कर्नाटक में बेंगलुरु से चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां राजाजीनगर के ईएसआई हॉस्पिटल में दो शव मिले हैं. ये शव कोरोना मरीजों के हैं, जिनकी मौत पहली लहर के वक्त हुई थी. ये शव मुर्दाघर में मिले हैं. इनका अंतिम संस्कार किया जाना था, लेकिन अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से ऐसा नहीं हो सका. भाजपा विधायक सुरेश कुमार ने अस्पताल प्रशासन से इस मामले में जांच करने के लिए कहा है.
बेंगलुरु की रहने वाली दुर्गा की मौत कोरोना की पहली लहर में 5 जुलाई को हो गई थी. उनकी बेटी को शव नहीं सौंपा गया था. दुर्गा की बेटी मान कर चल रही थीं कि उनकी मां का अच्छी तरह से अंतिम संस्कार किया गया है. लेकिन शनिवार को ईएसआई हॉस्पिटल में मिले दो शव में एक उनकी मां का था, जिनकी मौत करीब 500 दिन पहले हो गई थी. दुर्गा के अलावा दूसरा शव मणिराजू का मिला है. जिनकी उम्र 68 साल की थी और उनकी मौत 2 जुलाई को हो गई थी. वे तीन बच्चियों के पिता थे.
कैसे मिले शव?
ये अस्पताल केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय के तहत आने वाले कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) मॉडल के तहत आता है. अस्पताल में बदबू की शिकायत के बाद हाउसकीपिंग के कर्मचारी खाली पड़े मुर्दाघर की सफाई करने गए, तो उन्हें यहां दो शव मिले. पुलिस के मुताबिक, मुर्दाघर नई बिल्डिंग में शिफ्ट कर दिया गया था. ऐसे में कर्मचारियों ने फ्रीजर में पड़ी दोनों लाशों पर ध्यान ही नहीं दिया.
जब बेंगलुरु में कोरोना का कहर जारी था. जब प्रशासन परिजनों को शव नहीं सौंप रहा था. इनके अंतिम संस्कार बेंगलुरु महानगरपालिका परिजनों की मौजूदगी में कराते थे. वहीं, सोमवार को दुर्गा और मणिराजू का अंतिम संस्कार किया गया. ऐसे में दोनों के परिजन चकित भी थे और नाराज भी. राजाजी नगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक सुरेश कुमार ने अस्पताल अथॉरिटी से मामले की जांच कराने की मांग की है.