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दिल्ली के पास अभी भी 4 लाख डोज, केंद्र ने जारी किया राज्यों का वैक्सीन का स्टाक

सरकारी आंकड़ों के अनुसार केंद्र की तरफ से अब तक मुफ्त में तमाम राज्यों को कुल 16.37 करोड़ वैक्सीन की डोज दी गई हैं. वहीं अभी भी कई राज्यों के पास 79 लाख तक डोज मौजूद है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर ( फोटो पीटीआई)
प्रतीकात्मक तस्वीर ( फोटो पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • केंद्र की तरफ से किस राज्य को कितनी वैक्सीन?
  • कितना है वैक्सीन का स्टाक, कितना हुआ इस्तेमाल
  • वैक्सीन संकट सही या फिर मैनेजमेंट में कमी?

देश में कोरोना की रफ्तार तो तेज है ही, टीकाकरण को भी तेज करने पर जोर दिया जा रहा है. शनिवार से देश में टीकाकरण का तीसर चरण शुरू हो गया है जहां पर 18+ आयु वर्ग के लोगों को वैक्सीन देने की तैयारी है. लेकिन इस अभियान के शुरू होते ही कई राज्यों ने हाथ खड़े कर दिए हैं. दावा किया जा रहा है कि इन राज्यों के पास वैक्सीन की काफी कमी है. अब राज्य वैक्सीन की कमी बता रहे हैं, केंद्र दावों को गलत बता रही है, लेकिन असल में क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े?

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किस राज्य के पास कितनी वैक्सीन?

सरकारी आंकड़ों के अनुसार केंद्र की तरफ से मुफ्त में तमाम राज्यों को कुल 16.37 करोड़ वैक्सीन की डोज दी गई हैं. वहीं अभी भी कई राज्यों के पास 79 लाख तक डोज मौजूद हैं. सिर्फ यहीं नहीं आने वाले दिनों में सरकार की तरफ से 17 लाख और डोज तमाम राज्यों को मिलने जा रही है. वहीं अगर अलग-अलग राज्यों के लिहाज से बात की जाए तो भी आंकड़े बताते हैं कि केंद्र की तरफ से राज्यों को भारी मात्रा में वैक्सीन दी गई है.

दिल्ली का हाल

दिल्ली की बात करतें हैं जहां पर वैक्सीन को लेकर खूब बवाल हो रहा है. सीएम केजरीवाल की तरफ से कह दिया गया है कि अभी वैक्सीन नहीं है और लोग सेंटर के बाहर लाइन ना लगाएं. अब सीएम केजरीवाल के इस बयान के साथ ये जानना जरूरी है कि केंद्र की तरफ से राज्य को 38 लाख 47 हजार 310 वैक्सीन डोज दी गई हैं. इसमें से भी दिल्ली के पास अभी 4 लाख 40 हजार 263 वैक्सीन मौजूद हैं. वहीं एक मई तक दिल्ली के पास कोविशील्ड वैक्सीन की 3 लाख 73 हजार 760 डोज मौजूद हैं और कोवैक्सीन की 1 लाख 23 हजार 170 डोज दी गई हैं.

वहीं टीकाकरण के तीसरे चरण में, 18 साल से ऊपर के सभी व्यक्तियों के लिए शुरू हुए टीकाकरण में देश भर के लोग टीके की आपूर्ति का इंतजार कर रहे हैं. दिल्ली एनसीआर में, केवल कुछ ही अस्पताल ऐसे हैं जो वैक्सीन दे पा रहे हैं. वहीं CoWin ऐप और Arogya Setu ऐप में भी तमाम दिक्कतें जारी है. शनिवार की सुबह तक, 45 वर्ष से कम उम्र के कई लोग, जो वैक्सीनेशन के रजिस्टर नहीं कर सके उन्हें निजी अस्पतालों में उम्मीद लिए देखा गया. इसके अलावा मैक्स अस्पताल नोएडा में भी कई युवा वैक्सीन के बारे में पूछताछ करने पहुंचे.

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गुजरात का हाल

बीजेपी शासित राज्य गुजरात में भी वैक्सीन की कमी एक बड़ा मुद्दा है. सीएम विजय रुपाणी की तरफ से बताया गया है कि वैक्सीन की समय रहते सप्लाई नहीं हुई है, इस वजह से 18+ को टीका लगाना बड़ी चुनौती है. उन्होंने विश्वास जताया है कि 15 मई तक सप्लाई ठीक हो जाएगी और फिर फुल स्पीड से टीकाकरण का अभियान चलाया जाएगा. आंकड़ों पर नजर डाले तो पता चलता है कि गुजरात को केंद्र की तरफ से 1 करोड़ 32 लाख  71 हजार 790 वैक्सीन डोज मिली हैं. वहीं अभी राज्य के पास कुल 3 लाख 46 हजार 686 वैक्सीन मौजूद हैं. कोवैक्सीन और कोविशील्ड की शेयर की बात करें तो गुजरात को केंद्र की तरफ से कोविशील्ड की 12 लाख 48 हजार 700 डोज मिल गई हैं, वहीं भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की 4 लाख 11 हजार 490 डोज दी गई हैं. ये आंकड़ा भी एक मई तक का है.

उत्तर प्रदेश में कैसी स्थिति?

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भी वैक्सीन संकट देखने को मिला है. कुछ जगहों पर 18+ के लिए टीका जरूर शुरू किया गया है, लेकिन फिर भी कमी साफ देखी जा सकती है. कई सेंटर पर वैक्सीन खत्म है और कब तक आएगी इसका कोई अंदाजा नहीं. इस बीच सरकारी आंकड़े बताते हैं कि यूपी को कोरोना से लड़ने के लिए वैक्सीन की भारी मात्रा दी गई है. केंद्र ने उत्तर प्रदेश को वैक्सीन की  1 करोड़ 42 लाख 30 हजार डोज दी हैं. वहीं अभी राज्य के पास 12 लाख 10 हजार 220 वैक्सीन मोजूद हैं. इन आंकड़ों के बीच यूपी को कोविशील्ड की 13 लाख 49 हजार 850 डोज दी गई हैं, वहीं कोवैक्सीन की 4 लाख 11 हजार 870 डोज मिली हैं.

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राजस्थान में बवाल, क्या कहते आंकड़े?

राजस्थान की गहलोत सरकार ने भी केंद्र से कहा है कि उनके पास वैक्सीन नहीं बची हैं. वहीं केंद्र कह रहा है कि राज्य ठीक तरीके से मैनेजमेंट नहीं कर रहा है. इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच राजस्थान को वैक्सीन की कुल 1 करोड़ 36 लाख 12 हजार 360 डोज दी गई हैं. इसमें भी राज्य के पास 2 लाख 91 हजार 654 वैक्सीन अभी बच गई हैं. 

सरकार की तरफ से दूसरे राज्यों के आंकड़े भी जारी किए गए हैं. वहां भी आंकड़ों को देख ये कहा जा सकता है कि वैक्सीन सप्लाई पूरी हो रही है. लेकिन जमीन पर स्थिति इन आंकड़ों से अलग दिखती है. सेंटर पर ताले लग जाते हैं, लोगों की लंबी कतार रहती है और कई दिनों तक वैक्सीन उपलब्ध नहीं रहती.

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