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दिल्ली में पिछले साल की तुलना में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर, CPCB उठा रहा ठोस कदम

सीपीसीबी ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में पिछले कुछ सालों में प्रदूषण स्तर में गिरावट देखी गई है. आज सिर्फ ऐसा नहीं है कि सर्दियों के मौसम में ही कोई एक्शन लेते हैं बल्कि पूरे साल यह प्रोसेस चलता रहता है, क्षेत्र का दौरा करने के लिए हमने विशेष टीमों का भी गठन किया है.

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सीपीसीबी ने कहा, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर में गिरावट देखी गई (वीडियो ग्रैब)
सीपीसीबी ने कहा, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर में गिरावट देखी गई (वीडियो ग्रैब)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • प्रदूषण रोकने के लिए धूल, जलन को रोकना होगाः CPCB
  • हमारे पास रोजाना के आंकड़े नहींः CPCB के सदस्य
  • 14 अक्टूबर को बढ़ी पराली जलाने की घटना- SAFAR

राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण के बारे में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) का कहना है कि 2019 की तुलना में इस साल 1 सितंबर से 14 अक्टूबर तक प्रदूषक फैलाव के लिए दिल्ली-एनसीआर में वायु की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाली मौसम की स्थिति प्रतिकूल थी.

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सीपीसीबी के प्रमुख शिव मीणा ने कहा, 'मैंने सवाल पूछा था, तो वे कह रहे हैं कि प्रदूषण फैलाने में पराली जलाने का योगदान सिर्फ छह प्रतिशत ही है. अब इसमें अंतर भी हो सकता है.' हालांकि उन्होंने उस सवाल का जवाब नहीं दिया कि दिल्ली में प्रदूषण के स्रोत आंतरिक हैं या बाहरी.

सीपीसीबी ने कहा कि हमने हॉटस्पॉट पर अपनी टीमों से फीडबैक हासिल किया है. उनका कहना है कि प्रदूषण रोकने के लिए सड़क की धूल, वेस्ट डंपिंग और जलन को रोकना होगा. साथ ही शहरी क्षेत्रों में वाहनों की आवाजाही को सीमित करने की आवश्यकता है (यातायात विभाग ने काम शुरू कर दिया है). हॉटस्पॉट्स क्षेत्रों में वाहनों को रोकने का काम एक लक्षित दृष्टिकोण के रूप में होना चाहिए.

प्रदूषण के स्तर गिरावट मेंः सीपीसीबी  

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सीपीसीबी ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में पिछले कुछ सालों में प्रदूषण के स्तर में गिरावट देखी गई है. आज सिर्फ ऐसा नहीं है कि सर्दियों के मौसम में ही कोई एक्शन लेते हैं बल्कि पूरे साल यह प्रोसेस चलता रहता है, क्षेत्र का दौरा करने के लिए हमने विशेष टीमों का भी गठन किया है. 

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सीपीसीबी के सदस्य डॉक्टर प्रशांत गर्गवा ने कहा कि हमारे पास प्रदूषण को पैदा करने वाले कारकों में योगदान करने के लिए दिन-प्रतिदिन के आंकड़े नहीं हैं. 

SAFAR का दावा

इससे पहले केंद्र सरकार की वेबसाइट SAFAR (System of Air Quality and Weather Forecasting And Research) के आंकड़ों के अनुसार 15 अक्टूबर तक दिल्ली का प्रदूषण बढ़ाने में पराली जलाने का योगदान 6 फीसदी ही रहा है.  

मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंसेज की वेबसाइट SAFAR का आंकड़ा कहता है कि 14 अक्टूबर तक दिल्ली के प्रदूषण में पराली का जलाने का योगदान 3 फीसदी था. जबकि 11, 12 व 13 अक्टूबर को पराली की वजह से दिल्ली में महज 1 फीसदी प्रदूषण बढ़ा था. 

बुधवार को दिल्ली से सटे राज्यों हरियाणा, पंजाब और दूसरे अन्य सीमावर्ती राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी है. वेबसाइट के मुताबिक इन जगहों में 740 स्थानों पर खेतों में आग जलने की घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं. 

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SAFAR के मुताबिक अभी इन राज्यों से आने वाली हवा का रुख भी दिल्ली की ओर ही है, इसलिए आने वाले दिनों में दिल्ली की हवा और भी प्रदूषित हो सकती है. 

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