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पूरे विश्व को कोरोना महामारी (Corona Pandemic) से जूझते हुए तीन साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है. भारत समेत कई देशों ने कोरोना महामारी के कारण लगाए गए प्रतिबंधों पर ढील दे दी है या प्रतिबंधों को पूरी तरह से खत्म कर दिया है. लंबे वक्त के बाद लोगों ने अभी खुलकर सांस लेना शुरू ही किया था कि कोरोना के एक और वैरिएंट ने दस्तक दे दी है.
अब पूरे विश्व में कोरोना के डेल्टाक्रॉन वैरिएंट (Deltacron variant) का खतरा बढ़ने लगा है. कोरोना का यह नया वैरिएंट हाइब्रिड वैरिएंट (Hybrid Variant) है यानी इसमें डेल्टा (Delta) और ओमिक्रॉन दोनों के कुछ अंश हैं. माना जा रहा है कि कोरोना का डेल्टाक्रॉन वैरिएंट कोरोना के डेल्टा और ओमिक्रॉन से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है.
पेरिस के इंस्टीट्यूट पासटियूर के वैज्ञानिकों ने की पहचान
फरवरी के मध्य में डेल्टाक्रॉन की पहचान हुई थी जब पेरिस के इंस्टीट्यूट पासटियूर के वैज्ञानिकों ने इसकी खोज की थी. इसके जीन सीक्वेंस को बताते हुए वैज्ञानिकों ने कहा था कि इसका सीक्वेंस पहले के वैरिएंट के सीक्वेंस से एकदम अलग है. पिछले साल तक ज्यादातर वैरिएंट का जेनेटिक सीक्वेंस डेल्टा वैरिएंट जैसा ही था लेकिन डेल्टाक्रॉन के अदरूनी संरचना में स्पाइक प्रोटीन बिल्कुल अलग था.
जानकारी के लिए बता दें कि कोरोना वायरस की बाहरी सतह पर ऊपर एक सेल की तरह संरचना होती है, इसे वैज्ञानिक भाषा में स्पाइक प्रोटीन कहा जाता है. इसी स्पाइक प्रोटीन के कारण किसी व्यक्ति में कोरोना महामारी की शुरुआत होती है.
मार्च में ही अमेरिका में डेल्टाक्रॉन के हाइब्रिड सीक्वेंस का पता चला है. अब तक इसके 60 से ज्यादा सीक्वेंसेज अलग-अलग देशों में खोजे जा चुके हैं. अब सवाल यह है कि यह हाइब्रिड के रूप में बनता कैसे है.
वैज्ञानिकों के अनुसार एक ही कोशिका को दो अलग-अलग वायरस संक्रमित करते हैं तो इन दोनों के अंश एक साथ मिल जाते हैं. इसे रिकॉम्बीनेशन या पुनर्संयोजन कहते हैं. जब एक वायरस अपना जेनेटिक सीक्वेंस दूसरे वायरस के जेनेटिक सीक्वेंस के साथ मिलता है तो यह खुद को ही कॉपी करने लगते हैं. वायरस अपनी प्रतिकृति बनाने के लिए ऐसा करते हैं. इसी पूरी प्रक्रिया को हाइब्रिड वैरिएंट कहा गया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पूरी दुनिया को चेताया
कोरोना के हाइब्रिड वैरिएंट के सामने आने के बाद एक बार फिर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पूरी दुनिया को चेतावनी दी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि यह नया वैरिएंट यूरोप के कई देशों में फैल रहा है. अब तक जो मामले सामने आए हैं, उसमें गंभीर लक्षण नहीं देखने को मिले हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कोरोना के इस वैरिएंट के इंसनों में बाकी के वैरिएंट्स के मुकाबले तेजी से फैलने की संभावना है.
हालांकि यह कितना घातक हो सकता है और इसमें किस तरह के लक्षण देखें जा सकते हैं, इस पर स्टडी की जा रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह भी कहना है कि वायरस जितना फैलेगा इसमें बदलाव की संभावना भी उतनी ही तेजी से फैलेगी. जानकारों का मानना है कि कोरोना के डेल्टाक्रॉन वैरिएंट के कारण महामारी की चौथी लहर आ सकती है.