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भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने देश के युवाओं से अपील की है कि वे 14 फरवरी को काउ हग डे (गौ आलिंगन दिवस) के रूप में मनाएं. 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे पड़ता है और यूथ के बीच वैलेंटाइन डे का क्रेज किसी से छिपा नहीं है. भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने जब 14 फरवरी को काउ हग डे घोषित किया तो सोशल मीडिया पर लोग चटखारे ले लेकर मीम्स, जोक्स और कमेंट्स शेयर करने लगे.
लेकिन अगर इसके मजाकिया पक्ष को छोड़ दें तो गायों को गले लगाने के फायदे, इससे इंसानों को क्या लाभ हो सकता है इस पर दुनिया भर में रिसर्च हुआ है. हां इतना जरूर है कि जब आप अपने शहर की किसी गली में निकलकर गाय को गले लगाने निकलें तो इससे पहले ये जरूर सुनिश्चित कर लें कि गाय आपको पहचानती है, उस समय गाय का मिजाज सही है.
पालतू जानवरों को हमेशा से तनाव दूर करने वाला माना जा रहा है. ये माना जाता है कि बिल्लियां और कुत्ते को घर में पालना तनाव दूर भगाने वाला होता है. लेकिन दूसरे जानवरों ने भी दिखाया है कि वे स्ट्रेस बस्टर के रूप में काम करते हैं और उनके साथ जुड़ाव इंसानों की मदद करता है.
नीदरलैंड में पुरानी है परंपरा
अगर नीदरलैंड की बात करें तो वहां “koe knuffelen” जिसका डच भाषा में अर्थ होता है गाय को गले लगाना एक सदियों पुराना अभ्यास है. इसमें मनुष्य और पशु के बीच आलिंगन में समाये उपचार के गुणों पर फोकस किया गया है.
इसका ग्लोबल ट्रेंड 2020 में शुरू हुआ. जो लोग बेहद तनाव से गुजर रहे थे वे फॉर्म्स/गौशालाओं में जाने लगे और वहां गायों के बीच 3-3 घंटे समय गुजारने लगे. इससे तनाव दूर करने में उन्हें काफी मदद मिली.
अमेरिका के फर्मों में काउ हगिंग
गायाों के साथ खेलने/लिपटने का ट्रेंड अमेरिका में भी पॉपुलर है. अमेरिका में कई फॉर्म्स हैं जहां काउ हगिंग की सुविधा उपलब्ध है. गले आप इंसानों को लगाए या फिर जानवरों को इससे शरीर में बॉन्डिंग, प्रेम, खुशी से जुड़ा हार्मोन रिलीज होता है. इससे निश्चित रूप से व्यक्ति का तनाव दूर होता है.
अध्ययनों से पता चला है कि गाय की धीमी धड़कन,शरीर का गर्म तापमान और बड़े आकार के कारण, गाय को गले लगाने से मनुष्य को एक सुखद अनुभूति मिलती है और उन्हें आराम मिलता है.
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ केयरिंग साइंसेज में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार जानवरों का स्पर्श इंसानों को सुखद एहसास कराने में योगदान होता है. ‘Benefits of Animal Assisted Therapy in Mental Health’ नाम से प्रकाशित इस आर्टिकल में लिखा गया है.
गाय के टच से रिलीज होता है खुशमिजाजी वाला हॉर्मोन
"विशेषज्ञों का कहना है कि जब जानवरों के साथ इंसान मिलते हैं, तो शरीर में सेरोटोनिन और एंडोर्फिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर रिलीज होता है, जिससे कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन जैसे तनाव पैदा करने वाले हार्मोन का सीक्रेशन कम हो जाता है, फिर खुशी और शांति का अनुभव होता है. इससे धीरे-धीरे रक्तचाप कम होता है और हृदय की गति संतुलित होती है."
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए काउ हगिंग की थेरेपी काफी लाभदायक है. इस आर्टिकल में लिखा गया है, "अवसाद, ऑटिज्म, डिमेंशिया, सिज़ोफ्रेनिया जैसे बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों पर इस थेरेपी का इस्तेमाल कर मरीज के व्यक्तित्व, व्यवहार और शारीरिक स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है. "
प्रकृति से संपर्क कम होता जा रहा है
अमेरिका के कनेक्टिकट में 50 एकड़ के फॉर्म हाउस में गायों समेत कई जानवरों को पालने वाले डॉ वरेन कॉर्सोन कहते हैं कि काउ हगिंग मेडिकल क्षेत्र में पारंपरिक चिकित्सा की जगह नहीं लेगा और न इसे इसके लिए डिज़ाइन किया गया है. लेकिन हम प्रकृति से संपर्क खत्म करते जा रहे हैं और इसकी जरूरत है.
गायें वास्तव में बहुत ही सीधी होती हैं. वे बहुत बुद्धिमान होती हैं, मेरी राय में, गाय हमारे पास मौजूद ऐसी जानवर है जो सबसे अधिक हमारा पालन-पोषण करती हैं.
अगर भारत की बात करें तो गायों को हिंदू धर्म समेत पूरे भारत में पवित्र माना जाता है. पूरे भारत में बहुत से लोग गाय रखते हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, और वे उन्हें अपने परिवार के सदस्य की तरह मानते हैं. गायों को गले लगाने का चलन उन लोगों के लिए नया नहीं है जो खेतों या गायों के आसपास बड़े हुए हैं. यह केवल उन लोगों के लिए नया है जो महानगरों और शहरों में रहते हैं.
रिपोर्ट- लता श्रीनिवासन