उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 45 दिनों का 'महाकुंभ' का आयोजन समाप्त हो चुका है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा संगम क्षेत्र में गंगा-यमुना के पानी की शुद्धता को लेकर नई रिपोर्ट जारी की गई. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को सौंपी गई नई रिपोर्ट में सीपीसीबी ने बताया कि महाकुंभ के दौरान गंगा और यमुना नदी का पानी नहाने लायक था.
रिपोर्ट में पानी की सफाई को लेकर जानकारी
सीपीसीबी की नई रिपोर्ट में बताया गया कि पानी की जांच के लिए अलग-अलग दिनों में लिए गए सैंपल अलग-अलग नतीजे दिखा रहे थे. पानी की क्वालिटी को मापने के लिए पीएच, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी), पानी में घुली ऑक्सीजन की मात्रा और गंदगी में मौजूद बैक्टीरिया की मात्रा देखी गई. इस दौरान पाया गया कि अलग-अलग दिनों और अलग-अलग जगह पर इन चीजों की मात्रा में बदलाव हो रहा था. इसलिए पानी की क्वालिटी सभी जगह सामान्य नहीं थी.
यह भी पढ़ें: महाकुंभ मेला खत्म, फिर भी संगम में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़, भक्तों के लिए सरकार ने किए स्थायी इंतजाम!
रिपोर्ट के अनुसार, महाकुंभ मेला के दौरान 12 जनवरी से 22 फरवरी तक 10 स्थानों पर 20 बार पानी की जांच की गई. इस दौरान फीकल कोलिफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा 1400 थी, जो कि मानकों के नीचे था. सीपीसीबी के मुताबिक नहाने के लिए 100 मिलीलीटर पानी में 2500 एमपीएन सुरक्षित स्तर है. पानी में घुली ऑक्सीजन की मात्रा 8.7 था, जो कि 5 से ज्यादा होना चाहिए. पानी में गंदगी की मात्रा 2.56 था, जो कि 3 से कम होनी चाहिए.
17 फरवरी को सीपीसीबी ने एनजीटी को एक रिपोर्ट सौंपी थी. जिसमें बताया था कि गंगा-यमुना के पानी में तय मानक से कई गुना ज्यादा फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया हैं. महाकुंभ के दौरान करोड़ों की संख्या में लोगों ने नहाया, जिससे पानी में गंदगी की बैक्टीरिया बढ़ गए. सीपीसीबी द्वारा जारी नई रिपोर्ट को लेकर अब 7 अप्रैल को सुनवाई होगी.
यह भी पढ़ें: प्रदूषण रोकने में कई एजेंसियां नाकाम, CPCB ने थमाया नोटिस
बता दें कि यूपी की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने भी सीपीसीबी की रिपोर्ट खारिज कर दिया था. 19 फरवरी को विधानसभा में सीएम योगी ने रिपोर्ट खारिज करते हुए कहा था कि त्रिवेणी संगम का पानी ना ही केवल नहाने लायक, बल्कि पीने योग्य भी है.