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कोरोना: देश को जल्द मिल सकती है गुड न्यूज, भारत में विकसित COVAXIN 60% असरदार

हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक भी उनमें से एक है जो कोवैक्सीन (COVAXIN ™) के विकास में जुटी है. भारत बायोटेक ने इस महीने की शुरुआत में वैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण शुरू कर दिया है

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भारत में विकसित COVAXIN 60% असरदार
भारत में विकसित COVAXIN 60% असरदार
स्टोरी हाइलाइट्स
  • भारत में विकसित COVAXIN 60% असरदार
  • स्टोरेज के लिए 2-8 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत
  • तीस करोड़ खुराक के उत्पादन की क्षमता

कोविड-19 वैक्सीन के परीक्षण विश्व स्तर पर जारी हैं. ब्रिटेन, अमेरिका और रूस समेत कई देशों की कई कंपनियां दुनिया को कोरोना वायरस का एक समाधान मुहैया कराने की दौड़ में हैं. हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक भी उनमें से एक है जो कोवैक्सीन (COVAXIN ™) के विकास में जुटी है. भारत बायोटेक ने इस महीने की शुरुआत में वैक्सीन के तीसरे चरण का परीक्षण शुरू कर दिया है. COVAXIN  भारत की स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन है जिसे भारत बायोटेक की ओर से इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR)  और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के सहयोग से विकसित किया जा रहा है. भारत बायोटेक के दावे के मुताबिक कोविड-19 के खिलाफ COVAXIN कम से कम 60 फीसदी असरदार होगी, ये असर इससे ज्यादा भी हो सकता है. 

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बता दें कि COVAXIN के स्टोरेज के लिए 2-8 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होगी. अभी भारत बायोटेक के पास तीस करोड़ खुराक के उत्पादन की क्षमता है जिसे अगले साल तक बढ़ा कर पचास करोड़ किया जा सकता है. कंपनी ने वैक्सीन की कीमत का खुलासा नहीं किया है.

तीसरे चरण के ट्रायल में भारत में 25 केंद्रों पर 26,000 वॉलंटियर्स शामिल
तीसरे चरण के ट्रायल में भारत में 25 केंद्रों पर 26,000 वॉलंटियर्स को शामिल किया गया. यह भारत में किसी कोविड-19 वैक्सीन के लिए सबसे बड़ा क्लिनिकल ट्रायल है. यहीं नहीं यह भारत में कोविड-19 वैक्सीन के तीसरे चरण में असर को जानने के लिए पहली स्टडी है.  ट्रायल के दौरान वैक्सीनेशन से गुजरे पार्टिसिपेटिंग वॉलंटियर्स को अगले साल तक मॉनिटर किया जाएगा, यह पहचान करने के लिए कि कहीं उनमें कोविड-19 बीमारी दोबारा तो नहीं हुई. 

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ट्रॉयल वॉलंटियर्स को लगभग 28 दिनों के अंतराल पर दो इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन दिए जाएंगे. पार्टिसिपेंट्स को रैंडम 1: 1 के  आधार पर छांटा जाएगा. या तो COVAXIN  के दो 6 माइक्रोग्राम (एमसीजी) इंजेक्शन के लिए या प्लेसबो के दो शॉट्स देने के लिए. ट्रॉयल डबल-ब्लाइंड है, जैसे कि जांचकर्ताओं, प्रतिभागियों और कंपनी को यह पता नहीं होगा कि कौन किस ग्रुप में है.  

COVAXIN 60 फीसदी होगा असरदार
इंडिया टुडे ने भारत बायोटेक के अध्यक्ष, क्वालिटी ऑपरेशन्स साई डी प्रसाद के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू किया. प्रसाद के मुताबिक COVAXIN  कोविड-19 वायरस के खिलाफ कम से कम 60 फीसदी असरदार होगा.   WHO,  अमेरिका का FDA (फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) और यहां तक ​​कि भारत का केंद्रीय ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) भी अगर कोई रेस्पिरेटरी वैक्सीन 50 फीसदी प्रभावकारिता को पार करती है तो उसे मंजूरी देती है, प्रसाद के मुताबिक हमारा लक्ष्य कम से कम 60 फीसदी प्रभावकारिता हासिल करने का है, लेकिन ये उससे ज्यादा भी हो सकती है. 

