कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों के बाद परिजनों को मिलने वाले मुआवजे की राशि के भुगतान के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को फटकार लाई है. कोर्ट ने पूछा है कि पीड़ितों को अब तक भुगतान क्यों नहीं किया गया?
जस्टिस संजीव खन्ना ने गुजरात सरकार को डांटते हुए कहा कि आपके यहां गंभीर किस्म का गड़बड़झाला है. आंकड़ा दस हजार मौत का है, लेकिन मुआवजे के लिए 91 हजार से ज्यादा लोगों ने दावा किया है. कोर्ट ने कहा कि कई राज्यों में ऐसे हालात हैं. लेकिन इतना ज्यादा अंतर नहीं है. आपके यहां जरूर कोई बात है, जिसकी वजह से दस गुना अंतर दिख रहा है.
पंजाब में मौतें ज्यादा, दावेदार कम
कोर्ट ने पंजाब की बात करते हुए कहा कि वहां मौत के आंकड़े के मुकाबले मुआवजे के लिए कम लोग सामने आए हैं. जस्टिस खन्ना ने पूछा कि आखिर कोरोना से होने वाली मौत और मुआवजे के दावेदारों की संख्या में इस अंतर की वजह क्या है? इसका मतलब यह है कि बेहद गरीब और जरूरतमंद जनता को पता ही नहीं है कि मुआवजा भी मिल रहा है.
हिमाचल प्रदेश और झारखंड में भी वही हाल
पंजाब में मौत की संख्या 16567 बताई गई है. जबकि मुआवजा का दावा करने सिर्फ 8780 लोग ही आए. हिमाचल में तीन हजार मौत के मुकाबले सिर्फ 650 दावेदार आए, जबकि झारखंड मौत का आंकड़ा 5140 है और मुआवजे की अर्जी उनमें से सिर्फ 132 के परिजनों ने ही लगाई.
जस्टिस खन्ना ने कहा कि वैसे तो आधार कार्ड संबंधित व्यक्ति के मोबाइल फोन नंबर से कनेक्ट रहता है. और मृत्यु प्रमाणपत्र आधार कार्ड से जुड़ा रहता है. जब आपके पास संबंधित व्यक्ति के आधार के जरिए फोन नंबर भी है. तो उस पर एसएमएस यानी शॉर्ट मैसेज भेज कर परिजनों को मुआवजा का क्लेम करने वाली स्कीम की जानकारी क्यों नहीं देते? राजस्थान ने बताया कि वहां सरकार ने इ कियोस्क का इंतजाम कर रखा है. उनके जरिए आम लोगों को मुआवजे की अर्जी दाखिल करने में मदद की जा रही है.
बिहार सरकार को भी कोर्ट ने नसीहत दी
कोर्ट ने बिहार सरकार से कहा कि कोरोना के कारण किसी बच्चे के माता-पिता की मौत होती है तो बच्चे को मुआवजा देने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है. याचिकाकर्ता ने कहा कि ऐसे बच्चों की काफी संख्या है. इनकी जानकारी बाल स्वाराज पोर्टल पर है. कोर्ट ने कहा कि संक्रमण के कारण अनाथ होने वाले बच्चों के लिए आवेदन करना बड़ा मुश्किल है. सरकार को इसके लिए प्रयास करने होंगे. कोर्ट ने कहा सभी राज्यों को सही आंकड़ा बाल स्वराज पोर्टल पर अपलोड करना चाहिए ताकि सही लोगों तक मदद पहुंचाई जा सके. कोर्ट ने बिहार सरकार को उन लोगों के परिवार तक पहुंचने के लिए कहा, जिनके परिजन कोरोना के कारण चल बसे.
आंध्र प्रदेश के चीफ सेक्रेट्री ने कोर्ट से माफी मांगी
आंध्र प्रदेश के चीफ सेक्रेट्री ने मुआवजा देने के कोर्ट के निर्णय के पालन में देरी के लिए माफी मांगी. उन्होंने कहा कि कई मरीजों के पते में गलतियां पाई गई हैं. इस पर कोर्ट ने पूछा कि क्या आपके पास उनका पता नहीं है? इस पर चीफ सेक्रेट्री ने कहा कि ओरिजिनल एप्लीकेशन में केवल नाम होता है, क्योंकि वह जल्दबाजी में भरा जाता है. हम सभी को वैरिफाई कर जानकारी ठीक कर रहे हैं. सीएस ने कहा कि मैं पर्सनल लेवल पर जाकर कार्रवाई जल्दी करवाउंगा और पक्का करूंगा की पीड़ितों के खाते में पैसे पहुंच जाएं. कोर्ट ने कहा कि टेक्निकल गलतियों के लिए किसी का आवेदन रद्द न करें. उन्हें सुधार के लिए 2 सप्ताह का समय दें. रिजेक्ट आवेदनों को रिव्यू कमेटी सत्यापित करेगी. कोर्ट ने सरकार को हिदायत दी कि अगली बार इस स्थिति के साथ वापस मत आइएगा. इस पर सीएस ने कहा कि मैं जिंदगी में पहली बार इस तरह की स्थिति का सामना कर रहा हूं.