करें देखभाल? स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने बताया

स्वास्थ्य मंत्री के ट्वीट में यह भी लिखा है कि जन्मजात हृदय रोग, फेफड़ों के पुराने रोग, किसी अंग के विफल होने, मोटापा के साथ ही पहले से ही बीमार बच्चों को भी घर पर रखा जा सकता है.

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन (फाइल फोटोः पीटीआई)
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन (फाइल फोटोः पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • स्क्रीनिंग से होती है लक्षणविहीन बच्चों की पहचान- हर्षवर्धन
  • 'होम आइसोलेशन में ही किया जा सकता है उपचार'

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कोहराम थोड़ा कम होता दिख रहा है. दूसरी लहर नियंत्रित होती नजर आ रही है लेकिन तीसरी लहर की आशंका ने सरकार की मुसीबत बढ़ा दी है. कोरोना की तीसरी लहर में सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को बताया जा रहा है. बच्चों के लिए वैक्सीन का सुरक्षा कवच उपलब्ध कराए जाने से संबंधित मसला कोर्ट तक जा चुका है.

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इन सबके बीच अब बच्चों के बचाव को लेकर केंद्र सरकार एक्टिव मोड में आती नजर आ रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने ट्वीट कर यह बताया है कि कोरोना संक्रमण के दौरान बच्चों की देखभाल कैसे करें. उन्होंने कहा है कि लार्ज ऑरेंज डायमंड संक्रमित परिवार के सदस्यों में लक्षणविहीन बच्चों की पहचान आमतौर पर स्क्रीनिंग के माध्यम से की जाती है.

उन्होंने कहा है कि इन बच्चों का रोग के लक्षण के मुताबिक होम आइसोलेशन में यानी घर पर ही उपचार किया जा सकता है. स्वास्थ्य मंत्री के ट्वीट में यह भी लिखा है कि जन्मजात हृदय रोग, फेफड़ों के पुराने रोग, किसी अंग के विफल होने, मोटापा के साथ ही पहले से ही बीमार बच्चों को भी घर पर रखा जा सकता है. इन बच्चों का होम आइसोलेशन और रोग के लक्षण के मुताबिक घर पर उपचार किया जा सकता है.

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डॉक्टर हर्षवर्धन के ट्वीट में यह भी कहा गया है कि रोग के हल्के लक्षण वाले बच्चों के गले में खरास, नाक बहना, खांसी के साथ सांस लेने में तकलीफ होना हो सकते हैं. कुछ बच्चों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण भी हो सकते हैं. उन्हें किसी जांच की जरूरत नहीं है. लक्षणविहीन बच्चों में लक्षण की निगरानी और इसकी गंभीरता के मुताबिक उपचार की जरूरत होती है.

 

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