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Coronavirus का सेल्फ ट्रीटमेंट पड़ सकता है भारी, खुद से ली दवाई तो हो सकते हैं ब्लैक फंगस के शिकार

दृष्टि अस्पताल के सीनियर आई सर्जन डॉक्टर मनीष अग्रवाल ने सेल्फ ट्रीटमेंट को लेकर लोगों को आगाह किया है. उन्होंने कहा है कि ऐसे मरीजों पर ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा है जो गलत दवाइयां ले रहे हैं. कमजोर इम्युनिटी वाले मरीज ऐसी स्थिति में ब्लैक फंगस का शिकार हो सकते हैं.

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ब्लैक फंगस को लेकर केंद्र सरकार जारी कर चुकी है गाइडलाइन (फोटो-PTI)
ब्लैक फंगस को लेकर केंद्र सरकार जारी कर चुकी है गाइडलाइन (फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सेल्फ ट्रीटमेंट से बिगड़ सकता है कोरोना
  • ब्लैक फंगस का भी बढ़ सकता है खतरा
  • कमजोर इम्युनिटी के मरीज आसान शिकार

कोरोना का कोई इलाज नहीं है. इसका इलाज आपके शरीर में ही है और वो है आपकी रोग से लड़ने की क्षमता, आपकी इम्युनिटी. कोरोना हुआ तो इम्युनिटी कमजोर होने से ब्लैक फंगस का खतरा हो सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि म्यूकोरमाइकोसिस हमेशा पानी और गीली जगहों पर रहता है लेकिन आपकी इम्यूनिटी उससे लड़ती रहती है और आपको पता भी नहीं चलता.

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दृष्टि अस्पताल के सीनियर आई सर्जन डॉक्टर मनीष अग्रवाल ने सेल्फ ट्रीटमेंट को लेकर लोगों को आगाह किया है. उन्होंने कहा है कि ऐसे मरीजों पर ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा है जो गलत दवाइयां ले रहे हैं. कमजोर इम्युनिटी वाले मरीज ऐसी स्थिति में ब्लैक फंगस का शिकार हो सकते हैं.

उन्होंने कहा, 'ऐसे कोविड मरीजों के केस बढ़ रहे हैं, जिन्होंने सेल्फ ट्रीटमेंट से स्टेरॉयड शुरू किया. सेल्फ मेडिकेशन से अर्ली स्टेरॉयड लेने वाले शख्स, अगर शुगर पेशेंट नही हैं तो भी उनको ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा है. कोविड माइल्ड केसेज में भी स्टेरॉयड यूज करने वाले कोविड मरीजों को ब्लैक फंगस हुआ है. अगर मरीज डायबिटिक था, कोविड हुआ और ज्यादा स्टेरॉयड इस्तेमाल कर लिया वो भी इसके लपेटे में आ सकता है. एचआईवी पेशेंट में ऐसी दवाएं चलती हैं, जिससे इम्युनिटी सिस्टम लो हो जाता है. जिसकी इम्युनिटी वीक होती है, उस पर ब्लैक फंगस अटैक कर देता है.'  

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कमजोर इम्युनिटी वाले बरतें सावधानी

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कभी एम्स में सेवाएं दे चुके सीनियर आंखों के डॉक्टर विनीत सहगल ने भी ब्लैक फंगस के खतरे को लेकर चेताया. उनका कहना है कि ऑक्सीजन ट्रीटमेंट वाले मरीजों के लिए भी ब्लैक फंगस खतरनाक है. जिन मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, संक्रमण का खतरा ऐसे मरीजों में सामान्य मरीजों की तुलना में कहीं ज्यादा है.

ज्यादा वक्त तक ICU में भर्ती रहे मरीजों पर भी खतरा

डॉक्टर विनीत सहगल ने कहा, 'सिर्फ शुगर पेशेंट ही नहीं बल्कि वो मरीज, जिनकी ऑक्सीजन लंबे समय तक चली है, या फिर वो आईसीयू में लंबे समय तक रहे हैं, ऐसे लोगों को कोविड रिलेटेड म्यूकोरमाइकोसिस हो रहा है. कई पेशेंट एंटी कैंसर थेरेपी या ऐसी दवाइयां लेते हैं, जो इम्यूनिटी को लो करती हैं ऐसे मरीजों को ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा है.' 

लक्षणों को न करें नजरअंदाज

दरअसल म्यूकोरमाइकोसिस पहले से ही वातावरण में मौजूद है. कम इम्युनिटी वाले लोगों पर इसके हमले की संभावना काफी ज्यादा है. ऐसे में शुगर के मरीजों को कोविड होने पर ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है. स्टेरॉयड से शुगर लेवल बढ़ता है और इम्युनिटी कमजोर हो जाती है. आंख का लाल होना, नाक बहना, चेहरे का सूजना, मुंह के न भरने वाले छाले और चेहरा सूज जाने जैसे लक्षण आपके शरीर में हैं, तो ये म्यूकोरमाइकोसिस हो सकता है.

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