Cow Hug Day: भारत के पशु कल्याण बोर्ड ने 14 फरवरी यानी वैलेंटाइन डे के दिन 'काउ हग डे' मनाने की अपील की है. AWBI के मुताबिक, काउ हग डे का मतलब है कि गाय को गले लगाना है. एक ओर बीजेपी नेता इसका स्वागत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विपक्ष के नेताओं का कहना है कि ये मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए है.
बीजेपी सांसद विजयपाल सिंह तोमर ने काउ हग डे का स्वागत करते हुए कहा कि गाय को गले लगाना किसान से जोड़ता है. इसलिए मैं भारत के पशु कल्याण बोर्ड द्वारा काऊ हग डे मनाने की अपील का स्वागत करता हूं.
मोदी सरकार में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री और राज्यसभा सांसद ने कहा कि इसमें परेशानी क्या है. गाय हमारी माता है इसकी सेवा करना चाहिए. किसी भी दिन होना था हो गया. प्रेम का दिन है गाय से प्रेम करें.
यूपी के कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि लोग 14 फरवरी को गाय को नमन करें और गाय को कुछ खिलाएं. गाय हमारी माता है. गाय के मूत्र में गंगा मैया बसती हैं और गाय के गोबर में लक्ष्मी का वास है. इसीलिए वैलेंटाइन डे पर गाय के गले मिलें और कुछ खिलाएं.
बीजेपी सांसद बालक नाथ ने कहा कि हमारी संस्कृति में गाय की पूजा की परंपरा है. गोपाष्टमी भी हम मनाते हैं. वैलेंटाइन डे क्या है इसके बारे में हमें कोई जानकारी नहीं.
मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए काउ हग डे: विपक्ष
टीएमसी सांसद ने सांतनु सेन ने आरोप लगाया कि मुख्यधारा के मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए छद्म हिंदूवाद और छद्म देशभक्ति का इस्तेमाल किया जाता है.
सीपीआई सांसद एलामारम करीम ने काऊ हग डे को हास्यास्पद बताया. उन्होंने कहा कि ये अकल्पनीय है और देश के लिए शर्म की बात है.
कांग्रेस सांसद रजनी पाटिल ने कहा कि मैं एक किसान के घर से हूं. मैं एक दिन नहीं, हर दिन अपनी गाय को गले लगाती हूं. काउ हग डे मनाने को लेकर उन्होंने कहा कि ये केवल बेरोजगारी, अडानी, महंगाई, आतंकवाद जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए है.
शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत ने कहा कि हम गाय की इज्जत करते हैं और सम्मान से उसे 'गौमाता' बुलाते हैं. गाय से लगाव के लिए हमें किसी एक निश्चित दिन की जरूरत नहीं है.
विलुप्त होने की कगार पर हैं वैदिक परंपराएं
एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया की तरफ से की गई अपील में आगे कहा गया है कि समय के साथ पश्चिम संस्कृति की प्रगति के कारण वैदिक परंपराएं लगभग विलुप्त होने की कगार पर हैं. पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध ने हमारी भौतिक संस्कृति और विरासत को लगभग भुला दिया है.
पशुपालन और डेयरी विभाग, मत्स्य पालन विभाग के निर्देश पर सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन से जारी किया गया है. एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया की तरफ इस संबंध में अपील की गई है. इसमें कहा गया है कि हम सभी जानते हैं कि गाय भारतीय संस्कृति और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है.