मेडिकल की दुनिया में इसे चमत्कार ही कहेंगे कि जहां चारों ओर कोरोना को लेकर खतरे की घंटी बजी है, वहीं एक मरीज फेंफड़ों का ट्रांसप्लांट कराने के बाद पूरी तरह चंगा होकर घर लौटा है. इस मरीज के फेंफड़े पूरी तरह डैमेज हो गए थे जिनका ट्रांसप्लांट किया गया. इलाज के बाद मरीज चंगा होकर खुशी-खुशी घर लौट गया. यह घटना हैदराबाद की है.
इस कठिन इलाज को चमत्कार इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि किसी कोरोना पॉजिटिव मरीज का लंग्स ट्रांसप्लांट पहली बार किया गया है. इस अभूतपूर्व काम को अंजाम दिया है कृष्णा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (केआईएमएस) के डॉक्टरों ने. 32 साल का यह मरीज शुक्रवार को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हुआ और किसी चमत्कार को सच्चाई में बदलने के लिए नम आंखों से डॉ. संदीप अट्टवार को शुक्रिया कहा.
मरीज का नाम रिजवान (मोनू) है जिनकी उम्र 32 साल है. रिजवान चंडीगढ़, पंजाब के रहने वाले हैं. रिजवान सारकॉइडोसिस नामक बीमारी से पीड़ित थे जिनसे उनके फेंफड़े को बेहद नुकसान पहुंचाया. इस बीमारी से रिजवान के फेंफड़ों में फाइब्रोसिस हो गया. मरीज की हालत दिनों दिन बिगड़ती जा रही थी. मरीज पूरी तरह से चंगा तभी हो पाता जब दोनों फेंफड़ों का ट्रांसप्लांट किया जाता. इसी बीच रिजवान को कोरोना हो गया. इस बीमारी ने उनकी हालत और खराब कर दी. फेफड़े डैमेज होने से शरीर में ऑक्सीजन की मांग तेजी से बढ़ने लगी.
रिजवान का इलाज करने वाले डॉ. संदीप अट्टवार ने कहा, संयोग से रिजवान के फेंफड़ों से मेल खाने वाला एक मरीज हमें कोलकाता में मिला जिसे ब्रेनडेड घोषित किया जा चुका है. बिना कोई देरी किए कोलकाता से हार्वेस्टेड फेंफड़े को हैदराबाद लाया गया ताकि मरीज की जान बचाई जा सके. बता दें कि डॉ. अट्टवार का ट्रांसप्लांट सर्जरी में काफी नाम है और उन्होंने 24 साल इस क्षेत्र में अहम योगदान दिया है.
लंग्स ट्रांसप्लांट का काम बेहत मुश्किल होता है और एक छोटी सी गलती भी जान को जोखिम में डाल सकती है. ऐसे में समय पर ट्रांसप्लांट ही उस मरीज की जान बचा सकी. रिजवान हॉस्पिटल से डिस्चार्ज तो हो गए हैं लेकिन हॉस्पिटल के डॉक्टर अगले 6 हफ्ते तक कड़ी निगरानी रखेंगे. बता दें कि डॉ. अट्टवार अभी तक 12 हजार हार्ट सर्जरी और 250 से ज्यादा लंग्स, हार्ट और आर्टिफिशियल हार्ट इंप्लांट (एलवीएडी) कर चुके हैं. इस क्षेत्र में उनका देश-दुनिया में काफी नाम है.