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काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद केस: परिसर में वीडियोग्राफी पर लगी रोक, अब 20 अप्रैल को अगली सुनवाई

Kashi Vishwanath temple-Gyanvapi mosque Case: वाराणसी कोर्ट ने काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में नियुक्त कोर्ट कमिश्नर की ओर से की जाने वाली वीडियोग्राफी पर रोक लगा दी है.

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काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद केस
काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद केस
स्टोरी हाइलाइट्स
  • काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद केस में बड़ा फैसला
  • परिसर में होने वाली वीडियोग्राफी पर लगी रोक

UP News: काशी विश्वनाथ धाम ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी सहित अन्य विग्रहों को लेकर वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन के कोर्ट में पिछले साल अगस्त में दाखिल मामले में अब नया मोड़ आ गया है. कोर्ट की ओर से कमीशन और वीडियोग्राफी को फिलहाल टाल दिया गया है. पहले यह कार्रवाई वादी की मांग पर 19 अप्रैल 2022 को होनी थी, लेकिन वाराणसी जिला प्रशासन की ओर से कानून-व्यवस्था का हवाला देकर कोर्ट में पेश किए गए पत्र के बाद वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने वीडियोग्राफी की कार्रवाई को स्थगित करते हुए सुनवाई की अगली तारीख 20 अप्रैल 2022 को नियत कर दी है. जिसके बाद ही वीडियोग्राफी का फैसला होगा.

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काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मामला अभी तक सुलझा नहीं कि काशी विश्वनाथ धाम ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी सहित अन्य विग्रहों को लेकर 18 अगस्त 2021 को वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन के कोर्ट में दाखिल मुकदमे में श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन और अन्य विग्रहों और स्थानों की सुरक्षा की मांग वादी राखी सिंह ने की थी. 

सिविल जज सीनियर डिविजन, वाराणसी की अदालत में ज्ञानवापी परिसर में विद्यमान भगवती श्रृंगार गौरी की निरंतर पूजा प्रारंभ करने के लिए न्यायालय में एक और वाद दर्ज किया गया था. जिसमें मुख्य रूप से माता श्रृंगार गौरी की निरंतर पूजा हो की मांग की गई थी. परिसर में अवस्थित आदि विशेश्वर परिवार के सभी विग्रहों को किसी भी किसी प्रकार से छेड़छाड़ न किया जाए की मांग की गई थी. साथ ही वाद के जरिए ज्ञानवापी परिसर का निरीक्षण-परीक्षण और सर्वेक्षण कराने के लिए कमीशन बनाने की मांग की गई थी. इस वाद में वादी के रूप में राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा के माध्यम से यह वाद दाखिल किया गया. 

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कोर्ट ने वाद को स्वीकार करते हुए सभी पांच प्रतिवादियों मुख्य सचिव यूपी, वाराणसी जिला प्रशासन, वाराणसी पुलिस कमिश्नर, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी, काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को नोटिस भी भेजा है. इतना ही नहीं कोर्ट ने श्रृंगार गौरी मंदिर की मौजूदा स्थिति को जानने के लिए कमीशन गठित करते हुए अधिवक्ता कमिश्नर नियुक्त करने और तीन दिन के अंदर पैरवी का आदेश भी दिया है. लेकिन किन्हीं कारणों से दो-दो बार कोर्ट कमिश्नर पीछे हट गए तो एक बार फिर 8 अप्रैल को फिर से नए कोर्ट कमिश्नर के रूप में अजय कुमार मिश्रा को कोर्ट कमिश्नर बनाकर वीडियोग्राफी करने का आदेश किया गया था. 

वादी मुकदमा की ओर से पैरोकार जितेंद्र सिंह बिसेन ने बताया कि कोर्ट में प्रशासन की तरफ से एक प्रार्थनापत्र देकर यह मांग की गई है कि सुरक्षा कारणों की वजह से कमीशन की कार्रवाई स्थगित कर दी जाए. दो अन्य बिंदुओं पर स्पष्टीकरण भी मांगा गया है जिसको कोर्ट में 19 अप्रैल 2022 को प्रस्तुत कर दिया जाएगा. फिर 20 अप्रैल को नियत सुनवाई की तिथि पर कमीशन की अगली कार्रवाई कोर्ट के द्वारा सुनिश्चित की जाएगी.

फिलहाल, जिला प्रशासन ने जिस आधार पर कमीशन की कार्रवाई रोकने की मांग की है वे ये है कि मस्जिद परिसर में केवल सुरक्षाकर्मी और मुस्लिम ही जाते है वहां कोई अन्य नहीं जा सकता. इसलिए कमीशन की कार्रवाई को रोका जाए दूसरा वादी की तरफ से शामिल लोगों की लिस्ट की भी मांग की गई. इन दोनों बिंदुओं का जवाब न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया जाएगा. 

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वहीं, दूसरी तरफ बनाए गए पांच प्रतिवादियों में से एक अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी को कोर्ट की ओर से वीडियोग्राफी कराए जाने पर बेहद आपत्ति है. कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी सैयद मोहम्मद यासीन ने बताया कि श्रृंगार गौरी के वीडियोग्राफी से उन्हें किसी तरह की आपत्ति नहीं है. लेकिन श्रृंगार गौरी के अलावा अन्य जगहों की वीडियोग्राफी पर उन्हें आपत्ति है. श्रृंगार गौरी मस्जिद की बैरिकेडिंग के बाहर है. लेकिन अगर मस्जिद की बैरिकेडिंग के अंदर कोई जाना चाहेगा तो उसका हम विरोध जताएंगे और अपनी पूरी शक्ति से विरोध करेंगे.

उन्होंने आगे बताया कि इस मामले में जिला प्रशासन को भी अवगत कराया गया है कि 1995 में वादी शिव कुमार शुक्ला की ओर से श्रृंगार गौरी में दर्शन पूजन को लेकर एक वाद सिविल जज जूनियर डिवीजन की अदालत में दाखिल किया गया था. जिसको लेकर वाराणसी जिला प्रशासन की ओर से एक जवाबदेही दाखिल की गई थी. जिसके अनुसार श्रृंगार गौरी की स्थिति स्पष्ट की गई थी और उसका स्थान भी ज्ञानवापी बैरिकेडिंग से बाहर बताया गया था और श्रृंगार गौरी में रोजाना दर्शन पूजन को परंपरा का हिस्सा ना बताते हुए सिर्फ चैत्र मास की चतुर्थी तिथि नवरात्रि के दिन ही वहां पर दर्शन की मान्यता को बताया गया था. उन्होंने बताया कि ज्ञानवापी मस्जिद की बैरिकेडिंग में सिर्फ मसुलमान या सुरक्षाकर्मी जा सकते है. अगर प्रशासन दबाव में आकर अंदर की को आने की अनुमति देता है तो प्रशासन ही उसके लिए जवाबदेह होगा.

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