अरुणाचल प्रदेश में सीमा पर चीन से चल रही तनातनी के बीच रक्षा मंत्रालय जल्द ही बड़ा कदम उठाने जा रहा है. दरअसल, चीनी खतरे से निपटने के लिए प्रोजेक्ट जोरावर के तहत 354 लाइट टैंक खरीदने के प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है. इस सप्ताह इसको लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक होने वाली है. जिसमें मेक इन इंडिया के तहत शुरू किए गए इस प्रोजेक्ट के जरिए विकसित स्वदेशी टैंकों को खरीदने पर चर्चा होगी. जिसके बाद उन्हें चीन से सटी सीमा पर तैनात किया जाएगा.
शीर्ष सूत्रों ने आजतक को बताया, "इस सप्ताह के अंत में होने वाली उच्च स्तरीय बैठक के दौरान इस प्रोजेक्ट पर चर्चा की जाएगी." इन टैंकों का इस्तेमाल वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर किया जाएगा. इन टैंकों को भौगोलिक क्षेत्रों के अनुरूप बनाने के साथ ही अत्याधुनिक प्रौधोगिकी जैसे आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन, बचाव प्रणाली और खतरों को भांपने की प्रौद्योगिकी से लैस किया गया है.
बता दें कि चीन के साथ सीमा विवाद के दौरान पूर्वी लद्दाख के पास LAC पर हल्के तोपों की जरूरत महसूस हुई थी. लेकिन भारतीय सेना के पास ऐसी तोपें नहीं थीं. के9-वज्र टी (K-9 Vajra-T) टैंक भारतीय सेना की सबसे हल्की तोप है. इसका वजन 35 टन है. जबकि, टी-72 का 45 और टी-90 का 46 टन है. इतने भारी तोपों को इतनी ऊंचाई पर ले जाना मुश्किल होता है. इसलिए हल्के तोपों की जरूरत महसूस हो रही थी. पिछले साल अप्रैल में भारतीय सेना ने 350 हल्के तोपों, जिनका वजन 25 टन से कम हो, उसके लिए रिक्वेस्ट ऑफ इन्फॉर्मेशन मांगा था. इन तोपों को अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात किया जाएगा.
टैंक का नाम जनरल जोरावर के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने तिब्बत में कई युद्ध जीते थे, जो अब चीनी सेना के नियंत्रण में है. रिपोर्ट्स की मानें तो सेना का कहना है कि अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र, सीमांत इलाके और द्वीप क्षेत्रों के अलावा मैदानी, अर्ध-रेगिस्तान और रेगिस्तान में किसी भी संकट के हल्के टैंकों को सेना में शामिल करना महत्वपूर्ण हो गया है.
9 दिसंबर को हुई थी झड़प
गौरतलब है कि 9 दिसंबर को अरुणाचल के तवांग सेक्टर में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी. सोची समझी साजिश के तहत 300 चीनी सैनिक यांगत्से इलाके में भारतीय पोस्ट को हटाने पहुंचे थे. चीनी सैनिकों के पास कंटीली लाठी और डंडे भी थे. लेकिन भारतीय सैनिकों ने तुरंत मोर्चा संभाल लिया और भिड़ गए. भारतीय जवानों को भारी पड़ता देख चीनी सैनिक पीछे हट गए. इस झड़प में 6 भारतीय जवान घायल हुए, चीन की तरफ से कोई आंकड़ा जारी नहीं हुआ है, लेकिन बताया जा रहा है कि बड़ी संख्या में पीएलए जवान जख्मी हुए थे.
अक्टूबर में भी भारत ने चीनी सैनिकों को रोका था
भारतीय सैनिकों ने पिछले साल भी अक्टूबर में इसी क्षेत्र में चीनी सैनिकों को रोका था. अरुणाचल प्रदेश में लगभग 200 पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवान LAC के पास आना चाह रहे थे. भारतीय सैनिकों ने तब भी उन्हें खदेड़ दिया था. LAC पर चीनी सैनिकों का विश्वासघात कोई नई बात नहीं है. साल 2020 में गलवान में चीन ने ऐसा ही करने की कोशिश की थी. जब चौकी का मुआयना करने पहुंचे भारतीय सैनिकों पर चीनी जवानों ने विश्वासघात कर हमला कर दिया था. इस हमले में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. जबकि चीन के कई जवान मारे गए थे. चीन ने तो पहले अपने जवानों की कैजुअलिटी को मानने से ही इनकार कर दिया था. बाद में चीन ने माना था कि भारत सेनाओं के हाथों उसके 5 जवान मारे गए थे.
अरुणाचल प्रदेश में चीन के साथ क्या है सीमा विवाद
अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत और चीन के बीच लंबे समय से विवाद रहा है. भारत की चीन के साथ लगभग 3500 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है. इसे वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी कहा जाता है. अरुणाचल प्रदेश को चीन दक्षिणी तिब्बत बताते हुए इसे अपनी जमीन होने का दावा करता है. तिब्बत को भी चीन ने 1950 में हमला कर अपने में मिला लिया था. भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, चीन अरुणाचल प्रदेश की करीब 90 हजार वर्ग किलोमीटर पर अपना दावा करता है.