देश की प्रबुद्ध मुस्लिम शख्सियतों ने RSS प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिखकर मुसलमानों पर होने वाले हमलों का जिक्र किया है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि मुसलमानों पर अधिकांश हमले पुलिस की मौजूदगी में किए जाते हैं, लेकिन आरोपियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं होती. ऐसा करने वालों को आसानी से छोड़ दिया जाता है. इससे मुसलमानों में भारी आक्रोश है.
मुस्लिम बुद्धिजीवी नजीब जंग, एसवाई. कुरैशी, शाहिद सिद्दीकी, ले.जनरल जेडयू शाह, सईद शेरवानी ने चिट्ठी में इस बात का जिक्र किया कि आप इसके विरोध में आवाज उठाएं. उन्होंने कहा कि मुस्लिमों के प्रति होने वाले हिंसक व्यवहार से एक निराशा की भावना पैदा हो रही है. आपके प्रयासों की विश्वसनीयता पर कोई संदेह नहीं है. संघ राष्ट्र निर्माण के लिए पूरी शिद्दत से प्रयास कर रहा है. लेकिन इसमें हमारी भागीदारी नहीं होगी तो फिर राष्ट्र निर्माण कैसे संभव होगा. उन्होंने लिखा कि इसके लिए अल्पसंख्यकों सहित सभी वर्गों को साथ लें. अल्पसंख्यक भारत का 20% हिस्सा हैं.
मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने अपनी चिट्ठी में मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरे भाषणों पर रोक लगाने की मांग की है. इसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ पिछले साल अगस्त में हुई बैठक का भी जिक्र किया गया है. साथ ही कहा गया है कि मुस्लिम विरोधी बैठकें जारी हैं. उन्होंने अपनी चिट्टी में महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ का जिक्र करते हुए कहा है कि यहां मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरे भाषण, नरसंहार और हिंसा का आह्वान किया जाता है. हाल ही में इन राज्यों में मुस्लिम विरोधी मार्च निकाले गए.
चिट्ठी में किया राष्ट्र निर्माण का जिक्र
मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने कहा कि महाराष्ट्र में तो ये आलम है कि पुलिस के सामने मुसलमान विरोधी मार्च निकाले गए. लेकिन किसी को खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं होती है. लोगों को आसानी से छोड़ दिया जाता है. इससे मुसलमानों में भारी आक्रोश है. उन्होंने चिट्ठी में लिखा कि देश को सांप्रदायिक कलह से मुक्त करने के लिए प्यार और सद्भाव की बात करना जरूरी है. आपने कई मौकों पर इसकी बात की है और इसका असर भी देखा गया है. मुस्लिम प्रबुद्धजनों ने संघ प्रमुख मोहन भागवत से अपील करते हुए कहा कि आप इस मामले में हस्तक्षेप करें. साथ ही ऐसा करने वाले राज्यों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी करें. प्रबुद्धजनों ने चिट्ठी में लिखा है कि कलह से हमारे देश को नुकसान होगा. भारत खुद को पूरे विश्व में स्थापित कर रहा है. ऐसे में हम आंतरिक कलह नहीं होने दे सकते. हर हाल में इसे रोकना होगा. हम एक होकर हमारे प्रयासों को आगे बढ़ा सकते हैं.
मुस्लिम बुद्धिजीवियों से कब-कब मिले संघ प्रमुख?
संघ प्रमुख भागवत ने 22 अगस्त को मुस्लिम बुद्धिजीवियों के एक पांच सदस्यीय दल से मुलाकात की थी. यह बैठक करीब दो घंटे चली थी. इस बैठक में देश में सांप्रदायिक सौहार्द मजबूत करने और हिंदू-मुस्लिमों के बीच गहरी हो रही खाई को पाटने की जरूरत पर बल दिया गया था. संघ प्रमुख ने बैठक के दौरान साफ तौर पर कहा था कि हमें न तो इस्लाम से कोई दिक्कत है, न कुरान से और न ही मुसलमानों से. ऐसे में हमें भी गलतफहमी को दूर करना चाहिए और एक दूसरे के लिए अपने-अपने दिलों के दरवाजे खोलने चाहिए ताकि माहौल अच्छा हो सके.
इसके बाद मोहन भागवत ने 22 सितंबर 2022 को ऑल इंडिया मुस्लिम इमाम ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख इमाम उमर अहमद इलियासी समेत अन्य मुस्लिम नेताओं से मुलाकात की थी. ये मुलाकात दिल्ली के कस्तूरबा गांधी मार्ग मस्जिद में हुई थी. इस बैठक को लेकर संघ के नेताओं ने कहा था कि RSS सरसंघचालक जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों से मिलते हैं. यह एक सतत सामान्य संवाद प्रक्रिया का हिस्सा है.
इस साल जनवरी में हुई RSS पदाधिकारियों और मुस्लिम बुद्धिजीवियों की मुलाकात
इसी साल जनवरी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों और मुस्लिम बुद्धिजीवियों के पांच सदस्यीय दल की मुलाकात हुई थी. बैठक में संघ की तरफ से रामलाल, कृष्ण गोपाल और इंद्रेश कुमार तो वहीं, मुसलमानों की तरफ से पूर्व LG नजीब जंग, शाहिद सिद्दीकी, एस वाई कुरैशी, जमात ए इस्लामी की तरफ से मलिक मोहतसिम और दारुल उलूम से जुड़े लोग शामिल रहे थे. आरएसएस पदाधिकारी और मुस्लिम बुद्धिजीवी 14 जनवरी को साथ बैठे थे.
चीफ इमाम ने भागवत को बताया था 'राष्ट्र-पिता' और 'राष्ट्र-ऋषि'
अखिल भारतीय इमाम एसोसिएशन के प्रमुख डॉ. इमाम उमर अहमद इलियासी ने कहा था कि मोहन भागवत 'राष्ट्रपिता' और राष्ट्र ऋषि हैं. मोहन मेरे निमंत्रण पर पधारे. उनकी आज की यात्रा से देश में एक अच्छा संदेश जाएगा. भगवान की पूजा करने के हमारे तरीके अलग हैं लेकिन सबसे बड़ा धर्म मानवता है. हमारा मानना है कि देश पहले आता है.
(रिपोर्ट- मोहित बब्बर)
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