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नेपाल से अयोध्या लाए जा रहे दो विशाल पत्थरों को देखने के लिए जुटी भीड़, इन्हीं शिलाओं से बनेंगी राम मंदिर की मूर्तियां

अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण में लगने वालीं भगवान श्री राम और मां सीता के मूर्ति के लिए पत्थरों का लाने का काम शुरू हो गया है. नेपाल से दो विशाल शिलाएं अयोध्या लाई जा रही हैं. 26 जनवरी को नेपाल के पोखरा के काली गंडकी नदी से 40 टन से भी ज्यादा वजनी दो शिलाओं को निकाला गया और 2 ट्रक पर लाधकर इसे अयोध्या पहुंचाया जा रहा है.

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नेपाल से लाई जा रहीं 2 विशाल शिलाएं, अयोध्या के राम मंदिर की मूर्तियों का होगा निर्माण
नेपाल से लाई जा रहीं 2 विशाल शिलाएं, अयोध्या के राम मंदिर की मूर्तियों का होगा निर्माण

अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर का काम तेजी से चल रहा है. ऐसे में अब श्री राम और मां सीता के मूर्ति निर्माण का काम भी शुरू होना है और इसी के लिए नेपाल से दो विशाल शिलाएं अयोध्या लाई जा रही हैं. 26 जनवरी को नेपाल के पोखरा के काली गंडकी नदी से 40 टन से भी ज्यादा वजनी दो शिलाओं को निकाला गया और 2 ट्रक पर लाधकर इसे अयोध्या पहुंचाया जा रहा है.

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इसी कड़ी में यह दो विशाल शिलाएं शनिवार रात भारत-नेपाल सीमा पर स्थित जनकपुरधाम पहुंचीं, जहां पर इन्हें जानकी मंदिर के प्रांगण में रखा गया है. रविवार को यह दो विशाल पत्थर जानकी मंदिर में ही रखे गए जिसे देखने और पूजा-अर्चना करने के लिए हजारों की संख्या में लोगों का आना जाना लगा रहा.

शिलाओं के देखने के लिए जुटी भीड़

प्रभु राम और मां सीता की मूर्ति बनाने के लिए इस्तेमाल में आने वाले इन पत्थरों को जनकपुर धाम और आसपास के लोग रविवार को देखने के लिए पहुंचे और दिनभर श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की. जानकी मंदिर के उत्तराधिकारी महंत राम रोशन दास ने इन दोनों पत्थरों की महत्वता बताते हुए कहा कि यह तकरीबन 6 करोड़ साल पुराने पत्थर हैं जो आज भी जीवित हैं. उन्होंने बताया कि इन पत्थरों को नेपाल से अयोध्या ले जाने के लिए भारत सरकार ने नेपाल सरकार से बातचीत की जिसके बाद यह संभव हो पाया.

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पत्थर लाने से पहले किए गए अनुष्ठान

महंत दास ने बताया कि नेपाल सरकार की अनुमति के बाद विशेषज्ञों की टीम पोखरा के काली गंडकी नदी पर पहुंची और फिर इन पत्थरों का चयन किया गया. 26 जनवरी को इन दोनों पत्थरों को नदी से निकालने से पहले क्षमा याचना पूजा भी की गई और अनुष्ठान किया गया. इसके बाद ही इन पत्थरों को अयोध्या ले जाने की यात्रा शुरू हुई.

रविवार को दिनभर जनकपुर धाम में लोगों का पत्थरों को देखने और पूजा अर्चना करने के लिए तांता लगा रहा और पूरा माहौल जय श्रीराम के नारों से गूंजता रहा. लोगों को इस बात को लेकर भी खुशी थी कि भारत और नेपाल के बीच रोटी बेटी के रिश्ते के बाद अब एक नए तरीके के रिश्ते की शुरुआत होगी.

भारत में कब पहुंचेंगी शिलाएं?

इसी कड़ी में यह दोनों पत्थर फिलहाल भारत-नेपाल सीमा पर स्थित जनकपुर धाम के जानकी मंदिर प्रांगण में हैं और सोमवार सुबह यह जटही बॉर्डर के पार करके मधुबनी के रास्ते भारत की सीमा में प्रवेश करेंगे. तय कार्यक्रम के मुताबिक सोमवार शाम को यह यात्रा मुजफ्फरपुर के काठी में रुकेगी और फिर मंगलवार को गोपालगंज के रास्ते गोरखपुर पहुंचेगी.

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