उन्होंने आगे कहा कि जहां तक ट्रायल नतीजों को देखा जाए तो वैक्सीन के 50% से कम प्रभावी होने की संभावना बहुत कम है. भारत बायोटेक के मुताबिक तीसरे चरण का प्रभावकारिता डेटा 2021 की पहली तिमाही में संभवत: उपलब्ध होगा. प्रसाद ने कहा, '' इसके बाद हम वैक्सीन को जारी करने के लिए जरूरी रेग्युलेटरी मंजूरी के लिए आवेदन करेंगे. अगर हम अपने ट्रायल्स के आखिरी चरण में सभी प्रायोगिक सबूतों और डेटा, प्रभावकारिता और सुरक्षा डेटा को स्थापित करने के बाद सभी अनुमोदन प्राप्त करते हैं,  तो हमारा लक्ष्य वैक्सीन को 2021 की दूसरी तिमाही में लॉन्च करने का है. प्रसाद ने ये भी कहा कि हालांकि भारत बायोटेक चौथे चरण के ट्रायल को कुछ वर्षों तक जारी रखेगा.  अब तक दस  देशों ने संभावित भारतीय वैक्सीन में रुचि व्यक्त की है. 

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COVAXIN से जुड़ी 12 अहम बातें- 
1.  COVAXIN के तीसरे चरण के ट्रायल्स के लिए 25 केंद्रों पर  26,000 वॉलंटियर्स हैं. ये ट्रायल्स हैदराबाद, रोहतक, गोवा, नागपुर, भुवनेश्वर, अलीगढ़, आदि कई शहरों में शुरू हो चुके हैं. कई अन्य केंद्रों पर अगले हफ्ते ट्रायल शुरू होंगे.  

2. चरण 1 और 2 के क्लीनिकल ट्रायल्स  COVAXIN की दो खुराक की सुरक्षा और प्रतिरक्षात्मकता (Immunogenicity) जानने के लिए डिजाइन किए गए. तीसरे चरण के ट्रायल्स में इन दोनों पहलुओं के साथ COVAXIN  की दो खुराक की प्रभावकारिता परखने के लिए है. इसके लिए ग्लोबल और भारतीय गाइडलाइंस के मुताबिक स्टडी प्रोटोकॉल विकसित किया गया.  

3. चरण 1 और 2 के ट्रायल नतीजे आशाजनक थे. इनमें लगभग 1,000 वॉलंटियर्स को शामिल किया गया. इनमें COVAXIN  को बिना किसी गंभीर प्रतिकूल स्थिति के सुरक्षित पाया गया. वैक्सीनेटेड ग्रुप्स में करीब 85-90% प्रतिभागी सेरो-कंवर्टेड थे. 

4. कोविड-19 वायरस के खिलाफ भारत का पहला वैक्सीन COVAXIN  कम से कम 60% प्रभावकारिता वाला होगा. 

5. तीसरे चरण का प्रभावकारिता डेटा 2021 की पहली तिमाही के अंत तक संभवत:  मिलेगा. इसके बाद वैक्सीन जारी करने के लिए विनियामक मंजूरी के लिए आवेदन किया जाएगा.  

6.  2021 की दूसरी तिमाही में वैक्सीन लॉन्च करने का लक्ष्य.

7.  COVAXIN  पहली भारत निर्मित वैक्सीन है जिसे ICMR और NIV के सहयोग से विकसित किया गया है. COVAXIN को  SARS-CoV-2 वायरस के एक स्ट्रेन से हासिल किया गया है और पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) में आइसोलेट किया गया.  

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8. COVAXIN के ह्यूमन ट्रायल्स सिर्फ भारत में ही हो रहे हैं. कंपनी दस से अधिक देशों से बातचीत की प्रक्रिया में है जिन्होंने भारती वैक्सीन में दिलचस्पी दिखाई है.   

9. ICMR, DCGI और भारत सरकार का वैक्सीन के विकास के लिए समर्थन बहुत उत्साहजनक रहा. COVAXIN  का विकास सामूहिक कोशिशों का नतीजा है.  

10. अगस्त 2020 के दौरान पहले चरण के क्लीनिकल ट्रायल्स की बिल्कुल शुरुआत के दौरान ही सामने आई एक प्रतिकूल घटना को 24 घंटे के भीतर ही CDSCO-DCGI  को रिपोर्ट किया गया था. पूरी तरह से जांच के बाद सामने आया कि ये प्रतिकूल घटना वैक्सीन से संबंधित नहीं थी.  

11. COVAXIN एक इनएक्टिवेटेड वैक्सीन है. इनएक्टिवेटेड वायरस को ViroVax  के सहायक के साथ वैक्सीन कैंडीडेट के उत्पादन के लिए फॉर्मूलेट किया गया.  

12. COVAXIN  के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले वेरो सेल मैन्युफैक्चरिंग प्लेटफॉर्म ने अब तक 300 मिलियन से अधिक खुराक डिलीवर की है और इसका बेहतरीन सुरक्षा ट्रैक रिकॉर्ड है. भारत बायोटेक ने अपने 20 साल के इतिहास में करीब 600,000 विषयों में 18 से अधिक देशों में 80 से अधिक क्लीनिकल ट्रायल्स किए हैं.  


 

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