लोकसभा में जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए सोमवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ सर्वदलीय बैठक की. बैठक में संसद के सुचारू संचालन पर सहमति बनी, जिससे कल से संसद के कामकाज के सामान्य होने की उम्मीद है. बैठक में लोकसभा स्पीकर ने सभी सदस्यों से अपील की कि वे सदन को सुचारू रूप से चलने दें और जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा को प्राथमिकता दें. स्पीकर की इस अपील पर सभी दलों के प्रतिनिधियों ने सहमति जताई और सदन में गतिरोध खत्म करने का आश्वासन दिया है.
बता दें कि संसद में जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए सोमवार को सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी दलों के बीच सहमति बनी. संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने भरोसा जताया कि लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही मंगलवार से सुचारू रूप से चलेगी. लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने विभिन्न दलों के फ्लोर नेताओं के साथ बैठक की, जिसमें यह सहमति बनी.
बैठक में ये नेता रहे शामिल
लवी श्री कृष्ण देव रायालु - वाईएसआर कांग्रेस
गौरव गोगोई - कांग्रेस
टी.आर. बालू - डीएमके
सुप्रिया सुले - एनसीपी
धर्मेंद्र यादव - समाजवादी पार्टी
दिलेस्वर कामैत - जेडीयू
अभय कुशवाहा - आरजेडी
कल्याण बनर्जी - टीएमसी
अरविंद सावंत - शिवसेना (यूबीटी)
के. राधाकृष्णन - सीपीआई (एम)
संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर होगी विशेष चर्चा
इसी दौरान ये भी सामने आया है कि भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर संसद में विशेष चर्चा आयोजित की जाएगी. सूत्रों के अनुसार, यह ऐतिहासिक चर्चा 13 और 14 दिसंबर को आयोजित की जा सकती है. इस चर्चा के दौरान भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों, इसके विकास और देश की प्रगति में इसकी भूमिका पर विचार किया जाएगा. बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस चर्चा में हिस्सा ले सकते हैं और अपने विचार रख सकते हैं. पीएम मोदी का हस्तक्षेप इस चर्चा को और भी महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक बना सकता है.
राज्यसभा में 16 और 17 दिसंबर को होगी चर्चा
बैठक में शामिल किरेन रिजिजू ने बताया कि लोकसभा में संविधान पर विशेष चर्चा 13 और 14 दिसंबर को होगी, जबकि राज्यसभा में यह चर्चा 16 और 17 दिसंबर को आयोजित की जाएगी.विपक्षी दलों ने संविधान सभा द्वारा भारतीय संविधान के अपनाए जाने की 75वीं वर्षगांठ पर दोनों सदनों में चर्चा की मांग की थी. बैठक में शामिल कई विपक्षी नेताओं ने भी मंगलवार से संसद के सुचारू संचालन को लेकर सकारात्मक संकेत दिए.
संसद के दोनों सदनों में संविधान के महत्व और इसकी प्रासंगिकता पर गहन विचार-विमर्श की तैयारी की जा रही है. इस खास मौके पर सरकार और विपक्ष के नेताओं के बीच भी संवाद हो सकता है. यह चर्चा ऐतिहासिक हो सकती है.