कोरोना के कारण सरकार के मंत्रियों और स्वास्थ्य से जुड़े महत्वपूर्ण सरकारी विभागों पर काम का बोझ इतना ज्यादा है कि यदि राष्ट्रीय स्तर की महतवपूर्ण संस्था कोरोना से निपटने के लिए सरकार की मदद करने के उद्देश्य से कोई तार्किक जानकारी मांगे तो भी किसी के पास इतना समय नहीं है कि 6 महीने में अनेक बार याद दिलाने के बावजूद भी मंत्री जी और संबंधित संस्थान जानकारी देने में असमर्थ हैं.
कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने 8 मार्च 2020 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को एक पत्र भेजकर पूछा था कि क्या कोरोना करेंसी नोटों के जरिए फैल सकता है. वहीं, 15 मार्च , 2020 को कैट ने एक अन्य पत्र इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के डारेक्टर डॉक्टर बलराम भार्गव को पत्र भेज कर यही सवाल उनसे भी किया था लेकिन 6 महीने बीत जाने के बाद भी इतने महत्वपूर्ण सवाल जो न केवल देश के करोड़ों व्यापारियों बल्कि आम लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा ही नहीं बल्कि कोरोना काल में जिसकी प्रासंगिकता और अधिक बढ़ गई है, का जवाब किसी ने देना उचित नहीं समझा. इसी बीच कई बार स्वास्थ्य मंत्री और आईसीएमआर को याद दिलाया लेकिन कैट को जवाब का आजतक इंतजार है.
इस मामले पर सरकार की चुप्पी बेहद आश्चर्यजनक है
देश में अनेक जगह और विदेशों में इस विषय पर अनेक अध्य्यन रिपोर्ट में यह साबित हुआ है कि करेंसी नोटों से किसी भी प्रकार का संक्रमण तेजी से फैलता है क्योंकि नोटों की सतह सूखी होने के कारण किसी भी प्रकार का वायरस या बैक्टीरिया लंबे समय तक रहते हैं और क्योंकि करेंसी नोटों का लेन-देन बड़ी मात्रा में अनेक अनजान लोगों के बीच होता है तो इस शृंखला में कौन व्यक्ति किस रोग से पीड़ित है यह पता ही नहीं चलता और इस कारण से करेंसी नोटों के द्वारा संक्रमण जल्दी होने की आशंका रहती है.
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ, जर्नल ऑफ़ करेंट माइक्रोबायोलॉजी एंड एप्लाइड साइन्स, इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फार्मा एंड बायो साइन्स, इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ एडवांस रिसर्च आदि ने भी अपनी अपनी रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की है कि करेंसी नोट के जरिए संक्रमण होता है. इस दृष्टि से कोरोना काल में करेंसी का इस्तेमाल बहुत सावधानी से किया जाना जरूरी है. लेकिन इस मामले पर सरकार की चुप्पी बेहद आश्चर्यजनक है.